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Health Tips: डिप्रेशन दूर करने के लिए वरदान है ये 2 योगासन

Sanjna Verma
5 Aug 2024 5:12 AM GMT
Health Tips: डिप्रेशन दूर करने के लिए वरदान है ये 2 योगासन
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Health Tips हेल्थ टिप्स: भागदौड़ भरी जिंदगी में सुस्त जीवनशैली और खानपान की खराब आदतों की वजह से, ना चाहते हुए भी व्यक्ति तनाव और चिंता से घिरा रहता है। जिसकी वजह से कई गंभीर रोग व्यक्ति को अपना शिकार बनाने लगते हैं। ऐसे में लंबी उम्र तक स्वस्थ, निरोग और चुस्त बने रहने में योग व्यक्ति की मदद कर सकता है। योग का नियमित अभ्यास व्यक्ति को स्ट्रेस, एंजायटी, डिप्रेशन जैसी समस्याओं से छुटकारा दिलाने के साथ इम्यूनिटी बूस्ट करके फोकस अच्छा करने में मदद करता है। बता दें, मई माह को मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है। इस माह को मनाने के पीछे का उद्धेश्य मानसिक या व्यवहारिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे लोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। ऐसे में अगर आप भी
Stress, depression or anxiety
जैसी किसी समस्या से परेशान हैं तो ये 2 योगासन आपकी समस्या दूर करने में आपकी मदद कर सकते हैं।
संतुलनासन-
संतुलनासन मणिपुर चक्र को उत्तेजित करते हुए पूरे शरीर को सक्रिय करता है। जिससे सकारात्मकता की भावना पैदा होती है। इस आसन के नियमित अभ्यास से आंतरिक संतुलन और सद्भाव की भावना विकसित होती है। संतुलनासन करने से शरीरिक और मानसिक सेहत अच्छी बनी रहती है। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले पेट के बल लेटकर अपनी हथेलियों को कंधों के नीचे रखें और शरीर, श्रोणि और घुटनों को ऊपर उठाएं। ऐसा करते समय घुटनों को सीधा करें और यह सुनिश्चित करें कि घुटने, श्रोणि और रीढ़ एक सीध में हों। अब कलाइयों को कंधों के नीचे संरेखित करके रखें।
वज्रासन-
एक्सपर्ट के अनुसार, वज्रासन स्ट्रेस और एंग्जायटी को दूर करने के लिए बेस्ट आसान है। इस आसन को करते समय व्यक्ति को रिलेक्स रहना चाहिए। इसे करने से सीने और पेट की मांसपेशियों पर दबाव पड़ने के अलावा Desegregationमें भी सुधार होता है। इस आसन को करते समय धीरे-धीरे सांस लेने से, व्यक्ति का स्ट्रेस रिलीज होता है। इस आसन को करते समय सबसे पहले योगा मैट पर फर्श पर घुटने टेककर बैठ जाएं। ऐसा करते हुए घुटने पीछे की ओर और हिप्स एड़ी पर टिके हुए होना चाहिए। ऐसा करते हुए कोशिश करें कि दोनों पैर एक-दूसरे को छूएं नहीं और रीढ़ की हड्डी सीधी रहे। इस अवस्था में बने रहते हुए धीरे-धीरे सांस लें और छोड़ें। साधक सिर, गर्दन और रीढ़ की हड्डी एक सीधी रेखा में रखते हुए हथेलियों को अपनी जांघों पर रखें। कुछ देर इसी पोजिशन में बने रहें।
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