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इन आयुर्वेदिक टिप्स का करें पालन

Apurva Srivastav
16 Jan 2023 3:35 PM GMT
इन आयुर्वेदिक टिप्स का करें पालन
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युर्वेद सिर्फ औषधियों के सेवन पर जोर नहीं देता बल्कि ये हमें ऋतुओं के अनुकूल जीवनयापन सिखाता है

ठंड का मौसम सेहत के लिहाज से अच्छा होता है, लेकिन जरा सी असावधानी में सेहत बिगड़ भी जाती है। ये मौसम खांसी, जुकाम, बुखार, गले की खराश, जोड़ों के दर्द जैसी मौसमी बीमारियों का है। ठंड की अनदेखी सांस, डायबिटीज, हार्ट आदि के रोगियों की परेशानी भी बढ़ा सकती है। पर्यावरण में लगातार हो रहे बदलाव के कारण विभिन्न संक्रमण व बीमारियों का खतरा भी बढ़ा है। ऐसे में सेहतमंद रहना बड़ी चुनौती है।


आज भारत ही नहीं, वैश्विक स्तर पर यह अवधारणा साकार हो रही है कि स्वस्थ रहने के लिए हमें अनुशासित जीवनशैली, संयमित खानपान, मौसम के अनुकूल रहन-सहन और प्रकृति से जुड़कर चलना होगा। भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद का आधार भी यही है। आयुर्वेद सिर्फ औषधियों के सेवन पर जोर नहीं देता बल्कि ये हमें ऋतुओं के अनुकूल जीवनयापन सिखाता है, जिससे शरीर निरोगी रहे।

चरक संहिता, सुश्रुत संहिता, अष्टांग हृदय आदि आयुर्वेद के ग्रंथों में पूरे साल को छह प्रभावी ऋतुओं व स्वस्थ रहने के लिए हर ऋतु के अनुसार आहार- विहार, दिनचर्या, रात्रिचर्या एवं ऋतुचर्या को अपनाने के लिए कहा गया है। हालांकि बदले परिवेश में इन दिशा निर्देशों को पूरी तरह व्यवहार में नहीं लाया जा सकता, क्योंकि अब सामाजिक एवं पर्यावरणीय स्थितियां बहुत बदल चुकी हैं। फिर भी ठंड के दिनों में ऋतुचर्या अनुसार, जीवशैली अपनायी जाए तो काफी हद तक सेहत सुरक्षित रहेगी और शरीर को मिलेगा रोग प्रतिरोधक क्षमता का सुरक्षाचक्र। हमारे यहां ठंड के दिन नवंबर माह से फरवरी तक होते हैं। इस तरह प्रारंभ के दो माह हेमंत व बाद के दो माह शिशिर ऋतु के हैं। इसलिए हमें ऋतुचर्या का पालन कर उत्तम स्वास्थ्य के साथ सर्दियों का आनंद लेना चाहिए।

सक्रिय हो जाता है पाचनतंत्र

सर्दियों में ठंडी वायु के कारण शरीर से अग्नि तत्व बाहर नहीं आ पाता और ये जठराग्नि को तीव्र करता है। इससे पाचनतंत्र की सक्रियता बढ़ती है। इसलिए इन दिनों नवीन धान्य (गेंहू, चावल), दूध से बने उत्पाद, तिल, गुड़, मूंगफली, उड़द से बने खाद्यों को आहार में समायोजित करना चाहिए।

हरी सब्जियों व फलों का सेवन करें
इस मौसम में हरी पत्तेदार सब्जियां खूब आती हैं। सब्जियां पोषक तत्वों से पूर्ण होती हैं और पाचनतंत्र दुरुस्त रखती हैं। टमाटर, गाजर, सेम, मटर, पालक, बथुआ, मेथी आदि हरी सब्जियों का सेवन करें। इसके साथ ही किसी एक मौसमी फल का नियमित सेवन जरूर करें। यदि स्वस्थ हैं और खाने में किसी तरह का परहेज नहीं करना है तो घी, मक्खन, ठंडे दूध के साथ शहद, गन्ने का रस, दलिया, आंवला/ सेब का मुरब्बा व मेवे का सेवन लाभकारी रहेगा। ये रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ शरीर को आंतरिक गरमाहट देंगे। सर्दियों में अन्य दिनों की तुलना में भूख अधिक लगती है। इसलिए पाचनतंत्र दुरुस्त रखने के लिए कुछ लोग रात को खाने के बाद हरड़ रसायन का सेवन करते हैं। हरड़ पेट के संक्रमण को समाप्त करने के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करती है। यदि इसके साथ आधा चम्मच सोंठ मिलाकर सेवन करें तो सर्दियों के कई अन्य संक्रमणों से बचाव होगा।


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