मनोरंजन

93 सालों के इतिहास में महिला को दूसरी बार मिला बेस्‍ट डायरेक्‍टर का अवॉर्ड

Apurva Srivastav
27 April 2021 7:53 AM GMT
93 सालों के इतिहास में महिला को दूसरी बार मिला बेस्‍ट डायरेक्‍टर का अवॉर्ड
x
साल 2020 के एकेडमी अवॉर्ड्स की घोषणा कल हुई

कल का दिन सिनेमा प्रेमियों के लिए खास था. कल साल 2020 के एकेडमी अवॉर्ड्स की घोषणा हुई. किसी की उम्‍मीदें पूरी हुईं तो किसी की उम्‍मीदों पर पानी फिर गया. महिलाओं के लिए यह साल खासतौर पर उम्‍मीदों भरा था. एकेडमी अवॉर्ड्स के इतिहास में ये पहली बार हुआ था कि एक साथ दो-दो महिलाओं को बेस्‍ट फिल्‍म और बेस्‍ट डायरेक्‍टर की कैटेगरी में नॉमिनेट किया गया था. ऑस्‍कर के इतिहास में ये भी पहली बार हुआ कि एक एशियाई मूल की अश्‍वेत महिला क्लोई शाओ को बेस्‍ट डायरेक्‍टर के अवॉर्ड से सम्‍मानित किया गया. हालांकि एकेडमी अवॉर्ड के 93 सालों के इतिहास में ऐसा सिर्फ दूसरी बार हुआ है कि एक महिला फिल्‍म डायरेक्‍टर को बेस्‍ट डायरेक्‍टर के अवॉर्ड से सम्‍मानित किया गया है.

