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क्या आपको भी अक्सर आते रहते हैं बुरे सपने, जानिए इसके कारण

Tara Tandi
12 Jun 2022 2:08 PM GMT
Do you often have nightmares, know the reason for this
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रात में सपने आना काफी सामान्य है। यह सामान्यतौर पर दैनिक जीवन में आपके साथ होने वाली घटनाओं पर आधारित माने जाते हैं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। रात में सपने आना काफी सामान्य है। यह सामान्यतौर पर दैनिक जीवन में आपके साथ होने वाली घटनाओं पर आधारित माने जाते हैं। कुछ लोग रात के समय अक्सर डरावने सपने आने की शिकायत करते हैं, यह स्थिति आपको काफी असहज कर सकती है। डरावने सपने को सिर्फ इसके डर तक ही सीमित करके देखना सही नहीं है। बार-बार ऐसे सपने आना गंभीर न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर की तरफ संकेत भी हो सकता है।

एक हालिया अध्ययन से पता चलता है कि रात में डरावने सपने आना पार्किंसंस जैसे रोग की तरफ इशारा हो सकता है, ऐसे में इसके अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए।
यूके स्थित बर्मिंघम विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि जिन वयस्कों को अक्सर बुरे सपनों का अनुभव होता रहता है, उनमें पार्किंसंस रोग के शुरुआती लक्षण दिखाई दे सकते हैं। पार्किंसंस रोग, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का एक विकार है जो आपके दैनिक जीवन के कामकाज को प्रभावित करता है। इसमें लोगों को अंगों में कंपन की समस्या होती रहती है। यदि आपको भी अक्सर बुरे सपने आते रहते हैं तो इस बारे में सावधान हो जाने की आवश्यकता है।
बुरे सपने और पार्किंसंस रोग
ई-क्लिनिकल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित अध्ययन से पता चलता है कि जिन वयस्कों को अक्सर बुरे सपने आते रहते हैं, उनमें अन्य लोगों की तुलना में उम्र बढ़ने के साथ पार्किंसंस रोग होने का खतरा दो गुना अधिक हो सकता है। इससे पहले के अध्ययनों में बताया जाता रहा है कि पार्किंसंस रोग की समस्या वाले लोगों को अधिक बार बुरे सपनों का अनुभव हो सकता है। हालांकि बुरे-डरावने सपनों को पहली बार पार्किंसंस रोग के जोखिम कारक के तौर पर स्पष्ट किया गया है।
अध्ययन में क्या पता चला?
इस अध्ययन के लिए अमेरिकी वैज्ञानिकों ने 12 साल की अवधि में 3,818 लोगों के डेटा का अध्ययन किया। इसमें जिन लोगों ने सप्ताह में कम से कम एक बार बुरे सपने आने की समस्या के बारे में सूचित किया, उनके जोखिम कारकों को समझने के लिए शोधकर्ताओं की टीम ने विस्तृत फॉलोअप किया। अध्ययन के दौरान ऐसे 91 लोगों में पार्किंसंस रोग का निदान किया गया। ज्यादातर मामले अध्ययन के पहले पांच वर्षों में देखने को मिले। इस अवधि के दौरान बार-बार बुरे सपने देखने के बारे में सूचित करने वाले लोगों में पार्किंसंस विकसित होने की आशंका तीन गुना से अधिक पाई गई।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
अध्ययन के बारे में बर्मिंघम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ. अबिदेमी ओटाइकू बताते हैं, पार्किंसंस रोग का जितना जल्दी निदान हो जाए, यह स्थिति को बिगड़ने से बचाने में उतना ही फायदेमंद हो सकता है। अब तक इसके लिए महंगे परीक्षणों की आवश्यकता होती रही है, हालांकि इस अध्ययन से यह स्पष्ट हो जाता है कि अगर आपको बार-बार बुरे सपने आने की समस्या हो रही है तो इसे एक संकेत के रूप में देखा जा सकता है। इस आधार पर समय रहते रोग का निदान भी करना आसान हो सकता है।
अध्ययन का निष्कर्ष
अध्ययन के परिणाम से पता चलता है कि यदि आपको भी बार-बार बुरे-डरावने सपने आने की दिक्कत हो रही हो तो कुछ साल के भीतर आपमें पार्किंसंस रोग के निदान की आशंका दोगुना तक बढ़ जाती है। अध्ययन से यह भी पता चलता है कि सपने, हमारे मस्तिष्क की संरचना और कार्य के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रकट कर सकते हैं। इसे तंत्रिका विज्ञान अनुसंधान के लिए एक महत्वपूर्ण आधार के रूप में भी देखा जा सकता है।
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