विज्ञान

जानें किस ध्वनि को माना गया दुनिया में सबसे खराब

Gulabi
19 Oct 2020 10:15 AM GMT
जानें किस ध्वनि को माना गया  दुनिया में सबसे खराब
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यह सवाल सुनते ही पहला रिएक्शन हो सकता है कि यह तो सब्जेक्टिव है,

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। यह सवाल सुनते ही पहला रिएक्शन हो सकता है कि यह तो सब्जेक्टिव है, इसका विज्ञान से क्या लेना-देना! बात ठीक भी है, लेकिन वैज्ञानिक शोधों (Scientific Studies) और कई लोगों की राय जानने के बाद इस तरह की आवाज़ें की एक सूची (List of Worst Sounds) तैयार हुई है. दूसरी तरफ, विज्ञान की बात यह भी है कि क्यों कोई आवाज़ खराब लगती है. व्यक्ति-व्यक्ति के हिसाब से निर्भर करने वाले जवाब के कई पहलुओं को जानते हुए उन कुछ आवाज़ों के बारे में जानिए, जिनसे सबसे ज़्यादा चिढ़, गुस्सा या झल्लाहट (Irritation) महसूस की जाती है.

यह समझना आसान है कि लोग डरावनी आवाज़ों को सबसे ज़्यादा नापसंद कर सकते हैं, लेकिन जब सबसे खराब आवाज़ें जानने के लिए रिसर्च की गई तो पता चला कि जिन्हें सुनने से खुद को किसी नुकसान की या अपने बीमार होने की आशंका रहती है, उन आवाज़ों को सख्त नापसंद किया जाता है. और यह बर्ताव पूरी दुनिया में तकरीबन समान रूप से देखा जाता है

उल्टी, सबसे ज़्यादा इरिटेट करने वाली आवाज़?

ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ट्रेवर कॉक्स की एक रिसर्च में इस सवाल का जवाब है किसी के उल्टी करने की आवाज़! जी हां. ज़ाहिर है कि यह एक नापसंद की जाने वाली आवाज़ और क्रिया है, लेकिन क्या यह सिर्फ पसंद नापसंद की बात है या फिर इसका कोई विज्ञान है? यह भी माना जाता है कि उल्टी की आवाज़ सुनते ही आपके दिमाग में जो वीभत्स तस्वीर बनती है, उससे चिढ़ ज्यादा होती है. कारण जो भी हो, इसे लिस्ट में ज़्यादातर टॉप पर रखा जाता है.

और कौन सी हैं सबसे खराब आवाज़ें?

ब्लैकबोर्ड को नाखूनों से खुरचने की आवाज़, बच्चों के रोने, लोहे की मेज़ को फर्श पर खींचने, धातु पर धातु के घिसने की आवाजद़् जैसे पटरी पर ट्रेन के ब्रेक लगने के समय होती है, वायलिन खराब ढंग से बजाने, मुंह खोलकर खाना चबाने, डेंटल ड्रिल या ड्रिल मशीन, कांच की बोतल पर चाकू घिसने जैसी कई आवाज़ें इस सूची में रखी गई हैं.

क्यों हैं ये आवाज़ें खराब?

दिलचस्प बात नोटिस करने की है, इनमें कई आवाज़ें एक खास किस्म के घर्षण या टकराव से पैदा होती हैं. खैर, जानते हैं कि इन आवाज़ों से चिढ़ क्यों होती है और इसका क्या वैज्ञानिक पहलू है. इस तरह के कई किस्म के साउंड के असर को जानने के लिए जब ब्रेन स्क्रैन किया गया, तो पाया गया कि खतरे या जोखिम को भांपने के दौरान सक्रिय होने वाले न्यूरॉन्स का संग्रह इस तरह की आवाज़ों के प्रति भी उसी तरह सक्रिय हुआ.

विज्ञान की नज़र से

चिढ़ पैदा करने वाली आवाज़ों को दो खास श्रेणियों में वैज्ञानिक समझते हैं : एक तो वो आवाज़ें हैं जो काफी देर तक लगातार बनी रहती हैं जैसे कोई अलार्म, खर्राटे या किसी खास मशीन की कोई आवाज़. इनसे अस्ल में ध्यान और आपके सोच विचार में खलल पड़ता है, इसलिए ये इरिटेट करती हैं. दूसरी वो आवाज़ें हैं जो एकदम से ब्रेन में नकारात्मक प्रतिक्रिया पैदा करती हैं. घर्षण या चरमराने जैसी इन आवाज़ों के बारे में पहले बताया जा चुका है.

क्या होता है मीज़ोफोनिया?

कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिन्हें किसी खास किस्म की किसी आवाज़ से तकलीफ होती है. जैसे दफ्तर में अगर कोई लगातार टेबल पर पेन खटखट करे तो किसी को बेहद चिढ़ या तकलीफ हो सकती है. इस तरह के मानसिक डिसॉर्डर को मीज़ोफोनिया कहते हैं और इसके मरीज़ों के ब्रेन में खास साउंड के प्रति 'झगड़ने या भागने' की प्रवृत्ति दिखती है.

यह एक मानसिक समस्या है क्योंकि किसी एक खास साउंड को कोई व्यक्ति बहुत सामान्य बात कह सकता है, जबकि मीज़ोफोनिया पीड़ित उसी को बहुत तकलीफदेह आवाज़ के तौर पर साबित कर सकता है. सिलेक्टिव साउंड सेंसिटिविटी सिंड्रोम के तौर पर भी इस समस्या को समझा जाता है. इमोशनल और मनोवैज्ञानिक पहलुओं से जुड़ी इस समस्या में किसी आवाज़ से चिढ़ का अंजाम गुस्से के अलावा, डर, तनाव और क्लेश भी हो सकता है.

कुल मिलाकर, आवाज़ों से घिरी दुनिया में आवाज़ों की पसंद नापसंद से जुड़ा विज्ञान साइकोलॉजी और बायोलॉजी से जुड़ा हुआ है. इसलिए कई बार व्यक्ति व्यक्ति पर भी निर्भर करता है. फिर भी एक कॉमन प्रवृत्ति के तौर पर भी इसका अध्ययन किया जाता है. आप इंटरनेट पर 'worst sound in the world' लिखकर सर्च करें, तो इस बारे में कई तरह के शोध पढ़ने के लिए लिंक आपको मिल सकते हैं.

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