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हार्ट अटैक से ठीक होने के बाद भी पूरी तरह स्वस्थ नहीं होता शरीर

HARRY
4 Jun 2023 5:56 PM GMT
हार्ट अटैक से ठीक होने के बाद भी पूरी तरह स्वस्थ नहीं होता शरीर
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जानिए क्या-क्या हो सकती हैं दिक्कतें?

जनता से रिश्ता वेब्डेस्क | हार्ट अटैक एक गंभीर और जानलेवा स्थिति है, जो हृदय में रक्त के संचार में होने वाली समस्याओं के कारण होता है। कोविड-19 महामारी के बाद से लोगों में हृदय रोगों का जोखिम काफी तेजी से बढ़ता देखा जा रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, लाइफस्टाइल और आहार में गड़बड़ी के साथ कोरोना संक्रमण ने लोगों में हृदय रोगों के जोखिमों को काफी बढ़ा दिया है, लिहाजा कम उम्र के लोग भी हार्ट अटैक के शिकार हो रहे हैं।

हार्ट अटैक के बाद समय पर सीपीआर और अन्य उपचार मिल जाएं तो रोगी का जान बचाई जा सकती है। हालांकि जान बचने का मतलब यह नहीं है कि आप पूरी तरह से स्वस्थ हो गए हैं। हार्ट अटैक के बाद शरीर में कई प्रकार के बदलाव आने लगते हैं जिनपर गंभीरता से ध्यान देते रहने की आवश्यकता है।

हार्ट अटैक से ठीक हो गए हैं तो आपको हृदय का और भी ख्याल रखने की आवश्यकता है। अधिकांश मामलों में दिल के दौरे, धमनियों के तत्काल ब्लॉकेज या लंबे समय से जारी रुकावट के परिणामस्वरूप होते हैं। नतीजतन, हार्ट अटैक के बाद भी हृदय की मांसपेशियों को पोषक तत्वों और रक्त की आपूर्ति में दिक्कत होती रह सकती है। इससे अनियमित दिल की धड़कन, हृदय की मांसपेशियों में कमजोरी होने जैसी समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है।

एक हालिया शोध से पता चला है कि दिल का दौरा पड़ने के बाद तेजी से मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट आ सकती है जो 6 साल बाद मस्तिष्क की स्थिति के बराबर हो सकती है। जेएएमए न्यूरोलॉजी में प्रकाशित इस अध्ययन में विशेष रूप से मस्तिष्क की उम्र बढ़ने की सामान्य प्रक्रिया पर हार्ट अटैक के प्रभावों की जांच की गई थी। उम्र बढ़ने के साथ लोगों की सोचने की क्षमता, याददाश्त और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता कम होने लगती है। हार्ट अटैक के बाद यह जोखिम काफी तेजी से बढ़ जाता है।

शोधकर्ताओं ने दिल का दौरा और स्ट्रोक जैसी हृदय संबंधी समस्याओं को संज्ञानात्मक विकारों से जोड़ा है। हार्ट अटैक के शिकार रहे प्रतिभागियों में अन्य लोगों की तुलना में सोचने-याददाश्त और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में जल्दी कमी आने के जोखिम देखे हैं। पुरुषों की तुलना में हार्ट अटैक की शिकार महिलाओं में यह जोखिम और भी अधिक देखा गया है।

हार्ट अटैक के बाद चूंकि हृदय के साथ आपकी वाहिकाओं की भी कई दिक्कतें बढ़ जाती है जो आपकी लाइफ एक्सपेक्टेंसी को कम कर सकती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि हार्ट अटैक के बाद सामान्य लोगों की तुलना में लाइफ एक्सपेक्टेंसी 8-10% तक कम हो सकती है। उदाहरण के लिए, बिना हृदय रोग वाले व्यक्ति की मृत्यु अगर 85 वर्ष की आयु के आसपास होती है तो दिल का दौरा पड़ने की स्थिति में लाइफ एक्सपेक्टेंसी 10% या 8.5 वर्ष तक कम हो सकती है, हालांकि इसके लिए कई और फैक्टर भूमिका निभाते हैं।

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