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परंपरागत रूप से एक शादी हो रही है। अभी के कोविड प्रोटोकॉल के मुताबिक सरकार ने चंद लोगों को ही अनुमति दी है
एन. रघुरामन का कॉलम:
कल्पना करें : परंपरागत रूप से एक शादी हो रही है। अभी के कोविड प्रोटोकॉल के मुताबिक सरकार ने चंद लोगों को ही अनुमति दी है। (ये राज्य व जिलों के हिसाब से बदलती रहती है) शादी जैसे ही मंगलसूत्र बांधने की रस्म की ओर बढ़ती जा रही थी, दूल्हा भावुक हो गया क्योंकि एकसाल पहले ही उसने अपने पिता को खो दिया था, पिता की इच्छा थी कि उनके बेटे की शादी उस छोटे से कस्बे की सबसे अच्छी शादी हो और इसमें पांच हजार लोग आएं और वह खुद (पिता) उनमें से एक-एक को आमंत्रित करें।
उसकी टेक्नोलॉजी टीम वह अधूरा सपना पूरा करने के लिए तैयार थी। पारंपरिक शादी के बाद दूल्हा-दुल्हा एक तापमान नियंत्रित कक्ष में आते हैं, वर्चुअल रिएलिटी (वीआर) हैडसेट पहनते हैं और रिसेप्शन मेंं प्रवेश करते हैं। जिस पल ये शुरू होता है, नवदंपति को बधाई देने के लिए अपने-अपने घरों में इंतजार कर रहे हजारों मेहमान एक समानांतर वर्चुअल दुनिया 'मेटावर्स' में जोर-जोर से बधाई देते हैं। और क्या? बेटे ने एक साल पहले गुजर चुके अपने पिता के लिए पारंपरिक अवतार तैयार किया है, जो सबका निजी तौर पर स्वागत करते हुए दिख रहे हैं।
ज्यों ही नवविवाहिता मनोबल बढ़ाने के लिए उसका कसकर हाथ पकड़ती है, दूल्हे की आंखों में सचमुच के आंसू आ जाते हैं। अगर आपको इस पर भरोसा नहीं हो रहा, तो 6 फरवरी को होने वाली शादी में आपका स्वागत है और ये देश में अपनी तरह की पहली शादी होगी, जहां दंपति रिसेप्शन की मेजबानी 'मेटावर्स' पर करने वाले हैं। उनकी शादी ने पूरे देश में एक रोमांच सा पैदा कर दिया है। हां, आईआईटी मद्रास में प्रोजेक्ट एसोसिएट दिनेश शिवकुमार पद्मावती (24) और जनगनंदिनी रामास्वामी (23) अगले महीने तमिलनाडु में शादी करने जा रहे हैं।
चूंकि राजधानी चेन्नई से 600 किलोमीटर दूर इस असली लोकेशन शिवालिंगापुरम में इंटरनेट गति धीमी है, जो दूल्हे का गांव है और हजारों मेहमान जुड़ने से इस पर दबाव भी पड़ सकता है। इसलिए दंपति ने तय किया है कि स्कूटर से मोबाइल टावर तक जाएंगे और फोन से ही रिसेप्शन देंगे। असल दुनिया में दंपति मोबाइल टावर के पास हो सकते हैं, पर मेहमान होने के नाते आप उन्हें उनके अवतार में ही अपने सामान्य कम्प्यूटर मॉनिटर पर या वीआर हैडसेट से देख सकते हैं।
उपयोगकर्ता एक ग्राफिक के रूप में खुद का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं, जिन्हें अवतार कहते हैं और समारोह में दूसरों से जुड़ सकते हैं। और इसी के लिए 'मेटावर्स' की आभासी दुनिया है। अगर आप इस आइडिया की नकल करना चाहें और शहर के वेडिंग प्लानर्स से इस पर बात करें, तो हो सकता है कि वे इस आइडिया पर ये कहकर ठंडा पानी डाल दें कि आडंबरपूर्ण शादियों वाले देश में यह पूरी तरह 'गैर-भारतीय' है।
पर मैं आपको बता दूं कि 'मेटावर्स' टेक्नोलॉजी की दुनिया में सबसे गर्म मुद्दा है और बड़े टेक सीईओ जैसे मार्क जुकरबर्ग (मेटा) और सत्या नडेला (माइक्रोसॉफ्ट) 'मेटावर्स' को भविष्य का इंटरनेट बता रहे हैं। इसलिए इसे हल्के में न लें। सिर्फ यही दोनों नहीं, ज्यादातर आईटी दिग्गजों ने डिजिटल अर्थव्यवस्था के भावी चेहरे 'मेटावर्स' की ओर रुख कर लिया है! हालांकि ये अवधारणा अभी कुछ धुंधली है, पर पूरी सिलिकॉन वैली पहले ही रूपरेखा तैयार कर चुकी है। जैसे लोगों को मास्क में देखते हैं, भविष्य में ज्यादातर स्मार्ट ग्लास या वीआर हैडसेट पहने घूमते दिखेंगे।
फंडा यह है कि टेक्नोलॉजी की बनाई अनजान दुनिया से रूबरू होने के लिए आज से खुद में सुधार शुरू कर दें। नहीं तो आप जल्दी ही अपने बच्चों की दुनिया से पीछे रह जाएंगे।
Gulabi
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