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Deepak Kingrani Exclusive: मैं किसी फिल्म स्कूल नहीं गया

Rounak Dey
27 May 2023 3:24 PM GMT
Deepak Kingrani Exclusive: मैं किसी फिल्म स्कूल नहीं गया
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इंजीनियरिंग की पढ़ाई ने मुझे तकनीक सीखने में मदद की

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | छत्तीसगढ़ के छोटे से कस्बे भाटापारा से ताल्लुक रखने वाले दीपक किंगरानी मानते हैं कि सिनेमा सीखने का सबसे सही तरीका है, अच्छा सिनेमा देखना। उनकी लिखी फिल्म ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ इस साल की अब तक रिलीज हिंदी फिल्मों में सबसे अच्छी फिल्म मानी जा रही है। इंजीनियरिंग की पढ़ाई करके सिनेमा में अपनी किस्मत आजमाने पहुंचे दीपक किंगरानी ने लंबे संघर्ष के बाद सफलता देखी है और इसके लिए वह उन सबका एहसान मानते हैं जिन्होंने उनके सपने को एक आकार दिया। सिनेमा की पटकथा लिखने, दूसरों से मिले सबक से लगातार खुद को निखारते रहने और उनकी आने वाली फिल्म के बारे में दीपक किंगरानी से ये एक्सक्लूसिव मुलाकात की ‘अमर उजाला’ के सलाहकार संपादक पंकज शुक्ल ने।

सिनेमा मेरा शौक शुरू से रहा। और, सिनेमा कैसे बनता है, इसमें मेरी दिलचस्पी शायद इंजीनियरिंग की पढ़ाई ने जगाई। इंजीनियरिंग करने के बाद लंबे समय तक नौकरी के सिलसिले में विदेश में रहा और फिर कोई 13-14 साल पहले मेरा मन नौकरी से उचट गया। मुझे लगा कि लेखन को ही मुझे अपना पेशा बनाना चाहिए और ये शायद मेरे डीएनए में भी है। मेरे पिता अपना कारोबार संभालने के साथ साथ एक अखबार के लिए खबरें भी लिखा करते थे।

हिंदी सिनेमा के एक बहुत वरिष्ठ लेखक हैं हबीब खान। वह पहले इंसान हैं जिन्होंने मेरे लेखन पर भरोसा जताया। इसके अलावा छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश से आने वालों के लिए रूमी जाफरी हमेशा एक लाइट हाउस की तरह रहे हैं। उनसे मैं खूब मिलता रहता था, वह मेरी कहानियां सुनते और मेरा हौसला बढ़ाते। अनीस बज्मी ने भी मेरे संघर्ष के दिनों में मेरी हिम्मत को बनाए रखने में मेरी काफी मदद की। तो लोग मिलते रहे और काम आगे बढ़ता रहा।

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