लाइफ स्टाइल

डिब्बाबंद अचार से लेकर रिफाइंड शुगर तक

Kajal Dubey
21 Jun 2023 3:10 PM GMT
डिब्बाबंद अचार से लेकर रिफाइंड शुगर तक
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हमारी अच्छी सेहत के पीछे अच्छे खाने का बड़ा योगदान है। अगर हम स्वस्थ और पोषक चीजों का सेवन करते हैं तो हेल्दी और फिट रहते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि खाने की कई ऐसी चीजें, जो हम लगभग रोज खाते हैं तो कैंसर हो सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि कैंसर के लगभग 70% मामले सिर्फ खाने के जरिए घट सकते हैं। बाकी 30% जेनेटिक्स और वातावरण से जुड़े होते हैं। यह तो हम सभी जानते है कि कैंसर दुनिया भर में मौत के प्रमुख कारणों में से एक है, लेकिन रिलेवेंट लाइफस्टाइल में बदलाव करके इसे रोका जा सकता है। शरीर में कैंसर कोशिकाएं विभिन्न कारणों से बढ़ती हैं और अनहेल्दी आहार उनमें से एक है। फिजिकल एक्टीविटी की कमी, धूम्रपान, मोटापा, शराब और यूवी किरणों के संपर्क में आना कुछ अन्य फैक्टर्स भी हैं जो इसमें अपना रोल निभा सकते हैं। ऐसे में आज हम आपको कुछ चीजों के बारे में बताने जा रहे है जिनके अधिक सेवन से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है...
डिब्बाबंद अचार
व्यावसायिक स्तर पर अचार बनाने के लिए कई तरह के प्रिजर्वेटिव का इस्तेमाल होता है, जैसे नाइट्रेट, नमक और आर्टिफिशियल रंग। अचार खाने से गेस्ट्रिक कैंसर होने के चांस बढ़ जाते हैं। आचार का सेवन ब्‍ल्‍ड प्रेशर के मरीजों के लिए अच्‍छा नही है। साथ ही ऐसे लोगों के लिए भी जो हाइपरटेंशन के मरीज हैं। बाजार के अचार में प्रिजेरवेटिव्‍स होते हैं, जो हेल्‍थ के लिए अच्‍छे नही हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि बाजार के आचारों को बनाने की प्रक्रिया के दौरान उसमें मौजूद सभी पोषक तत्‍व नष्‍ट हो जाते हैं।
शराब- कार्बोनेटेड ड्रिंक
अल्कोहल और कार्बोनेटेड पेय दोनों में रिफाइंड चीनी और कैलोरी की मात्रा अधिक होती है। दोनों में से किसी भी तरल पदार्थ का अत्यधिक सेवन शरीर में मुक्त कणों की संख्या बढ़ा सकता है। जो बदले में सूजन का कारण बन सकता है। शरीर में शराब की बहुतायत से लिवर और किडनी को अतिरिक्त काम करना होता है। कई स्टडीज ये बताती हैं कि ज्यादा मात्रा में शराब पीना मुंह, इसोफेगस, लिवर, कोलोन और रेक्टम कैंसर का खतरा बढ़ा देता है। अब सवाल ये है कि कितनी ज्यादा बहुत ज्यादा है। शोध कहते हैं कि औरतें रोज एक ड्रिंक और पुरुष रोज 2 ड्रिंक लें, तभी ये सुरक्षित है।
​डिब्बाबंद और पैक्ड फूड
डिब्बाबंद या पैक्ड खाद्य पदार्थ का सेवन कैंसर को दावत देता है। ज्यादातर रेडी-टू-कुक फूड पैक में बिस्फेनॉल ए (बीपीए) नाम का केमिकल होता है। भोजन में घुलने पर यह यौगिक हार्मोनल असंतुलन, डीएनए में परिवर्तन और कैंसर का कारण बन सकता है।
नॉन ऑर्गेनिक फल
जो फल लंबे समय से कोल्डस्टोरेज में रखे रहते हैं, उनकी लाख सफाई के बावजूद उनपर केमिकल की परत चढ़ी ही रहती है। इसकी वजह से कैंसर होता है। निश्चित समय के बाद स्टोर किए हुए फलों को नष्ट कर दिया जाना चाहिए।
