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- घाटी का रास्ता
जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा हटा कर उसे दो केंद्र शासित राज्यों में विभाजित किए जाने के करीब दो साल बाद अब वहां की स्थितियां सामान्य होने की सूरत बनती नजर आने लगी है। प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर के चौदह राजनीतिक दलों को सर्वदलीय बैठक में शिरकत करने के लिए न्योता भेजा है। इसके साथ ही घाटी में सियासी हलचल तेज हो गई है। तमाम पार्टियों की अपने स्तर पर और संयुक्त रूप से गठित गुपकार संगठन की बैठकों का सिलसिला शुरू हो गया है। हालांकि शुरुआती तौर पर पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के प्रधानमंत्री के साथ बैठक में शामिल न होने की खबरें आर्इं, पर लगभग सभी दलों ने गुपकार के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के इसमें हिस्सा लेने की बात स्वीकार की है। इस तरह घाटी में लंबे समय से चला आ रहा राजनीतिक गतिरोध अब टूटने का रास्ता साफ हो गया है। अनुच्छेद तीन सौ सत्तर हटने के साल भर बाद ही वहां विधानसभा के चुनाव कराने का इरादा जताया गया था, मगर स्थितियां सामान्य होने में देर लगने के कारण यह काम रुका रहा। इससे अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में अच्छा संकेत नहीं जा रहा है। फिर वहां के विकास कार्यों और जन सामान्य की रोजमर्रा जिंदगी पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।