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- स्त्री का डर
दुनिया के किसी भी समाज के सभ्य होने का पैमाना यह है कि वह स्त्रियों के अधिकारों को लेकर कितना लोकतांत्रिक है। यही वजह है कि आधुनिक कहे जाने वाले सभी देशों में स्त्रियों को समान अधिकार देने की बात की जाती है। लेकिन कई बार जड़ समाजों में धर्म और परंपरा के मुताबिक तय होने वाले नियम-कायदों की सबसे ज्यादा मार स्त्रियों पर पड़ती है। तालिबान की जीत की खबर के साथ ही अफगानिस्तान में एक सबसे बड़ी चिंता यह खड़ी हो गई है कि अब वहां की महिलाओं को लेकर शासन और समाज क्या रुख अपनाएगा। तालिबान की गतिविधियों और शासन का अब तक का इतिहास यही बताता है कि उसके वर्चस्व और राज वाले इलाकों में स्त्रियों को आमतौर पर न्यूनतम मानवीय अधिकारों के लिए भी जद्दोजहद करना पड़ता है। इसलिए एक बार फिर तालिबान का कब्जा होने के साथ-साथ न केवल अफगानिस्तान में, बल्कि दुनिया भर में यह चिंता और बहस का विषय बन गया है कि वहां की महिलाओं को अब शायद बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़े।