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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पिछले साढ़े छह साल में पहली बार ऐसा दिख रहा है कि प्रधानमंत्री परेशान हैं। इससे पहले नोटबंदी के फैसले के बाद वे थोड़े परेशान दिखे थे और यहां तक कि विदेश दौरे में भी उन्होंने नोटबंदी के फैसले को न्यायसंगत ठहराने वाला भाषण दिया था। देश के कई हिस्सों में अपने भाषणों में उन्होंने कई अजीब-अजीब सी बातें कहीं। जैसे 50 दिन बाद किसी चौराहे पर आने को तैयार हूं, फांसी पर लटकने को तैयार हूं, लोग गंगा जी में नोट बहा रहे हैं, जैसी बातें उन्होंने कही थीं। वह उनकी परेशानी का संकेत था। लेकिन थोड़े दिन में ही वे संभल गए थे और अपनी पुरानी रंगत में लौट गए थे। लेकिन इस बार परेशानी ज्यादा दिख रही है इसलिए भाषण भी ज्यादा हो रहे हैं। हैरानी कि बात है कि एक अमेरिकी एजेंसी ने उनको दुनिया में सर्वाधिक सकारात्मक रेटिंग वाला नेता बताया है पर भारत में लोगों को उनकी बातों पर यकीन नहीं हो रहा है!