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तेल खाने को इतना हौव्वा बना दिया गया है कि हममें से ज़्यादातर लोग न केवल इससे डर गए हैं, पर हमारे मन में इससे जुड़ी कई ग़लतफ़हमियों ने भी जगह बना ली है. जेमिनी राइस ब्राइन ऑइल की न्यूट्रिशनल थेरैपिस्ट और ब्रैंड ऐम्बेसेडर रचना छाछी ने तेल से जुड़ी कई आम ग़लतफ़हमियों को दूर करने में हमारी मदद की. साथ ही उन्होंने तेल खाने के फ़ायदे तो बताए ही, यह भी सुझाया कि आपके लिए कौन-सा तेल खाना अधिक सही रहेगा.
क्यों खाते हैं हम तेल?
ऑइल और फ़ैट की भोजन को स्वादिष्ट बनाने में बड़ी भूमिका होती है. टेस्ट की बात छोड़ दें तो भी ये हमारे शरीर के लिए बेहद ज़रूरी पोषक तत्वों में से एक हैं. ये शरीर में ऑइल सोल्यूबल विटामिन्स, जैसे-ए, डी और ई के अवशोषण में मददगार होते हैं. इतना ही नहीं हमारे जोड़ों की चिकनाई बनाए रखते हैं. सूजन कम करने में मदद करते हैं.
इतने फ़ायदों के बावजूद तेल को लेकर लोगों के मन में ग़लतफ़हमी बरकरार रहती है. ख़ासकर कितना तेल और कौन-सा तेल यूज़ करना चाहिए. टेक्निकली देखा जाए तो जब सैचुरेटेड और अन सैचुरेटेड फ़ैट्स की मात्रा में असंतुलन होता है तो इसका दुष्प्रभाव हम पर भारीर पड़ता है. सीधे तौर पर किसी तेल को अच्छा या बुरा कह देना सही नहीं होता. यानी बात बैलेंस की है.
हमें यह तेल के स्मोक पॉइंट का ध्यान रखना चाहिए. और स्मोक पॉइंट के नीचे ही इसका इस्तेमाल करना चाहिए. स्मोक पॉइंट के ऊपर जाने पर तेल कैंसरकारी हो सकता है. आइए ऑइल और फ़ैट्स के बारे में बनी-बनाई ग़लतफ़हमियों पर से पर्दा हटाते हैं.
सन फ़्लावर, राइस ब्रान और सरसों का तेल
इन तेलों को आप तेज़ आंच पर की जानेवाली कुकिंग और डीप फ्राय के लिए कर सकती हैं. इन तीनों तेलों का स्मोक पॉइंट 227 डिग्री सेल्सियस है. जब हम डीप फ्राय करते हैं, तब तेल का तापमान 177 डिग्री सेल्सियस तक हो जाता है. चूंकि इन तेलों का स्मोक पॉइंट अधिक है, इसलिए डीप फ्राय के लिए ये सेफ़ हैं. भारतीय खाने में ढेर सारे मसाले इस्तेमाल किए जाते हैं, जिन्हें तेज़ आंच पर भुना जाता है और इसके अलावा तड़का का सिस्टम भी है. इस काम में इन तीनों तेलों का इस्तेमाल किया जा सकता है. ये तीनों तेल दिल की सेहत के लिहाज़ से अच्छे माने जाते हैं. अगर राइस ब्रान ऑयल नियंत्रित मात्रा में खाया जाए तो इसमें दिल की सुरक्षा करने वाले गुण होते हैं.
एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल और अलसी (फ़्लैक्सीड) का तेल
चूंकि एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल को सबसे हेल्दी तेल कहकर प्रचारित किया जाता है, ज़्यादातर लोग अपने रोज़ाना के खानपान में इसका इस्तेमाल करके सेहत को लेकर निश्चिंत हो जाते हैं, जो कि बिल्कुल ग़लत है. दरअस्ल, हर तरह की चीज़ें एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल में पकाना ख़तरनाक हो सकता है, क्योंकि इसका स्मोक पॉइंट बहुत कम यानी 160 डिग्री सेल्सियस है. जब हम इस तेल में भारतीय अंदाज़ में कुकिंग करते हैं तब इसका तापमान इसके स्मोक पॉइंट के ऊपर चला जाता है, जिसके कारण बेहतरीन ऐंटी-इन्फ़्लैमेटरी गुणों वाला यह तेल कैंसरकारक बन जाता है. यही बात वर्जिन फ़्लैक्सीड ऑइल पर भी लागू होती है.
खानपान में इन बेहद स्वास्थ्यवर्धक तेलों का इस्तेमाल रॉ फ़ूड मटेरियल्स, सलाद और स्मूदीज़ में ही करना चाहिए. इन्हें ग्लास बॉटल में स्टोर करके रखना चाहिए, बजाय प्लास्टिक के कंटेनर में. एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल और अलसी का तेल ओमेगा-3 फ़ैटी एसिड के गुणों से भरपूर होते हैं, जिसके चलते बैड-कोलेस्टेरॉल को कम करते हैं और शरीर में किसी भी तरह की सूजन को भी कम करने में मददगार होते हैं. ओमेगा-3 फ़ैटी एसिड डिप्रेशन, स्ट्रेस, मूड स्विंग, पीरियड क्रैम्प्स, अस्थमा से बचाव आदि में बेहद कारगर है. हालांकि शर्त यही है कि इन्हें कम तापमान पर खाया जाए. इन दोनों तेलों को सलाद के साथ खाकर इनका बेहतरीन फ़ायदा पाया जा सकता है.
सैचुरेटेड ऑयल्स
नारियल तेल, मक्खन, घी आदि सैचुरेटेड ऑयल्स की कैटेगरी में आते हैं. इनका स्मोक पॉइंट 177 डिग्री सेल्सियस है. खानपान में इनका इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए, क्योंकि सैचुरेटेड फ़ैट से शरीर में ट्रायग्लिसराइड्स और कोलेस्टेरॉल की मात्रा बढ़ जाती है, जो आगे चलकर पेट से जुड़े और प्रोस्टेट कैंसर के लिए ज़िम्मेदार हो सकते हैं. ज़्यादातर लोग तड़के के लिए मक्खन, घी या नारियल के तेल का इस्तेमाल करते हैं. ऐसा करने के दौरान इनका तापमान 1777 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चले जाने की संभावना होती है. इसके चलते इन तेलों के कैंसरकारक होने के चांसेस भी बढ़ जाते हैं.
तो तेल खाने का क्या हो सही तरीक़ा?
जैसा कि आपने जाना कि कोई भी तेल हमारी सेहत के लिए ख़राब नहीं होता, बल्कि उसका असंतुलन हमारे शरीर पर विपरीत प्रभाव डालता है. बेहतर यही होगा कि अपने खानपान में तेल और वसा का कम से कम इस्तेमाल करें. तलने और डेली कुकिंग के लिए सनफ़्लावर ऑयल, सरसों का तेल या राइस ब्रान ऑइल का इस्तेमाल करें. सैचुरेटेड फ़ैट्स की अधिकतावाले मक्खन, घी और नारियल तेल का इस्तेमाल रोज़ाना न करें. एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल और फ़्लैक्सीड ऑयल का इस्तेमाल कम तापमान पर बननेवाले व्यंजनों और सलाद में करें.
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