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इस तरह से करें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन,मास्क के साथ-साथ सेहत को भी रखें सुरक्षित

Tara Tandi
25 Dec 2020 11:11 AM GMT
इस तरह से करें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन,मास्क के साथ-साथ सेहत को भी रखें सुरक्षित
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जनता से रिश्ता बेवङेस्क| अगर आप सोचते हैं कि मास्क लगा लेने भर से कोरोना संक्रमण से बच सकते हैं तो यह गलत धारणा है. कोरोना वायरस पर हुई एक स्टडी बताती है कि मास्क पहनना तभी असरदार है जब उसके साथ सोशल डिस्टेंसिंग के सभी नियम सही ढंग से फॉलो किए जाएं.

Physics of fluids नाम की स्टडी में इस तथ्य पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है. इस स्टडी के रिसर्चर्स ने 5 अलग-अलग तरह के मास्क पर शोध किए. शोध में इस बात की पड़ताल की गई कि जब कोरोना संक्रमित व्यक्ति छींकता या खांसता है तो उसके ड्रॉपलेट्स को मास्क किस हद तक रोक पाते हैं. शोध में देखा गया कि पांचों तरह के मास्क अलग-अलग मटीरियल के भले बने हों लेकिन सभी कोरोना के खिलाफ प्रभावी पाए गए.

6 फीट की दूरी जरूरी

अंतर सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर देखा गया. कोरोना मरीज से 6 फीट की दूरी पर मास्क का प्रयोग किया गया. यह देखा गया कि जो मास्क 6 फीट के अंदर रखे गए, उन पर कोरोना का प्रभाव ज्यादा था. मगर जो मास्क इस दूरी से बाहर थे, उन पर कोरोना का तुलनात्मक प्रभाव कम था. इससे तात्पर्य यह निकाला गया कि 6 फीट की दूरी तक मास्क कारगर हैं, लेकिन उससे कम दूरी पर रिस्क लेना सही नहीं है. कोरोना मरीज से बचने के लिए 6 फीट की दूरी को उचित माना गया है.

न्यू मेक्सिको स्टेट यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर कृष्णा कोटा ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, कोरोना के खिलाफ मास्क काम जरूर करता है लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि लोग एक दूसरे से कितनी दूरी बनाए रखते हैं. अगर मास्क लगाकर भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया जाए तो कोरोना का संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है. इसलिए कोरोना के खिलाफ सिर्फ मास्क काम नहीं करता, इसके साथ सोशल डिस्टेंसिंग भी जरूरी है.

एन-95 मास्क भी कारगर नहीं

इस प्रयोग में 5 तरह के मास्क मटीरियल पर शोध किया गया. एयर जनरेटर से मास्क पर हवा फेंकी गई. हवा में लिक्विड पार्टिकल्स भी मिलाए गए थे जो खांसी और छींक के ड्रॉपलेट्स के बराबर थे. प्रयोग में रेगुलर क्लॉथ मास्क, टू लेयर क्लॉथ मास्क, टू लेयर क्लॉथ मास्क (भीगे हुए), सर्जिकल मास्क और मेडिकल ग्रेड एन-95 मास्क शामिल किए गए. शोध में स्पष्ट हो गया कि मास्क किसी भी चीज का बना हो, लेकिन वह ड्रॉपलेट्स तभी रोक पाएगा जब उचित दूरी पर उसका उपयोग किया जाएगा.

एक छींक में 20 करोड़ से ज्यादा वायरस

शोध में यह बात सामने आ चुकी है कि एक छींक के साथ 20 करोड़ से ज्यादा वायरस फैलते हैं. यह संख्या इस बात पर निर्भर करती है कि छींकने वाला व्यक्ति कितना बीमार है. कोई मास्क ज्यादा से ज्यादा पार्टिकल अगर रोक भी दे तो कुछ वायरस भी किसी स्वस्थ इंसान को बीमार बना सकते हैं. मास्क नहीं लगाने पर यह तो तय है कि वायरस संक्रमित करेंगे, मास्क लगाने पर दोनों संभावना है कि कुछ वायरस रुक जाएं लेकिन कुछ संक्रमित भी कर सकते हैं. लेकिन मास्क अगर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ लगाया जाए तो यह निश्चित है कि कोरोना कुछ नहीं बिगाड़ सकता.

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