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हार्मोन कंट्रोल करने के लिए डाइट में करें इन चीजों से परहेज
आप भी अपने में इस तरह का बदलाव महसूस कर रहे है तो सबसे पहले अपनी डाइट में बदलाव कीजिए। अपनी डाइट से उन चीजों को निकाल दीजिए जो हार्मोनल इम्बैलेंस के लिए जिम्मेदार है। आइए जानते है कि हार्मोनल इम्बैलेंस को कंट्रोल करने के लिए आप अपनी डाइट से किन चीजों को निकाल सकते है।
इन सब्जियों से करें परहेज:
हार्मोनल इम्बैलेंस में बैंगन, मिर्च, आलू और टमाटर जैसी कुछ सब्जियों को कम मात्रा में खाने की सलाह दी जाती है। इन सब्जियों को आपके स्वास्थ्य के लिए बुरा माना जाता है क्योंकि इससे शरीर में सूजन हो सकती है। यहां तक कि कुछ क्रूसिफायर सब्जियां जैसे फूलगोभी, ब्रोकोली, और केल से हार्मोनल इम्बैलेंस बढ़ सकता है।
रेड मीट से परहेज करें:
रेड मीट संतृप्त और हाइड्रोजनीकृत वसा से भरपूर भोजन है इसलिए इससे परहेज करें। डिब्बा पैक मांस का सेवन करने से भी परहेज करें। अनहेल्दी फेट एस्ट्रोजेन हार्मोन को बढ़ा सकता है और हार्मोनल असंतुलन को और अधिक बिगाड़ सकता है। रेड मीट के बजाय आप अंडे और वसायुक्त मछली लें। मछली में एंटी इंफ्लामेट्री गुण होते हैं, साथ ही इसमें ओमेगा -3 फैटी एसिड भी पाया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा है।
स्टीविया से परहेज करें:
स्टीविया एक प्राकृतिक स्वीटनर है जिसे सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है। ये रिफाइंड शुगर है। यदि आप गर्भवती हैं या किसी हार्मोनल परेशानी से पीड़ित हैं,तो स्टेविया से परहेज करें। स्टेविया की थोड़ी मात्रा बहुत नुकसान नहीं पहुंचा सकती है, लेकिन स्टेविया का अधिक सेवन आपकी प्रजनन क्षमता या पीरियड को प्रभावित कर सकता है। मिठास के लिए सबसे अच्छा विकल्प शहद या गुड़ है।
सोया प्रोडक्ट से करें परहेज:
आमतौर पर सोयाबीन और सोया उत्पाद स्वास्थ्य के लिए अच्छे माने जाते हैं। कुछ लोग सिर्फ डेयरी और सोया उत्पादों का सेवन करते हैं। हालांकि,डेयरी उत्पादों का सेवन आपकी सेहत के लिए फायदेमंद नहीं है। खासकर जब आप हार्मोनल असंतुलन से पीड़ित हैं।
डेयरी उत्पाद से परहेज करें:
दूध और अन्य डेयरी उत्पाद पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों में से एक हैं जो हमें स्वस्थ और फिट रख सकते हैं। डेयरी उत्पाद कैल्शियम का एक समृद्ध स्रोत हैं, लेकिन आपको इसका इस्तेमाल करने के लिए थोड़ा सतर्क रहना होगा क्योंकि वे आपके हार्मोन संतुलन को बाधित कर सकते हैं। डेयरी उत्पादों से सीबम उत्पादन में वृद्धि होती है और त्वचा की समस्याओं से ग्रस्त लोगों में मुँहासे बढ़ जाते हैं।