वायु प्रदूषण से देश में 20 लाख से ज्यादा लोगों की मौत, दुनिया में दूसरे नंबर पर
नई दिल्ली: भारत में वायु प्रदूषण के कारण हर साल 20 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है। ‘द बीएमजे’ (ब्रिटिश मेडिकल जर्नल) में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, भारत में हर साल बाहरी वायु प्रदूषण से 21 लाख 80 हजार लोगों की मौत हो जाती है। इस मामले में भारत चीन के बाद दूसरे स्थान पर है।
शोध के अनुसार, उद्योग, बिजली उत्पादन और परिवहन में जीवाश्म ईंधन के उपयोग से होने वाले वायु प्रदूषण के कारण हर साल दुनिया भर में 51 लाख से अधिक लोगों की मौत हो जाती है। स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करके इन मौतों को कम किया जा सकता है।
वायु प्रदूषण के कारण होने वाली मौतें दक्षिण और पूर्वी एशिया में सबसे अधिक थीं। वायु प्रदूषण के कारण चीन में हर साल 24.40 लाख और भारत में 21.80 लाख लोगों की मौत होती है। इनमें से 30 प्रतिशत हृदय रोग से, 16 प्रतिशत स्ट्रोक से, 16 प्रतिशत फेफड़े की बीमारी से और छह प्रतिशत मधुमेह से जुड़े थे।
शोधकर्ताओं ने कहा कि जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से बंद करने से दक्षिण, दक्षिण पूर्व और पूर्वी एशिया में होने वाली मौतों में बड़ी कमी आएगी। जो सालाना लगभग 38.5 मिलियन है। उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के सलाहकार आंतरिक चिकित्सा डॉ. शुचिन बजाज ने कहा कि पार्टिकुलेट मैटर (पीएम), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसे प्रदूषक लोगों के लिए गंभीर श्वसन और हृदय रोगों का खतरा पैदा करते हैं। इन प्रदूषकों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से मृत्यु दर बढ़ जाती है, विशेष रूप से बच्चों और बुजुर्गों को खतरा होता है।
एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स के संस्थापक निदेशक डॉ. गिरधर ज्ञानी ने कहा कि हवा में जहरीले प्रदूषक समय से पहले मौत सहित गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा करते हैं। इसलिए, लोगों को मास्क पहनने और सार्वजनिक परिवहन जैसे सुरक्षात्मक उपायों का उपयोग करना चाहिए। इसके लिए सरकार और जनता को मिलकर प्रयास करने होंगे।