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आंखों की सुंदरता को बढ़ाने में पलकों का महत्वपूर्ण स्थान होता हैं। लेकिन कई महिलाएं इससे परेशान होती हैं कि उनकी पलकें छोटी हैं जो खूबसूरती मर खलल डालने का काम करती हैं। ऐसे में आजकल आईलैश एक्सटेंशन की मदद ली जा रही हैं जो पलकों को मोटा और खूबसूरत बनाने का काम करता हैं। इस प्रक्रिया के दौरान आंखों के लैशेज को बढ़ाया जाता हैं। लेकिन अभी भी महिलाओं के मन में इस तकनीक को लेकर कई सवाल बने हैं जिससे जुड़ी जानकारी आज हम आपको बताने जा रहे हैं।
क्या नकली लैशेज नैचुरल लैशेज को डैमेज कर देते हैं?
एक्सपर्ट का मानना है कि आई लैश एक्सटेंशन प्रोसेस के दौरान नैचुरल लैशेज को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। यदि आईलैश सही लंबाई, कर्ल, मोटाई की हो और पूरे प्रोसेस को सही तरीके से किया जाता है, तो नैचुरल लैशेज डैमेज नहीं होती हैं।
क्या आईलैश एक्टेंशन चुभता है?
यदि पूरी प्रक्रिया को बहुत बारीकी और अच्छी तरह से किया जाए, तो इस दौरान कोई चुभन नहीं होती है। अगर आपके आंखों के आसपास की एरिस सेंसिटिव है, तो आईलैश एक्टेंशन से पहले अपने प्रोफेशनल को जरूर बताएं।
क्या लैशेज को पानी से साफ किया जा सकता है?
एक्सपर्ट का मानना है कि आईलैश एक्सटेंशन कराने के बाद भी आप अपने चेहरे और पलकों को रोजाना की तरह धो सकती हैं। इसके अलावा आप स्वीमिंग भी कर सकती हैं और नहा भी सकती हैं। हालांकि आपको हमेशा ऑयल-फ्री क्लींजर से दिन में एक बार आईलैशेज को साफ करना चाहिए और पलकों पर नमक पानी का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए।
कितने टचअप सेशन की जरूरत होती है?
आईलैशेज की नैचुरल ग्रोथ हर व्यक्ति में अलग-अलग होती है। इसकी ग्रोथ के अनुसार ही 2 से 3 हफ्तों के बीच टचअप सेशन की जरूरत पड़ती है। चूंकि ये नैचुरल लैशेज नहीं होती हैं, इसलिए एक्टेंशन के बाद ज्यादा टूटती नहीं हैं।
क्या इस प्रक्रिया में दर्द होता है?
कोई भी ब्यूटी ट्रीटमेंट लेते समय आपके चेहरे पर असहजता आना स्वाभाविक है। हालांकि आईलैश एक्सटेंशन की प्रक्रिया में दर्द नहीं होता है। पूरी प्रक्रिया तब होती है जब आप आंख बंद करती हैं। लैश एक्टेंशन को आंखों के बीच ग्लू किया जाता है, इस दौरान आप थोड़ी असहज हो सकती हैं।
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