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आंखें हमारी पांच ज्ञानेंद्रियों में से एक है. पर इन दिनों हम आंखों का यूज़ नहीं, अब्यूज़ कर रहे हैं. टेक्नोलॉजी के इस दौर में हम उसका हद से ज़्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं. सुबह उठते ही स्क्रीन पर लग जाते हैं और रात को सोने तक स्क्रीन में ही आंखें घुसाए रहते हैं. उसके चलते आंखों की कई समस्याएं पैदा हो गई हैं. आइए आज आंखों की एक बीमारी मैक्यूलर डीजनरेशन (एमडी) या एज रिलेटेड मैक्यूलर डीजनरेशन (एएमडी) के बारे में जानते हैं.
महिलाओं में ज़्यादा दिखते हैं इसके मामले
वैसे तो यह बीमारी उम्रदराज़ लोगों में बड़ी कॉमन है, पर क्या आप जानते हैं यह बीमारी पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक होती है. इसका बड़ा ही तार्किक कारण है-ऐसा इसलिए होता है क्योंकि महिलाओं की औसत उम्र पुरुषों की औसत उम्र से अधिक होती है. वर्ष 2016 के ग्लोबल डेटा हेल्थकेयर के एक अध्ययन के मुताबिक़ एएमडी के कुल मामलों में 65.76 फ़ीसदी मामले महिलाओं में पाए जाते हैं, जबकि पुरुषों में इसका प्रतिशत 34.24 था.
क्या है एज रिलेटेड मैक्यूलर डीजनरेशन?
नई दिल्ली स्थित एम्स के पूर्व चीफ़ और सीनियर कंसल्टेंट विट्रोरेटिनल सर्जन डॉ राजवर्धन आज़ाद दे रहे हैं एएमडी के बारे में जानकारी, ताकि आपकी आंखें रहें सुरक्षित हमेशा. एज रिलेटिड मैक्यूलर डीजनरेशन यानी एएमडी या एमडी को साधारण भाषा में समझा जाए तो जिस तरह कैमरे में मौजूद फ़िल्म पर तस्वीर बनती है, ठीक उसी तरह से हमारी आंखों के रेटिना में तस्वीर बनती है. अगर रेटिना ख़राब हो जाए तो आंखों की रौशनी जा सकती है. कुछ ऐसी ही बीमारी है एएमडी, इसमें बढ़ती उम्र के साथ रेटिना का मैक्यूला वाला भाग धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त होने लगता है, जिसे दोबारा ठीक करना मुमक़िन नहीं है. इस बीमारी के चलते दुनियाभर में कई लोग अंधेपन का शिकार हो जाते हैं. आमतौर पर यह बीमारी बुज़ुर्गों में होती है. यदि आपके माता-पिता या घर के दूसरे सीनियर सदस्यों को निम्न कुछ शिकायतें हों तो उन्हें नज़रअंदाज़ न करें.
इन लक्षणों पर रखें नज़र
* धुंधला दिखाई देना: आमतौर पर जब बुज़ुर्गों को धुंधला दिखाई देने लगता है तो वे इसे मोतियाबिंदु मान लेते हैं, पर धुंधला दिखना केवल मोतियाबिंदु का लक्षण नहीं है. अत: यदि आपके पैरेंट्स या घर के किसी दूसरे बुज़ुर्ग को धुंधला दिखना शुरू हो तो उन्हें तुरंत किसी नेत्ररोग विशेषज्ञ के पास ले जाएं.
* सेंटर विज़न में धब्बा दिखना: अगर देखते समय आंखों के बीच में धब्बा महसूस हो तो यह एएमडी हो सकता है. अगर यह धब्बा बढ़ता जाए तो आंखों की रौशनी खोने का डर रहता है.
* रंगों के प्रति संवेदनशीलता: अगर विपरीत रंगों में संवेदनशीलता महसूस हो तो यह अलर्ट होने का समय है.
* लहराती रेखाएं दिखना: सीधी दिखने वाली रेखाएं लहराती या तिरछी दिखना भी एएमडी का लक्षण है.
* दूर से देखने में परेशानी होना: अगर आपको दूर की चीज़ें देखने में परेशानी हो रही है तो आपको लगता है कि अब आपको चश्मे की ज़रूरत है, लेकिन अगर आपकी उम्र ५० से अधिक है तो यह एएमडी का लक्षण भी हो सकता है.
क्या करें आप
अगर आपकी आंखें दूर या पास का न देख पाएं या ऊपर लिखे कोई भी लक्षण महसूस हों तो तुरंत नेत्ररोग विशेषज्ञ से मिलें. आंखों से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए नेत्ररोग विशेषज्ञ से ज़रूर सलाह लें, हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि देखा जाता है कि आंखों की तक़लीफ़ होने पर लोग डॉक्टर के पास जाने के बजाय चश्मे की दुकानों पर जाते हैं. उन्हें लगता है कि चश्मा लग जाएगा तो सब ठीक हो जाएगा, पर असल में ऐसा होता नहीं. डॉक्टर्स के पास जाने पर वे आपको सीधे चश्मा नहीं थमा देते. वे ठीक तरह से जांच के बाद ही आगे के ट्रीटमेंट के बारे में सोचते हैं. वैसे भी अगर समय पर लक्षणों की पहचान कर ली जाए तो बीमारियों इलाज संभव होता है. बता दें कि एएमडी के मामले में इलाज का एक विकल्प है-एंटी वीईजीएफ़ थेरैपी. इसकी मदद से रेटिना के मैक्यूला में बढ़ते असामान्य ब्लड वेसल्स को कंट्रोल किया जाता है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आंखों की तक़लीफ़ का समय रहते इलाज न करवाया जाए तो कई मामलों में आंखों की क्षति को दोबारा ठीक करना मुमक़िन नहीं होता, इसलिए किसी भी तरह की लापरवाही से बचें.
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