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- दुनिया के किसी कोने से...
हृदयनारायण दीक्षित।
इस समय समस्त विश्व और मानवता आतंक की वापसी से भयाक्रांत है। भय की यह भावना अफगानिस्तान में तालिबान के पुन: उभार से उपजी है। यूं तो दुनिया में कई आतंकी संगठन हैं और उनका एक ही एजेंडा है हिंसा एवं रक्तपात, परंतु तालिबान का मामला कई मायनों में अलग है। यह संभवत: पहला मामला है जब किसी आतंकी धड़े ने पूरा का पूरा एक देश ही हड़प लिया हो। अमेरिका ने बीस साल पहले जिस आतंकी धड़े के खिलाफ मुहिम छेड़कर उसे सत्ता से बेदखल किया था। वही फिर से सत्ता पर काबिज है। समय की सुई फिर से वहीं अटक गई है। तालिबान 21वीं सदी के आधुनिक विश्व में सातवीं सदी की कट्टरपंथी पुरातन विचारधारा लादना चाहता है। उसके प्रवक्ता का कहना है कि औरतों का काम सिर्फ बच्चे पैदा करना है। तालिबान राज में महिलाएं रो रही हैं। मानवता फफक रही है। हिंसा और रक्तपात के बावजूद विश्व बिरादरी मौन है।