जनता से रिश्ता वेबडेस्क | अमेरिका में एक तो खूबी है। और, वह है समाज में उथल पुथल मचा रही घटनाओं को अपने सिनेमा में समाहित करना। कला का यही उद्देश्य है। सामाजिक संरचना में हो रहे बदलाव से खुद को अलग थलग रखने वाले कलाकार समय में हाशिये पर चले जाते हैं, ये बात हिंदी सिनेमा के कलाकारों से बेहतर कौन समझ सकता है। सोनी पिक्चर्स की नई फिल्म ‘स्पाइडरमैन अक्रॉस द यूनिवर्स’ इसी बात को फिर से समझाती है। फिल्म समझाती है कि नायक सिर्फ वही नहीं है जो बरसों से चले आ रहे नियमों को मानते हुए कुछ बड़ा कर दिखाए बल्कि नायक वह है जो बदलते समय के हिसाब से खुद को बदले और जो नियम रूढ़ियों में बदल चुके हैं, उन्हें तोड़कर एक नए समाज की संरचना करे। और, भले इसके लिए उसे अपनों से ही ‘महाभारत’ क्यों न करनी पड़े। आगे बढ़ने से पहले बताते चलें कि फिल्म ‘स्पाइडरमैन अक्रॉस द स्पाइडरवर्स’ अंग्रेजी के अलावा हिंदी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, बांग्ला, पंजाबी, गुजराती और मराठी भाषाओं में भी रिलीज हुई है।
डिज्नी की सबसे लोकप्रिय परी कथा ‘द लिटिल मरमेड’ से कोई पांच साल पहले साल 2018 में स्पाइडरमैन बड़े परदे पर गोरे से काला हो गया था। कहानी का गुणसूत्र वही रखा जाना था कि एक भोलाभाला बालक है। अपने रिश्तेदार के यहां रहता है। उसके पिता की असमान्य परिस्थितियों में मृत्यु हो चुकी है। और, ये होता है उसके पुलिस की नौकरी में रहते हुए।
अब सोचिए कि अगर सिर्फ अपनी धरती पर ही नहीं बल्कि अंतरिक्ष में घूम रही ऐसी तमाम धरतियों पर अपना अपना स्पाइडरमैन हो और उनकी मूल कहानी यही हो लेकिन वे सब अपने अपने अलग रास्तों पर निकल चुके हों। और, फिर इनका एक विशाल समागम जैसा कुछ हो जहां ये अश्वेत स्पाइडरमैन अपनी उत्पत्ति की मूल अवधारणा को ही बदलने निकल पड़े। जाहिर सी बात है कि वह अकेला ही रह जाएगा और उसके पीछे पड़ जाएंगे हजारों लाखों स्पाइडरमैन!
कॉमिक्स पढ़ने के एहसास और सिनेमा की उन्नत तकनीकों की मार्वल कॉमिक्स के किरदार स्पाइडरमैन के साथ पहली त्रिवेणी साल 2018 में फिल्म ‘स्पाइडरमैन इनटू द स्पाइडरवर्स’ के रूप में सामने आई थी। इस फिल्म ने मार्वल किरदारों के प्रशंसकों को एक नई उम्मीद दिखाई।
अपने अपने खांचों में फंस चुके एवेंजर्स के बीच ये एक ऐसा एवेंजर उगता दिखने लगा जिसे लीक तोड़ने में ही असली आनंद आता है। ये मार्वल का असली सपूत है जिसके प्रशंसकों की सरहदें कब की टूट चुकी हैं। दूरदर्शन के श्वेत श्याम दौर से लेकर आईमैक्स थ्रीडी तक के दौर में स्पाइडरमैन की लोकप्रियता भारत में भी कभी कम नहीं हुई। तभी तो इस बार फिल्म ‘स्पाइडरमैन अक्रॉस द स्पाइडरवर्स’ में भारत का भी अपना खुद का एक स्पाइडरमैन है जो मुंबईटन में रहता है और ट्रैफिक के सामाजिक संरचना पर पड़ने वाले असर पर उंगली उठाता है।