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लाइफ स्टाइल
मिलावटी दूध से बच्चों और गर्भवति महिलाओं को नुकसान, ऐसे करें घर बैठें असली और नकली की पहचान
Renuka Sahu
7 Nov 2021 6:00 AM GMT
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फाइल फोटो
दूध एक ऐसी चीज है, जो हर घर की जरूरत है. हर कोई दूध पीता है. फिर चाहे बच्चे हों, बुजुर्ग हों या फिर घर के अन्य सदस्य.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दूध एक ऐसी चीज है, जो हर घर की जरूरत है. हर कोई दूध पीता है. फिर चाहे बच्चे हों, बुजुर्ग हों या फिर घर के अन्य सदस्य. हालांकि दूध में मिलावट से बेखबर हम सब कई तरह की शारीरिक समस्याओं का शिकार होने लगते हैं. ऐसे में जरूरी है कि आपको असली दूध की पहचान हो. दूध (Milk) में पानी मिलाने की बात तो छोड़िए, 10 से भी ज्यादा अलग-अलग चीजें मिलाकर सिंथेटिक दूध तैयार किया जा रहा है. इस बात का खुलासा फ़ूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FASSI) की रिपोर्ट में भी कई बार हो चुका है.
कैसे तैयार होता है नकली दूध (How is fake milk prepared)
जानकारों की मानें तो नकली दूध, पानी में मिल्क पाउडर मिलाकर भी बनाया जाता है, जिसमें मक्खन नहीं होता है. चिकनाई के लिए रिफाइंड ऑयल और शैंपू का इस्तेमाल किया जाता है. दूध में झाग बनाने के लिए वाशिंग पाउडर और दूध के सफेद रंग के लिए वाइट पेंट (सफेदा) मिलाया जाता है. दूध में मीठापन लाने के लिए ग्लूकोज डाला जाता है. इस तरह नकली दूध तैयार होता है.
मिलावटी दूध की पहचान कैसे करें (How to identify fake milk)
1. सिंथेटिक दूध की पहचान कैसे करें?
सिंथेटिक दूध स्वाद में कड़वा लगता है.
उंगलियों के बीच रगड़ने पर साबुन जैसा चिकनापन लगता है.
गर्म करने पर पीला पड़ जाता है.
2. पानी की मिलावट कैसे पहचानें?
दूध की बूंद को चिकनी सतह पर गिराएं.
अगर बूंद धीरे बहे और सफेद निशान छोड़े तो शुद्ध दूध है.
मिलावटी दूध की बूंद बिना निशान छोड़े तेजी से बह जाएगी.
3. स्टार्च की पड़ताल कैसे करें?
आयोडीन की कुछ बूंदें दूध में मिलाएं.
मिलाने पर मिश्रण का रंग नीला हो जाएगा.
4. दूध में डिटर्जेंट की पहचान
दूध की 5-10 मिलीग्राम मात्रा टेस्ट-ट्यूब में लेकर जोर से हिलाएं
अगर इसमें झाग बनने लगें, तो समझ लीजिए इसमें डिटर्जेंट की मिलावट की गई है.
बच्चों और गर्भवति महिलाओं को नुकसान
हेल्थ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि लगातार सिंथेटिक दूध पीने से कैंसर हो सकता है. दूध में कैल्शियम होता है, लेकिन सिंथेटिक दूध बनने पर इसका रिएक्शन उल्टा हो सकता है. इससे हड्डियां मजबूत नहीं होंगी, जबकि केमिकल से आंतों, लीवर को नुकसान पहुंचेगा. खासकर बच्चों और गर्भवती महिलाओं में सबसे ज्यादा इसका दुष्प्रभाव पड़ेगा.
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