मैदा
मैदा भले ही गेहूँ से बनाया जाता है लेकिन इसका नियमित सेवन कैंसर को आमंत्रण देता है। मैदा का उपयोग फ़ास्ट फ़ूड, पेस्ट्री, ब्रेड, कई प्रकार की मिठाइयाँ और पारंपरिक फ़्लैट ब्रेड बनाने के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता है। आटे से मैदा बनानेकी प्रक्रिया में कई कार्सिनोजेनिक तत्व निकलते हैं। इसके अलावा मैदे को सफेद रंग देने के लिए उसे क्लोरीन गैस से गुजारा जाता है। ये बहुत खतरनाक और कैंसर की कारक है। डायबिटीज के मरीजों के लिए मैदा और भी ज्यादा खतरनाक है क्योंकि इससे ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है जिसकी वजह से खून में ग्‍लूकोज़ जमने लगता है। जो शरीर में केमिकल रिएक्‍शन्स को पैदा करता है। जिससे कैटरैक्‍ट से ले कर गठिया और हार्ट की बीमारियां होने का खतरा मंडराने लगता है। डाइटरी फाइबर के अभाव में मैदा बहुत चिकना और महीन हो जाता है, जिससे आंतों में यह चिपकने लगता है। इस वजह से कब्‍ज की समस्‍या भी हो सकती है और इनडाइजेशन का कारण भी यह बन सकता है।
माइक्रोवेव पॉपकॉर्न
माइक्रोवेव ओवन के रेगुलर इस्‍तेमाल से इम्‍यूनिटी कमजोर पड़ सकती हैं। माइक्रोवेव के लगातार प्रयोग से कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। लंबे समय तक कोई माइक्रोवेव का यूज़ कर रहा है तो वह वायरल और बैक्‍टीरियरल इंफेक्‍शन के संपर्क में भी आसानी से आ सकता है। इसके प्रयोग से कई लोगों में हाई ब्‍लड प्रेशर की भी शिकायत देखने को मिली है। माइक्रोवेव में बनाया गया पॉपकॉर्न कैंसर की वजह बनता है। क्योंकि माइक्रोवेव में पॉपकॉर्न डालने से परफ्यूरोक्टानोइक एसिड बनता है। परफ्यूरोक्टानोइक एसिड एक तरह का सिंथेटिक रसायन है जिससे पैंक्रियाज, किडनी, ब्लैडर, लिवर और टेस्टिकुलर कैंसर हो सकता है। पॉपकॉर्न स्नैक का अच्छा विकल्प है, बशर्तें इसे एयर पॉपर में बनाया जाए और लहसुन मिलाकर खाया जाए।
फार्म्ड सैल्मन मछली
सैल्मन मछली कई पोषक तत्वों से भरा हुआ एक खजाना है, जिसमें विटामिन, खनिज पद्धार्थ के साथ-साथ विटामिन बी 12 और ओमेगा-3 फैटी एसिड भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। सैल्मन मछली कैंसर होने से रोकने, चयापचय को बढ़ाने, ह्रदय स्‍वास्‍थ्‍य, मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य, हड्डी, त्‍वचा और आंखों का स्वास्थ्य आदि जैसी बीमारियों से लड़ने के लिए भी कारगर है लेकिन आजकल मछली की बढ़ती मांग को देखते हुए इसे पानी की टंकियों में पाला जा रहा है और उनको डाइट में एंटीबायोटिक्स दी जाती है ताकि उनको बिमारियों से बचाया जा सके। यही एंटीबायोटिक्स हमारे शरीर में पहुंचकर कैंसर का कारण बनते है। जांच में पाया गया कि फार्म्ड सैल्मन में मर्करी और डाइऑक्सिन जैसे खतरनाक केमिकल्स भरपूर मात्रा में हैं, ये सारे ही तत्व इंसानी सेहत के लिए जानलेवा हैं।
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