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क्रिप्टोकरेंसी की बढ़ती घुसपैठ से जूझ रही दुनिया
जयंतीलाल भंडारी। केंद्र सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी नियामक और डिजिटल करेंसी बिल 2021 पेश करने जा रही है। जहां पूरी दुनिया क्रिप्टोकरेंसी की बढ़ती घुसपैठ से जूझ रही है, वहीं भारत के लिए यह अच्छी बात है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस करेंसी के खतरों को समझा और इसके नियमन का मन बनाया। बीते दिनों प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा था कि अनियंत्रित क्रिप्टो बाजार को धनशोधन और आतंकी फंडिंग का जरिया नहीं बनने दिया जा सकता। सभी लोकतांत्रिक देशों को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि क्रिप्टोकरेंसी गलत हाथों में न जाने दें, अन्यथा युवाओं का भविष्य बर्बाद हो सकता है। इस पर ध्यान देना ही होगा।
क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल मुद्रा है, जो क्रिप्टोग्राफी द्वारा सुरक्षित है। क्रिप्टोकरेंसी सिर्फ डिजिटल रूप में आनलाइन रहती है। यह सिक्के या नोट की तरह ठोस रूप में जेब में नहीं रखी जाती। इस समय क्रिप्टोकरेंसी में बिटकाइन का वर्चस्व है। इथेरियम, टीथर, कार्डानो, पोल्काडाट, रिपल और डोजकाइन सहित सैकड़ों अन्य क्रिप्टोकरेंसी भी मौजूद हैं। यह माना जाता है कि जापान के सातोशी नाकामोतो के द्वारा बिटकाइन को 2008 में लाया गया। इसका प्रचलन 2009 में शुरू हुआ। बिटकाइन दुनिया की सबसे महंगी वचरुअल करेंसी है। बिटकाइन की संख्या दो करोड़ दस लाख तक सीमित है। वैश्विक क्रिप्टोकरेंसी का मार्केट कैप लगभग 225 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है। एक बिटकाइन का मूल्य करीब 68,641 डालर है।
क्रिप्टोकरेंसी अत्यंत अस्थिर और खतरनाक उछाल भरने वाली जोखिम भरी परिसंपत्ति है। जहां क्रिप्टोकरेंसी के निर्गमन के पीछे स्वर्ण या बहुमूल्य धातु के कोष नहीं रखे जाते, वहीं इसके पीछे किसी वित्तीय नियामक संस्था की किसी मूल्य की वापसी संबंधी कोई गारंटी भी नहीं होती। ऐसे में क्रिप्टोकरेंसी का निर्गमन करके कई वित्तीय धोखेबाजों द्वारा डिजिटल निवेशकों से ठगी किए जाने की आशंका बनी रहती है। क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल वैश्विक सट्टेबाजी और साइबर अपराधों में भी हो सकता है। इतना ही नहीं क्रिप्टोकरेंसी की कीमत बढ़ना या घटना वित्तीय स्थिरता के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है। इसके बावजूद क्रिप्टोकरेंसी की मौजूदगी नकारी नहीं जा सकती। पिछले 10-12 वर्षो के तमाम वैश्विक वित्तीय संकटों के बीच क्रिप्टोकरेंसी ने अपना अस्तित्व बचाए रखा है। चूंकि क्रिप्टोकरेंसी पर कोई वैश्विक नियमन नहीं है, अत: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इससे भुगतान करना फायदेमंद माना जाता है। हालांकि इसके जोखिम भी कम नहीं हैं।
आभासी मुद्रा में निवेश को लेकर निवेशकों का आकर्षण इसलिए भी बना हुआ है, क्योंकि सरकारी तंत्र से बाहर दुनिया के किसी भी कोने में इन्हें भुनाने का विकल्प मौजूद है। खास बात यह है कि खरीदारी के सभी डिजिटल प्लेटफार्म चौबीसों घंटे खुले रहते हैं। शायद इन्हीं कारणों से अल सल्वाडोर ने बिटकाइन को मान्यता दी है। वह ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश है। इस समय क्रिप्टोकरेंसी को दुनिया के कई देशों में भरोसे के संकट का सामना करना पड़ रहा है। वे इसे पारंपरिक करेंसी के लिए खतरा मानते हैं। यही कारण है कि उन्होंने क्रिप्टोकरेंसी पर विभिन्न तरह के प्रतिबंध लगाए हैं।
चीन के केंद्रीय बैंक ने क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग की अवैध गतिविधियों पर नकेल कसने के लिए सभी क्रिप्टो लेनदेन को अवैध घोषित कर दिया है। यद्यपि भारत में भी 2018 में रिजर्व बैंक ने बैंक और अन्य वित्तीय संस्थाओं पर क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े लेनदेन को लेकर रोक लगा दी थी, लेकिन मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को पलट दिया। हालांकि देश में क्रिप्टोकरेंसी को कोई वैधानिक मान्यता नहीं मिली है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद क्रिप्टोकरेंसी का कारोबार बढ़ने लगा। बिटकाइन आदि को डिजिटल गोल्ड की तरह निवेश का एक आकर्षक विकल्प बताया जा रहा है। भारत में करीब 10.07 करोड़ लोगों के पास क्रिप्टोकरेंसी है, जो दुनिया के किसी भी देश से अधिक हैं।
भारत में क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज चलाने वालों पर अभी सरकार या दूसरे वित्तीय नियामकों का कोई नियंत्रण नहीं है। गत दिनों जयंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने विभिन्न हितधारकों के साथ क्रिप्टो वित्त और क्रिप्टोकरेंसी के गुण-दोष पर चर्चा की। माना जाता है कि इस संसदीय समिति के कई सदस्य क्रिप्टोकरेंसी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के बजाय इसके बाजार को विनियमित करने के पक्ष में हैं। वास्तव में अब बदली हुई डिजिटल दुनिया में क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाना उचित नहीं होगा। क्रिप्टोकरेंसी को बड़े पैमाने पर स्वीकृति और नए निवेशकों द्वारा प्रवेश करने से इसका महत्व बढ़ा है। कई देश अब खुद अपनी क्रिप्टोकरेंसी लाने पर विचार कर रहे हैं।
ऐसे में देश के भीतर क्रिप्टोकरेंसी के कारोबार में निवेशकों की बढ़ती रुचि को देखते हुए सरकार द्वारा प्राथमिकता के साथ इन आभासी परिसंपत्तियों के लिए नियामकीय ढांचा तैयार करने पर ध्यान देना चाहिए। इसके साथ ही नीति निर्माताओं द्वारा क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी एक ऐसी व्यापक योजना प्रस्तुत की जानी चाहिए, जिससे एक ओर केंद्रीय बैंक को वित्तीय स्थिरता से जुड़े जोखिम से बचाव मिल सके। दूसरी ओर निवेशकों के हितों का बचाव करने में भी मदद मिल सके। हम यह भी उम्मीद करते हैं कि सरकार द्वारा क्रिप्टोकरेंसी में निवेश से होने वाली कमाई को टैक्स के दायरे में लाने के लिए आयकर कानूनों में उपयुक्त बदलाव भी किया जाएगा। इससे क्रिप्टोकरेंसी को लेकर पारदर्शिता सुनिश्चित होने के साथ ही राजस्व की प्राप्ति भी हो सकेगी।
(लेखक आर्थिक मामलों के जानकार हैं)
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