सम्पादकीय

कश्मीर में अनुच्छेद 370 को बहाल करने की इतनी छटपटाहट क्यों है कांग्रेस में?

Gulabi
14 Jun 2021 3:33 PM GMT
कश्मीर में अनुच्छेद 370 को बहाल करने की इतनी छटपटाहट क्यों है कांग्रेस में?
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जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) में धारा 370 भारतीय राजनीति के लिए दशकों से बड़ा मुद्दा रहा

संयम श्रीवास्तव। जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) में धारा 370 भारतीय राजनीति के लिए दशकों से बड़ा मुद्दा रहा है. लेकिन भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से धारा 370 (Artical 370) हटा कर इस मुद्दे का अंत कर दिया. इसके साथ ही भारत सरकार ने जम्मू और कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेशों में तब्दील कर दिया था. बीजेपी के बड़े फैसले की तारीफ जहां सोशल मीडिया पर देश की तमाम जनता ने की, वहीं कुछ लोगों ने इसका दबी जुबान में विरोध भी किया. जम्मू कश्मीर के तमाम राजनेताओं ने इसका खुलकर विरोध किया. हालांकि कांग्रेस पार्टी उस वक्त इस मुद्दे पर खुलकर कुछ नहीं बोली, बल्कि कई कांग्रेसी नेताओं ने जो अब भी कांग्रेस (Congress) में मेनस्ट्रीम के लीडर हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) सरकार के इस फैसले की तहे दिल से प्रशंसा की थी. लेकिन अब दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) के उस बयान से जिसमें उन्होंने एक पाकिस्तानी पत्रकार की मौजूदगी में कहा कि अगर कांग्रेस की सरकार दोबारा आती है तो वह जम्मू कश्मीर में धारा 370 फिर से बहाल करने पर विचार करेगी, ने कांग्रेस की मानसिकता को उजागर कर दिया है.

