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Budhwar ke Upay: बुधवार को करें ये सरल उपाय, धन लाभ से लेकर आपकी सभी मनोकामनाएं होंगी पूरी

Renuka Sahu
11 Jun 2025 2:22 AM GMT
Budhwar ke Upay: बुधवार को करें ये सरल उपाय, धन लाभ से लेकर आपकी सभी मनोकामनाएं होंगी पूरी
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Budhwar ke Upay: सप्ताह में मौजूद सभी दिनों का अपना विशेष महत्व होता है। इन दिनों के आधार पर देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है। इस दौरान जहां सोमवार भगवान शिव और मंगल हनुमान जी को समर्पित है, वहीं बुधवार प्रथम पूजनीय देवता भगवान गणेश के लिए जाना जाता है। इस दिन गणेश पूजन करने से कार्यों में आ रही बाधाएं दूर और प्रभु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। बुधवार न केवल धार्मिक बल्कि ज्योतिष दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। दरअसल, बुधवार को शुभ कार्य करने पर जहां गजानन की कृपा मिलती हैं, वहीं कुंडली में भी बुध की स्थिति मजबूत होती हैं। बुध ग्रह के प्रभाव से व्यक्ति को करियर में सफलता, शिक्षा में अच्छे परिणाम और व्यापार में लाभ प्राप्त होता है। ऐसे में बुधवार के दिन केवल ये पांच उपाय में से कोई भी एक करने पर सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। आइए इनके बारे में जानते हैं।
बुधवार के सरल उपाय:
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बुधवार के दिन आप भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करें। पूजा के समय उन्हें मोदक का भोग अवश्य लगाएं। इससे धन संबंधी दिक्कतें दूर होती हैं।
ज्योतिषियों के मुताबिक बुधवार के दिन भगवान गणेश को 11 या 21 दूर्वा अर्पित करनी चाहिए। इससे व्यापार में सफलता और गृह क्लेश से मुक्ति मिलती हैं।
हरा भगवान गणेश का प्रिय रंग है। इसलिए बुधवार के दिन हरी चीजों का दान और गाय को हरी घास खिलाने से वह प्रसन्न होते हैं। - फोटो : freepik
इस दिन आप हरी मूंग या हरा कपड़ा दान करें। यह शुभ होता है। दरअसल, हरा भगवान गणेश का प्रिय रंग है। इसलिए बुधवार के दिन हरी चीजों का दान और गाय को हरी घास खिलाने से वह प्रसन्न होते हैं।
बुधवार के शुभ दिन आप गणेश चालीसा का पाठ करें। इसके प्रभाव से मानसिक तनाव दूर और जीवन में सकारात्मकता बढ़ती हैं।
श्री गणेश जी की चालीसा:
दोहा:
जय गणपति सदगुणसदन, कविवर बदन कृपाल।
विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल॥
चौपाई:
जय जय जय गणपति गणराजू।
मंगल भरण करण शुभ काजू॥
जय गजबदन सदन सुखदाता।
विश्व विनायक बुद्घि विधाता॥
वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन।
तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥
राजत मणि मुक्तन उर माला।
स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं।
मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥
सुन्दर पीताम्बर तन साजित।
चरण पादुका मुनि मन राजित॥
धनि शिवसुवन षडानन भ्राता।
गौरी ललन विश्व-विख्याता॥
ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे।
मूषक वाहन सोहत द्घारे॥
कहौ जन्म शुभ-कथा तुम्हारी।
अति शुचि पावन मंगलकारी॥
एक समय गिरिराज कुमारी।
पुत्र हेतु तप कीन्हो भारी॥
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा।
तब पहुंच्यो तुम धरि द्घिज रुपा॥
अतिथि जानि कै गौरि सुखारी।
बहुविधि सेवा करी तुम्हारी॥
अति प्रसन्न है तुम वर दीन्हा।
मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥
मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला।
बिना गर्भ धारण, यहि काला॥
गणनायक, गुण ज्ञान निधाना।
पूजित प्रथम, रुप भगवाना॥
अस कहि अन्तर्धान रुप है।
पलना पर बालक स्वरुप है॥
बनि शिशु, रुदन जबहिं तुम ठाना।
लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना॥
सकल मगन, सुखमंगल गावहिं।
नभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं॥
शम्भु, उमा, बहु दान लुटावहिं।
सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं॥
लखि अति आनन्द मंगल साजा।
देखन भी आये शनि राजा॥
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं।
बालक, देखन चाहत नाहीं॥
गिरिजा कछु मन भेद बढ़ायो।
उत्सव मोर, न शनि तुहि भायो॥
कहन लगे शनि, मन सकुचाई।
का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई॥
नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ।
शनि सों बालक देखन कहाऊ॥
पडतहिं, शनि दृग कोण प्रकाशा।
बोलक सिर उड़ि गयो अकाशा॥
गिरिजा गिरीं विकल हुए धरणी।
सो दुख दशा गयो नहीं वरणी॥
हाहाकार मच्यो कैलाशा।
शनि कीन्हो लखि सुत को नाशा॥
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो।
काटि चक्र सो गज शिर लाये॥
बालक के धड़ ऊपर धारयो।
प्राण, मंत्र पढ़ि शंकर डारयो॥
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे।
प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वन दीन्हे॥
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा।
पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा॥
चले षडानन, भरमि भुलाई।
रचे बैठ तुम बुद्घि उपाई॥
धनि गणेश कहि शिव हिय हरषे।
नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥
चरण मातु-पितु के धर लीन्हें।
तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई।
शेष सहसमुख सके न गाई॥
मैं मतिहीन मलीन दुखारी।
करहुं कौन विधि विनय तुम्हारी॥
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा।
जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा॥
अब प्रभु दया दीन पर कीजै।
अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै॥
श्री गणेश यह चालीसा।
पाठ करै कर ध्यान॥
नित नव मंगल गृह बसै।
लहे जगत सन्मान॥
दोहा:
सम्वत अपन सहस्त्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश।
पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ति गणेश॥
बुधवार के दिन गणेश जी के इन मंत्रों का जप करें। इससे करियर में अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं।
1. वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
2. गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।
नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक :।।
धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।
गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।
3. त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय।
नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।
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