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60 साल की मेहनत से कम होगा श्वसन रोगों से मृत्यु का खतरा

Rounak Dey
10 Jun 2023 6:50 PM GMT
60 साल की मेहनत से कम होगा श्वसन रोगों से मृत्यु का खतरा
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इन दो वैक्सीन को माना जा रहा है वरदान

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | लोवर रेस्पिरेटरी इंफेक्शन (एलआरआई) दुनियाभर में मृत्यु के प्रमुख कारणों में से है। आंकड़ों के मुताबिक साल 2016 में दुनियाभर में इसके कारण 2.38 मिलियन लोगों की मौत हुई। हालांकि वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अब इस मृत्युदर को काफी कम किया जा सकेगा। लगभग 60 वर्षों के प्रयास के बाद, घातक श्वसन संक्रमण रेस्पिरेटरी सिंकिटियल वायरस या आरएसवी के लिए अब टीके उपलब्ध हैं। फूड एण्ड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने अमेरिका में पिछले महीने जीएसके कंपनी की एरेक्सवी और फाइडर की एब्रिस्वो वैक्सीन को मंजूरी दी है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक फिलहाल इन दोनों वैक्सीन को 60 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए मंजूरी दी गई है। इस आयुवर्ग वालों में श्वसन संक्रमण के कारण मौत का खतरा अधिक रहा है। वैज्ञानिकों की टीम का कहना है कि हमें उम्मीद है कि ये टीके गंभीर श्वसन रोगों और इसके कारण होने वाली मृत्युदर को कम करने में मददगार हो सकते हैं।संयुक्त राज्य अमेरिका में 1 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में आरएसवी वायरस के कारण ब्रोंकियोलाइटिस (फेफड़ों में छोटे वायुमार्ग की सूजन) और निमोनिया (फेफड़ों का संक्रमण) का सबसे ज्यादा जोखिम देखा जाता रहा है। इसी माह 21 जून को सीडीसी की एक बैठक है जिसमें टीकों की उपलब्धता को लेकर निर्णय लिए जाने की उम्मीद है।

नेशनल फाउंडेशन फॉर इंफेक्शियस डिजीज के मेडिकल डायरेक्टर विलियम शेफ़नर कहते हैं, ये टीके किसी वरदान से कम नहीं हैं। इससे हर साल होने वाली मृत्युदर में काफी कमी आने की उम्मीद है।जीएसके (ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन) के टीके एरेक्सवी को मंजूरी मिलने से पहले इसे 60 साल और इससे अधिक उम्र के लोगों पर सिंगल डोज वैक्सीन के तौर पर इस्तेमाल किया गया था। तीसरे चरण के नैदानिक परीक्षण में 12,500 लोगों को एरेक्सवी और इतने ही लोगों को प्लेसिबो दिया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि ये टीके आरएसवी वायरस के कारण होने वाले लोवर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट डिजीज के जोखिम को 82.6% और गंभीर बीमारी होने के जोखिम को 94.1% तक कम कर सकते हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया साइड इफेक्ट्स के रूप में अध्ययन में शामिल कुछ लोगों ने थकान, सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द जैसी समस्या का अनुभव किया, जो स्वत: ठीक हो गया। टीके लगवाने वाले 10 लोगों और प्लेसीबो वाले चार लोगों ने एट्रियल फाइब्रिलेशन की सूचना दी । एफडीए का कहना है कि ये टीके फिलहाल सुरक्षित पाए गए हैं, बेहतर परिणाम देखते हुए इसे कम आयु वालों के लिए भी मंजूरी दी जी सकती है।

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