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लाइफ स्टाइल
न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है मिर्गी, इस उपायों के जरिये बचाई जा सकती है जान
Kajal Dubey
16 July 2023 2:27 PM GMT
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मिर्गी एक ऐसी बीमारी है जो नर्वस सिस्टम को प्रभावित करती है। यह दिमाग में अचानक इलेक्ट्रिसिटी एक्टिविटीज में गड़बड़ होने के कारण पनपती है। ज्यादातर यह बच्चों और बुजुर्गों में होती हैं क्योंकि दोनों की ही इम्यूनिटी बहुत कमजोर होती है। महिलाओं की तुलना में यह पुरुषों में थोड़ा अधिक होती है। तेज बुखार, सिर में चोट, ब्लड शुगर कम होना आदि मिर्गी के दौरे का कारण बन सकते हैं। इसके दौरे में ऐंठन और मांसपेशियों में गड़बड़ होने लगती है। यह कुछ सेकंड से लेकर कई मिनट तक रह सकता है।
यह एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है। यह हमारे नर्व सेल से जुड़ी एक समस्या है। जिसमें मस्तिष्क की तंत्रिकाओं को नुकसान पहुंचता है और उनका कार्य प्रभावित होता है। आमतौर मिर्गी का दौरा मस्तिष्क की कोशिकाओं के भीतर अनियंत्रित विद्युत गतिविधि के कारण फटने से पड़ता है। मस्तिष्क स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जैसे ब्रेन ट्यूमर, स्ट्रोक, डिमेंशिया आदि शामिल हैं। हालांकि इसके लिए कई अन्य कारण भी जिम्मेदार हो सकते हैं। यह बीमारी किसी भी उम्र में शुरु हो सकती है।
मिर्गी के दौरे की पुष्टि के लिए व्यक्ति के लिए ब्लड टेस्ट और मस्तिष्क की स्क्रीनिंग आदि की जाती है। इसके इलाज के लिए डॉक्टर दवाओं के साथ ही, खानपान और जीवनशैली में बदलाव की सलाह देते हैं। इसका इलाज लंबे समय तक चलता है, कुछ मामलों में 2-3 साल तक व्यक्ति को दवाएं लेने पड़ती हैं। वहीं कुछ मामलों में जिंदगी भर भी दवाओं की जरूरत पड़ सकती है। इसके अलावा जरूर पड़ने पर डॉक्टर सर्जरी का विकल्प भी चुन सकते हैं।
मिर्गी का दौरा पड़ने के कारण
'न्यूरॉन्स' के सही सिग्नल देने से हमारा मस्तिष्क काम करता है। जब इसमें किसी तरह की बाधा आ जाती है तो दिमाग धीरे-धीरे अपना काम करना बंद कर देता है, जिस वजह से रोगी को मिर्गी आ जाती है। इसके अलावा सिर पर चोट लगने, ज्यादा शराब पीने, ब्रेन ट्यूमर, लकवे या मासिक धर्म में गड़बड़ी और मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी होने पर मिर्गी का दौरा पड़ सकता है।
आज हम अपने पाठकों को कुछ ऐसे उपाय बताने जा रहे हैं जो मरीज को मिर्गी के इस दौरे से आराम दिलाने में मदद करेंगे।
हवा आने दें
मिर्गी के दौरान सबसे जरूरी है कि रोगी को ठीक से सांस आती रहे और इस दौरान आप ये सुनिश्चित करें कि जगह खुली हो। इसके अलावा अगर व्यक्ति ने बहुत तंग कपड़े पहनें हैं तो उसके कपड़े ढीले करें और गले में किसी भी प्रकार के तंग कपड़े को न रखें। ऐसा करने से उसे सहज महसूस कराने में मदद मिलेगी।
नुकीली चीज न हो पास
इस बात का ध्यान रखें कि मिर्गी का दौरा पड़ने पर रोगी के आस-पास कांच, शीशा या फर्नीचर जैसी कोई नुकीली चीज न हो, जिससे कि उसे चोट लग सकती है। मिर्गी का दौरा खत्म होने तक व्यक्ति के साथ रहकर उसे सपोर्ट दें ताकि उसे किसी प्रकार की चोट न पहुंचे।
डॉक्टर को बुलाएं
मिर्गी का दौरा पड़ने पर आपको समय रहते डॉक्टर से बात करने की जरूरत है ताकि स्थिति गंभीर न हो। सामान्य रूप से पड़ने वाला मिर्गी का दौरा 20 सेकंड से लेकर 2 मिनट के बीच रहता है। इस दौरान आप डॉक्टर से बात करे उचित सलाह ले सकते हैं।
इमरजेंसी कॉन्टेक्ट करें
आप रोगी के परिवार के सदस्यों से कॉन्टेक्ट करने के लिए व्यक्ति के बैग या बटुए को टटोल सकते हैं। जब तक व्यक्ति पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाता तब तक उसके जबड़ों के बीच कुछ भी रखने या उसे पीने के लिए कुछ भी देने से बचें।
मुंह साफ करें
जब दौरा खत्म हो जाए तो रोगी को एक तरफ करवट लेकर वायुमार्ग को साफ करने का प्रयास करें। दरअसल दौरे के दौरान रोगी की जीभ पीछे हट जाती है और उनकी सांस रुक सकती है। इसलिए व्यक्ति को एक तरफ कर दें और उसका जबड़े की ओर रखें जिससे उनके मुंह से भोजन को उल्टी के माध्यम से बाहर निकालने में मदद मिलेगी।
इनके अतिरिक्त कुछ ऐसे घरेलू उपाय हैं जिन्हें आजमाकर आप इस बीमारी से मुक्त हो सकते हैं—
नींबू
मिर्गी की बीमारी से राहत पाने के लिए एक नींबू पर थोड़ा-सा हींग का पाउडर छिड़ककर इसे चूसें। नीबू में हींग पाउडर या गोरखमुंडी मिलाकर रोजाना चूसने से कुछ ही दिनों में मिर्गी के दौरे आने बंद हो जाएंगे।
यूं तो गांजा देशभर में पूरी तरह बैन है। लेकिन मेडिकल ट्रीटमेंट के दौरान इसका उपयोग किया जा सकता है। आपको बता दें कि इसके जरिए मिर्गी के मरीजों में बहुत तेजी से सुधार हो सकता है। मिर्गी से पीड़ित रोगियों को सीमित मात्रा में ही इसकी खुराक दी जानी चाहिए। वहीं बच्चों पर इसका उपयोग बहुत ही सीमित होना चाहिए।
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