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लेखकों के बदलने भर से बदल गया ‘असुर’ का सुर

HARRY
1 Jun 2023 6:29 PM GMT
लेखकों के बदलने भर से बदल गया ‘असुर’ का सुर
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क | वॉयकॉम 18 के ओटीटी वूट का अब जियो सिनेमा में विलय हो चुका है। वूट पर प्रीमियम मनोरंजन सामग्री की शुरुआत करने वाली वेब सीरीज ‘असुर’ का दूसरा सीजन जियो सिनेमा पर मुफ्त में उपलब्ध होने जा रहा है। तीन साल पहले जब सीरीज का पहला सीजन ओटीटी पर आया तो मैंने इसकी तुलना पथ निर्धारक फिल्म ‘तुम्बाड’ से की थी। निरेन भट्ट और विनय छावल ने रहस्य, रोमांच, भय और वीभत्स रसों का ऐसा ताना बाना सीरीज के पहले सीजन में बुना था कि देखने वाला एक बार देखना शुरू करे तो आखिर तक रुके नहीं। अब सीरीज का दूसरा सीजन रिलीज हुआ है। एपिसोड इस बार भी आठ ही हैं, पहला और आखिरी एक एक घंटे का और बाकी औसतन 45 मिनट के यानि करीब साढ़े छह घंटे के समय का निवेश! सीरीज के रचयिता गौरव शुक्ला ने पहले सीजन में पौराणिक कथाओं और आधुनिकता के संगम से जो कथानक तैयार किया था, वह सोशल मीडिया के दुरुपयोग और कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) तक आ पहुंचा है। समय तीव्रता से बदल रहा है। दर्शकों की रुचि का अनुमान लगाना अब दुष्कर है। और, अति आत्मविश्वास तो हर युग में घातक है, वह फिर त्रेता हो, द्वापर हो या फिर कलियुग।

वेब सीरीज ‘असुर 2’ कलि और कल्कि के युद्ध का आधार तैयार करती कहानी पर बनी सीरीज है। कत्ल के बाद उंगली काट लेने वाला राज लेखकों की अदला बदली में खो चुका है। पिताहंता बालक किशोर हो चुका है। अपनी वाणी के आकर्षण का जाल वह साधारण मनुष्यों से लेकर विज्ञान के प्रकांड पंडितों तक पर फेंक रहा है। एआई के एक प्रोफेसर का वह सहायक बनने में कामयाब रहता है। और, दुनिया की सबसे बड़ी सोशल मीडिया कंपनी का सर्वर हैक करके उसके यूजर्स का ढेर सारा डाटा चुरा लेता है। अब जो भी मोबाइल या लैपटॉप के आसपास है। सभी तक उसकी पहुंच है। सोशल मीडिया के इस दानव की कहानी पुराणों से जोड़ते हुए वेब सीरीज ‘असुर 2’ के लेखक बार बार राष्ट्रीय समस्याएं गढ़ते रहते हैं और फिर जब असली समस्या आती है तो ‘भेड़िया आया’ वाली कहानी की तरह दर्शक कोशिश करके भी रोमांचित नहीं हो पाते हैं।

गौरव शुक्ला के अलावा इस बार वेब सीरीज ‘असुर 2’ को लिखने में अभिजीत और सूरज ने अपनी कारस्तानी दिखाई है। पटकथा में संवाद इतने लंबे लंबे हैं और वे भी कहानी को आगे बढ़ाने के लिए। ये सब मिलकर कहानी होते हुए नहीं दिखाते हैं बल्कि किरदारों के संवादों के जरिये आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं और सीरीज यहीं बुरी तरह मात खाती है। इसी के चलते तीसरे एपिसोड से रफ्तार में आना शुरू करने वाली सीरीज छठे एपिसोड में ही हांफ जाती है। बीच के ये तीन एपिसोड सीरीज के बेहतरीन एपिसोड हैं। इस दौरान अदित केएस का किरदार ईशानी चौधरी भी कहानी में रुचि बनाए रखता है लेकिन उसके जाते ही कहानी फिर एक सामान्य अपराध कथा में बदल जाती है। किवदंतियों और आधुनिकता के संगम का जो आकर्षण सीरीज के पहले सीजन में बना था, वह इस बार का आकर्षण नहीं है।

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