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कोरोना और इसके दुष्प्रभाव, महामारी के पश्चात आश्चर्यजनक रूप बीमारियों में हुई बढ़ोतरी
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | वैश्विक स्तर पर जारी कोरोना महामारी ने सेहत को कई प्रकार से प्रभावित किया है। संक्रमण के दौरान जहां लोगों को कई प्रकार की स्वास्थ्य जटिलताओं का सामना करना पड़ा, वहीं संक्रमण से ठीक होने के बाद भी कई लोगों में बनी लॉन्ग कोविड की समस्या चिंता बढ़ाने वाली है। अध्ययनकर्ता बताते हैं कि कोरोना के संक्रमण ने लोगों की सेहत को दीर्घकालिक रूप से प्रभावित किया है।
महामारी ने जहां मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हुए चिंता विकार-अवसाद के मामले बढ़ा दिए वहीं शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं में भी पिछल दो वर्षों में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। आज विश्व स्वास्थ्य दिवस 2023 के मौके पर आइए इन समस्याओं पर एक नजर डालते हैं।
डॉक्टर्स कहते हैं, महामारी के दौरान उपजी परिस्थितियों ने लोगों में शारीरिक निष्क्रियता को काफी बढ़ा दिया है जिसके कारण बीमारियों का खतरा भी अधिक हो गया है। पोस्ट कोविड सिंड्रोम की समस्या के साथ संक्रमण की स्थितियों ने शरीर के कई अंगों को प्रभावित किया है। आइए जानते हैं कि महामारी के बाद किन क्रोनिक रोगों के मामले अधिक रिपोर्ट किए जा रहे हैं?
हृदय रोग-हार्ट अटैक के मामले
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, कोरोना महामारी के बाद लोगों में हृदय रोगों की समस्या काफी तेजी से बढ़ी है, कई ऐसे लोग जिन्हें पहले इस तरह की दिक्कतें नहीं थीं, उनमें भी इससे संबंधित समस्याओं का निदान किया जा रहा है। इसके अलावा आश्चर्यजनक तौर पर हार्ट अटैक के मामले भी देखे गए हैं, जिसमें शादी-उत्सवों के दौरान दिल का दौरा पड़ने, काम करते हुए और जिम में भी लोग हार्ट अटैक के शिकार हुए हैं।
कोरोना महामारी के बाद कार्डियोवैस्कुलर या हृदय की जटिलताओं जैसे दिल का दौरा, स्ट्रोक, हृदय की गति में अनियमितता और रक्त के थक्के जमने का खतरा बढ़ा हुआ देखा जा रहा है।
श्वसन विकारों का खतरा
कोरोना वायरस, श्वसन रोगों का कारण बनती है। संक्रमण का शिकार रहे लोगों के अलावा भी अन्य लोगों में इस तरह के विकारों के मामले बढ़े हैं। कोविड-19 के कारण लगातार खांसी आने, सांस की तकलीफ, सीने में जकड़न आदि हो सकती है। ये अस्थमा या क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी पहले से मौजूद श्वसन स्थितियों के जोखिम को बढ़ाने वाली समस्याएं हैं। श्वसन विकारों के नए रोगी भी तेजी से बढ़े हैं।
मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं
कोरोना महामारी ने ऐसी अनिश्चितता और डर वाली स्थितियों को जन्म दिया जिसके कारण मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के मामले में 40 फीसदी तक का इजाफा देखा गया है। चिंता, अवसाद, याददाश्त की समस्याएं, एकाग्रता में कमी जैसी स्थितियां जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करती हैं। महामारी के दौरान अपनों से दूरी, लोगों को असहज रूप से मरते देखने ने मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
क्या कहते हैं स्वास्थ्य विशेषज्ञ?
इंटेंसिव केयर यूनिट के डॉक्टर उत्कर्ष सिन्हा कहते हैं, कोरोना वायरस भले ही श्वसन रोगों का कारण माना जाता रहा हो पर इसके कारण शरीर के कई अन्य अंगों पर भी असर देखा गया है। यह न केवल फेफड़ों को प्रभावित करता है बल्कि किडनी, हृदय और मस्तिष्क को भी नुकसान पहुंचाता है। पिछले एक-दो साल में दिल का दौरा, किडनी की बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर-डायबिटीज जैसी क्रोनिक स्वास्थ्य समस्याओं के मामले काफी बढ़े हैं।
महामारी ने पुरानी बीमारियों के निदान, उपचार और देखरेख में काफी बाधा डाली है जिसके कारण पहले से ही कई बीमारियों के शिकार लोगों की स्थिति भी बिगड़ी है।