क्‍या यह हमारे लिए खुश होने का मौका है या अब भी उस जेंडर भेदभाव पर नजर और उंगली रखने का, जिसे पाटने की हमारी पहाड़ भर कोशिश का नतीजा राई बराबर होता है.
अपनी तमाम उम्‍मीदों और खुशियों को पैनडेमिक की भेंट कर चुकी दुनिया के लिए इस साल उम्‍मीद वाली खबर सबसे पहले जनवरी में आई, जब अमेरिका की सैन डिएगो यूनिवर्सिटी ने अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की. ये रिपोर्ट कह रही थी कि इस साल महिलाओं ने सिनेमा के क्षेत्र में एक नया रिकॉर्ड दर्ज किया है. ये रिपोर्ट कह रही थी कि इस साल महिलाओं ने फिल्‍मों में बतौर डायरेक्‍टर, प्रोड्यूसर, राइटर, एक्‍जीक्‍यूटिव प्रोड्यूसर, सिनेमेटोग्राफर और एडीटर एक नया रिकॉर्ड कायम किया है. इसके पहले कभी इतनी सारी महिलाओं का नाम फिल्‍मों से नहीं जुड़ा था. साल 2020 की सबसे बड़ी और सबसे ज्‍यादा कमाई करने वाली 16 फीसदी फिल्‍में महिलाओं ने बनाई हैं. जबकि एक साल पहले 2019 में यह संख्‍या सिर्फ 12 फीसदी थी और उसके भी एक साल पहले 2018 में सिर्फ 4 फीसदी. सिर्फ दो साल के अंदर महिलाओं ने चार गुना प्रगति की है.
सैन डिएगो यूनिवर्सिटी के Centre for the Study of Women in Television and Film ने अपनी स्‍टडी में पाया कि साल 2020 की सबसे ज्‍यादा कमाई करने वाली टॉप 100 फिल्‍मों में 21 फीसदी फिल्‍मों में महिलाओं ने बतौर डायरेक्‍टर, सिनेमेटोग्राफर, राइटर प्रोड्यूसर, एक्‍जीक्‍यूटिव प्रोड्यूसर और एडीटर काम किया है.
महिलाओं के ज्‍यादा फिल्‍में बनाने का अर्थ था कि उन्‍हें इस बार ज्‍यादा नॉमिनेशन और अवॉर्ड भी मिलेंगे और वही हुआ भी. ऑस्‍कर के इतिहास में ये पहली बार था कि तीन महिलाएं एक साथ बतौर डायरेक्‍टर अवॉर्ड के लिए नामित की गई थीं. क्‍लोई क्लोई शाओ का नाम 'नोमैडलैंड' के लिए और एमराल्‍ड फनेल का नाम 'प्रॉमिसिंग यंग वुमेन' के लिए नामित हुआ था. साथ ही विदेशी भाषा की सर्वश्रेष्‍ठ फिल्‍म की कैटगरी में ट्यूनीशिया की महिला फिल्‍म डायरेक्‍टर कॉथर बेन हानिया का नाम उनकी इस साल की सबसे ज्‍यादा चर्चित रही फिल्‍म 'द मेन हू सोल्‍ड हिज स्किन' के लिए नामित किया गया था.
हालांकि इन नॉमिनेशंस को लेकर कुछ विवाद भी रहे. विवाद जिन तीन महिलाओं को नामित किया गया, उनके काम की गहराई और उत्‍कृष्‍टता को लेकर नहीं था. विवाद एलिजा हिटमैन को नामित न किए जाने को लेकर था, जिनकी फिल्‍म नेवर रेअरली समटाइम्‍स ऑलवेज इस साल की सबसे ज्‍यादा क्रिटिकली एक्‍लेम्‍ड फिल्‍म रही थी. उसके नामित न होने के पीछे वजह एक ही थी, फिल्‍म की कहानी, जो अबॉर्शन के बारे में थी. एक जाहिल और व्‍हाइट सुप्रीमेसिस्‍ट एकेडमी ज्‍यूरी मेंबर कीथ मैरिल ने चिट्ठी लिखकर फिल्‍म देखने से इनकार कर दिया. कीथ मैरिल ने लिखा, "मुझे एक ऐसी फिल्‍म देखने में कोई दिलचस्‍पी नहीं है, जिसमें एक 17 साल की लड़की अबॉर्शन करवाने के लिए इतनी जद्दोजहद कर रही है. इसमें कुछ भी महान नहीं. मेरे 8 बच्‍चे और 39 नाती-पोते हैं. मैं अबॉर्शन पर बनी फिल्‍म का समर्थन नहीं कर सकता." 80 साल के कीथ मैरिल पिछले 46 सालों से एकेडमी ऑफ मोशन पिक्‍चर, आर्ट्स एंड साइंस के और डायरेक्‍टर गिल्‍ड ऑफ अमेरिका के सदस्य हैं और 1973 में डॉक्‍यूमेंट्री फिल्‍म 'द ग्रेट अमेरिकन काउबॉय' के लिए एकेडमी अवॉर्ड से भी नवाजे जा चुके हैं.
फिल्‍म नेवर रेअरली समटाइम्‍स ऑलवेज नॉमिनेशन तक भी नहीं पहुुंच सकी. अगर ऐसा होता तो एक साथ तीन महिलाएं बेस्‍ट डायरेक्‍टर की कैटेगरी में नामित हुई होतीं.
इस साल बेस्‍ट फॉरेज लैंग्‍वेज की श्रेणी में जो पांच फिल्‍में नामित हुईं, उनमें से सबसे ज्‍यादा सिनेमा प्रेमियों की नजरें ट्यूनीशिया की फिल्‍म 'द मेन हू सोल्‍ड हिज स्किन' पर टिकी हुई थीं. लेकिन उसकी जगह डेनमार्क की फिल्‍म 'अनदर राउंड' को बेस्‍ट फॉरेन फिल्‍म का अवॉर्ड मिला. अनदर राउंड अपने आप में एक कमाल की फिल्‍म है और फिल्‍म के अंत में मेड मिकलसन का डांस तो शायद साल 2020 की सबसे खूबसूरत चीज रही. लेकिन अगर कहानी और सिनेमाई श्रेष्‍ठता के पैमानों पर तुलना करें तो कॉथर बेन हानिया की फिल्‍म 'द मेन हू सोल्‍ड हिज स्किन' के सामने अनदर राउंड कहीं नहीं ठहरती. अगर कॉथर बेन हानिया ये अवॉर्ड जीततीं तो यह अपने आप में एक इतिहास होता. लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
एकेडमी अवॉर्ड्स के लिए इस बार सिर्फ 32 फीसदी औरतें और 68 फीसदी मर्द नामित हुए थे, लेकिन वह 32 फीसदी भी एकेडमी अवॉर्ड के इतिहास में अब तक का रिकॉर्ड है. इससे पहले कभी इतनी महिलाएं भी नहीं हुईं थीं. नामांकन में नया रिकॉर्ड दर्ज करने के बावजूद अवॉर्ड जीतने के मामले में महिलाएं नया रिकॉर्ड दर्ज नहीं कर पाईं. हमेशा की तरह इस बार भी ज्‍यादातर अवॉर्ड मर्दों की झोली में ही गिरे.
यहां बात सिर्फ काम की श्रेष्‍ठता और गुणवत्‍ता की नहीं है. अगर कोई एकेडमी अवॉर्ड्स का पिछले 93 सालों का इतिहास खोदने बैठे और चुन-चुनकर वो फिल्‍में निकालें, जो इन तमाम सालों में औरतों ने बनाईं, लेकिन जिन्‍हें अवॉर्ड मिलना तो दूर, अवॉर्ड के लिए कंसीडर तक नहीं किया गया. बात गुणवत्‍ता की नहीं थी, बात फिल्‍म बनाने वाले के जेंडर की थी. मर्दों के आधिपत्‍य वाली दुनिया औरतों को अपनी फिल्‍मों में हिरोइन बनाने और उन्‍हें बेस्‍ट हिरोइन का अवॉर्ड देने को तो तैयार थी, लेकिन इस बात के लिए नहीं थी कि कोई औरत फिल्‍म की कहानी लिख भी सकती है, फिल्‍म डायरेक्‍ट भी कर सकती है, एडिटिंग भी कर सकती है और प्रोड्यूस भी कर सकती है. कुल मिलाकर वो सारा काम, जिसके लिए दिमाग की, बुद्धिमत्‍ता की, मेधा की जरूरत है. ये अनायास ही नहीं है कि जूली तैमाेर और जेन कैंपियन जैसी डायरेक्‍टर्स और उनकी बनाई कमाल की फिल्‍मों को कभी उनका ड्यू क्रेडिट नहीं मिला. ये कतई अनायास नहीं था. ये ऐसा था क्‍योंकि दुनिया ऐसी ही थी. मर्दों का किला मजबूत और अभेद्य था. उसमें सेंध लगाने में औरतों को सौ साल लग गए.
अब उस किले में सेंध लगनी शुरू हुई है. धीरे-धीरे औरतों को उनकी जगह मिल रही है. क्‍लोई शाओ तो सिर्फ दूसरा नाम है. उम्‍मीद है आने वाले सालों में हर साल महिलाओं की बनाई फिल्‍मों का नामांकन और उन्‍हें मिलने वाले अवॉर्ड्स की संख्‍या बढ़ती जाएगी.


Next Story