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COVID-19 बीमारी के लक्षणों को और भी बढ़ा रहा तंबाकू का सेवन...जानें कितना बढ़ सकता है खतरा

Gulabi
30 Oct 2020 4:22 AM GMT
COVID-19 बीमारी के लक्षणों को और भी बढ़ा रहा तंबाकू का सेवन...जानें कितना बढ़ सकता है खतरा
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सिगरेट पीकर भले ही आपको लगता हो कि काम और लाइफ की टेंशन थोड़ी कम हो रही है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सिगरेट पीकर भले ही आपको लगता हो कि काम और लाइफ की टेंशन थोड़ी कम हो रही है लेकिन हेल्थ के नजरिए से ये टेंशन बढ़ाने वाली आदत है, क्योंकि स्मोकिंग आपके लंग्स को डैमेज करने का काम करता है और कोविड-19 की महामारी के दौरान बहुत ही जरूरी है अपने फेफड़ों को हेल्दी रखना। हाल-फिलहाल महामारी के साथ पॉल्यूशन भी बहुत बड़ा रोल निभा रहा है फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने में और ऊपर से ये सिगरेट का धुंआ। तो यही सबसे अच्छा मौका है सिगरेट छोड़ने का। सिगरेट का धुंआ सिर्फ पीने वालों को ही नहीं, बल्कि आसपास के लोगों को भी नुकसान पहुंचाता है। जिससे उनमें भी इंफेक्शन होने की संभावना बनी रहती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी कहा है कि तंबाकू का इस्तेमाल कोविड-19 बीमारी के लक्षणों के गंभीर होने का खतरा बढ़ा देता है। धूम्रपान नहीं करने वालों की तुलना में, धूम्रपान करने वाले मरीजों पर कोविड-19 के दुष्प्रभाव का खतरा ज्यादा रहता है। ऐसे लोगों को आईसीयू में भर्ती करने, वेंटिलेटर पर रखने की जरूरत ज्यादा होती है। ऐसे लोगों को स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

तो ध्रूमपान छोड़ने का इससे अच्छा समय हो ही नहीं सकता। तम्बाकू छोड़ने के लिए कम से कम 41 दिन का समय चाहिए होता है। अगर तीन महीने तक कोई तम्बाकू नहीं लेता या स्मोकिंग नहीं करता तो वापस इसे शुरू करने की आशंका 10 फीसदी से भी कम रह जाती है।

ध्रूमपान छोड़ते ही शरीर में होते हैं ये पॉजिटिव बदलाव

1 महीने बाद फेफड़े खुद को रिपेयर करने लगते हैं। खांसी कम होती है और सांस लेना आसान हो जाता है।

1 साल बाद हार्ट प्रॉब्लम्स का खतरा कम हो जाता है और फर्टिलिटी बढ़ती है।

12 मिनट बाद रक्त से कार्बन मोनो ऑक्साइड का लेवल सामान्य होने लगता है।

20 मिनट बाद स्मोकिंग के दौरान बढ़ी हुई हृदय की धड़कन और ब्लड प्रेशर गिरने लगता है।

2 दिन बाद खुशबू और स्वाद महसूस करने लगते हैं क्योंकि नसें खुद को रिपेयर करती हैं।

5 साल बाद धमनियों में रक्त का संचार बेहतर होता है और कई तरह के कैंसर का खतरा घटता है।

10 साल बाद फेफड़ों के कैंसर का खतरा लगभग न के बराबर रह जाता है।

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