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के इस बयान की सोशल मीडिया पर जमकर किरकिरी हो रही है, इसे पाकिस्तान समर्थित बयान भी बताया जा रहा है. दरअसल जब भारत ने धारा 370 को कश्मीर से हटाया था तो इसका पाकिस्तान ने हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को घेरने के लिए विरोध किया था. हालांकि दुनिया भर के तमाम देशों ने इसे भारत का आंतरिक मामला बताते हुए पाकिस्तान को जरा सा भी तवज्जो नहीं दिया था. हालांकि, जब धारा 370 हटाया गया था तब संसद में कांग्रेस के कई नेताओं ने इसका विरोध किया था. इसमें अधीर रंजन चौधरी, गुलाम नबी आजाद, पी चिदंबरम जैसे दिग्गज नेता मौजूद थे. लेकिन कई कांग्रेसी नेता ऐसे भी थे जिन्होंने सरकार के इस फैसले का समर्थन भी किया था, उसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया जो अब भारतीय जनता पार्टी का हिस्सा हैं अदिति सिंह, दीपेंद्र सिंह हुड्डा, जनार्दन द्विवेदी, अशोक चांदना, अभिषेक मनु सिंघवी जैसे नेता थे. 2 जून को ट्विटर पर बीजेपी आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय ने दिग्विजय सिंह का एक क्लब हाउस चैट ट्वीट किया जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इसमें दिग्विजय सिंह कह रहे हैं कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 को फिर से बहाल करने पर विचार करेगी. अमित मालवीय का दावा है कि इस क्लब हाउस चैट में एक पाकिस्तानी पत्रकार भी मौजूद था. अमित मालवीय ने इस क्लब हाउस चैट पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि वह बिल्कुल वैसी ही बात कर रही है जैसी पाकिस्तान धारा 370 को लेकर करता आया है.
कांग्रेसी आज भी 370 के बदले वोट बैंक को भुनाना चाहती है
कुछ कांग्रेस नेताओं के धारा 370 को लेकर दिए बयानों से साफ जाहिर होता है कि वह आज भी उसे एक वोट बैंक की तरह देखते हैं, उन्हें लगता है कि हिंदुस्तान का मुसलमान धारा 370 के विरोध में है और अगर कांग्रेस भी ऐसा करती है तो उसे मुस्लिम तुष्टिकरण के तहत फायदा पहुंचेगा. जब 370 कश्मीर से हटाया गया था तब घाटी में फारुख अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और कई हुर्रियत नेताओं ने इसका विरोध किया था. वहीं कांग्रेस के दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद ने भी इस फैसले का विरोध किया था. दरअसल गुलाम नबी आजाद उस फैसले का विरोध जम्मू कश्मीर की राजनीति के परिपेक्ष में कर रहे थे, उन्हें मालूम था कि अगर कांग्रेस इसका विरोध करती है तो घाटी में उसे फायदा मिलेगा. लेकिन अब जब कांग्रेस नेता इस मुद्दे को फिर से उठा रहे हैं इससे साफ जाहिर है कि वह इस मुद्दे के बहाने मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करना चाहते हैं.
बीजेपी को घेरने के लिए पाकिस्तान का राग क्यों अलापना
दिग्विजय सिंह को यह समझना होगा कि वह जो बात कह रहे हैं वही भारत-पाकिस्तान भी दुनिया भर के मंचों पर भारत को घेरने के लिए करता है, ऐसे में अगर दिग्विजय सिंह जैसे बड़े भारतीय नेता का बयान धारा 370 को लेकर आता है तो पाकिस्तान इसका पूरी तरह से फायदा उठाना चाहेगा. दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं को यह समझना चाहिए कि वह अगर अपने किसी बयान से केवल भारतीय जनता पार्टी का विरोध कर रहे हैं तब तक वह राजनीति स्वीकार की जा सकती है. लेकिन अगर उनके किसी बयान से देश को नुकसान पहुंच रहा है तो वह बयान कोई भी नहीं स्वीकार करेगा. दिग्विजय सिंह की तरह ही मणिशंकर अय्यर ने भी एक बार पाकिस्तान में जाकर मोदी को हराने के लिए पाकिस्तान से कांग्रेस का साथ देने की बात कही थी, जिसके बाद कांग्रेस पार्टी ने उन पर बैन भी लगा दिया था. हालांकि इस बयान को लेकर कांग्रेस की पूरे देश भर में खूब किरकिरी हुई थी.
दिग्विजय सिंह की सफाई ने ऑडियो पर लगाई मुहर
दिग्विजय सिंह का यह ऑडियो क्लिप जैसे ही मीडिया में वायरल हुआ तुरंत उन्होंने इस पर सफाई दी और ट्विटर पर लिखा कि 'अनपढ़ लोगों की जमात को Shall और Consider में फर्क शायद समझ में नहीं आता.' दिग्विजय सिंह ने यह ट्विट कर यह तो बता दिया की वायरल हो रहा ऑडियो क्लिप उन्हीं का है लेकिन सफाई के साथ-साथ उन्हें यह भी बताना चाहिए था यह सारी बातें वह एक पाकिस्तानी पत्रकार के साथ क्यों कर रहे थे? यहां हम आपको Shall और Consider में अंतर समझा देते हैं. Shall का मतलब कि अगर कांग्रेस पार्टी सत्ता में आती है तो वह जरूर धारा 370 हटाएगी और Consider का मतलब कि वह अगर सत्ता में आती है तो धारा 370 हटाने पर विचार करेगी. दिग्विजय सिंह ने अपने इस ऑडियो क्लिप में Consider का ही प्रयोग किया है. यानि कि अगर कांग्रेस पार्टी सत्ता में आती है तो वह धारा 370 हटाने पर विचार करेगी. दिग्विजय सिंह के इस बयान के पीछे कहीं ना कहीं कांग्रेस का 2019 का घोषणा पत्र भी है जिसमें कांग्रेस ने वादा किया था कि अगर वह सरकार में आती है तो कश्मीर से धारा 370 नहीं हटाई जाएगी. यहां तक की कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी की तरफ से यूनाइटेड नेशंस को एक पत्र भी लिखा गया था जब भारत सरकार ने कश्मीर से धारा 370 हटाया था. पत्र में भारत सरकार पर यह आरोप लगाए गए थे कि कश्मीर में हिंसा और मानवाधिकार उल्लंघन हो रहे हैं. कांग्रेस के इन्हीं फैसलों और बयानों की वजह से देश में कांग्रेस की ऐसी छवि बन गई है कि लोग उसे मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले एक दल के रूप में देखने लगे हैं.
विधानसभा और लोकसभा चुनाव में हो सकता है कांग्रेस का नुकसान
एक साल में उत्तर प्रदेश 2022 विधानसभा चुनाव है. प्रियंका गांधी पूरे दमखम से उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को जिंदा करने में लगी हुई हैं. लेकिन दिग्विजय सिंह का यह बयान कहीं ना कहीं कांग्रेस की लुटिया फिर से डुबो देगी. हो सकता है कि दिग्विजय सिंह के इस बयान से कुछ मुसलमानों का वोट कांग्रेस पार्टी को मिल जाए लेकिन बाहुल्य आबादी वाले हिंदुओं का वोट दिग्विजय सिंह के इस बयान से पूरी तरह से कांग्रेस पार्टी से छिटक जाएगा, क्योंकि उत्तर भारत के वोटर के लिए धारा 370 और राम मंदिर जैसे मुद्दे बेहद संवेदनशील होते हैं. 2017 और 2019 में बीजेपी इन्हीं मुद्दों के बल पर उत्तर प्रदेश और केंद्र में सरकार बना पाई थी.
आतंकवादी घटनाएं कम हुईं और विकास की राह पर है कश्मीर
5 अगस्त 2019 को जब से जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाया गया तब से घाटी में आतंकवाद कम हुआ है. कोरोना के टीकाकरण अभियान में जम्मू कश्मीर देश में टॉप पर चल रहा हैत. सड़कों का काम जो राज्य सरकारों के होने पर धीमी गति से हो रहा था अब उसमें तेजी आ गई है. बिजली गांवों तक पहुंच गई है. 370 हटने के बाद देश भर से वहां कंपनियां जा रही हैं जिससे कश्मीरी लोगों के लिए रोजगार के अवसर बन रहे हैं. शिक्षा व्यवस्था में काफी सुधार हुआ है. टूरिस्ट जिस पर पूरा कश्मीर टिका हुआ है धारा 370 हटने के बाद उसमें भी काफी बढ़ोतरी हुई है. कोरोना के दूसरी लहर के पहले तक घाटी के सभी होटल फुल थे. केंद्र सरकार के हाथों में कानून व्यवस्था आते ही ज़मीन पर स्थिति सुधरी है. अब घाटी से भय का माहौल खत्म हो रहा है. लोकसभा में गृह मंत्रालय ने बताया कि धारा 370 के हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं की संख्या में काफी कमी आई है. 2019 में 594, 2020 में 244 और 2021 में फरवरी महीने तक सिर्फ 15 आतंकी घटनाएं हुई हैं. वहीं साल 2019 में 157, 2020 में 221 और 2021 में फरवरी महीने तक आठ आतंकियों को मार गिराया गया है.
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