सम्पादकीय

बूस्टर डोज अभियान में सभी वयस्कों को शामिल करना सही फैसला : एक्सपर्ट्स

Gulabi Jagat
12 April 2022 3:52 PM GMT
बूस्टर डोज अभियान में सभी वयस्कों को शामिल करना सही फैसला : एक्सपर्ट्स
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देशभर में 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को बूस्टर खुराक से टीकाकरण शुरू हो चुकाहै
देशभर में 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को बूस्टर खुराक (Booster dose) से टीकाकरण शुरू हो चुका है. यह अच्छा फैसला है. क्योंकि हमें ये समझना होगा कि सभी आयु वर्गों में टीके की प्रभावशीलता कम हो रही है. इसलिए हर आयु वर्ग के लिए बूस्टर डोज की जरूरत है. जब वैक्सीन (Corona Vaccine) सरप्लस में उपलब्ध है तो एक के बजाय दूसरे को प्राथमिकता क्यों दी जाए ? भारत के पास कोरोना (Corona) के खिलाफ नौ टीके हैं. ग्लोबल रिसर्च में ये पता चला है कि वैक्सीन लेने के चार महीने बाद तक एक बूस्टर या एहतियाती खुराक लोगों में इम्युनिटी (Immunity) को बढ़ा देता है. यह बूस्टर डोज का सबसे आम और प्रमुख लाभ है , और इसलिए सभी को इस अतिरिक्त खुराक के साथ जल्द से जल्द टीका लगाया जाना चाहिए.
भारत ने अपनी पूरी वयस्क आबादी का टीकाकरण (दोनों प्राथमिक खुराक के साथ) लगभग पूरा कर लिया है. इसलिए अब सभी उम्र के लोगों में बूस्टर डोज की शुरुआत करना सही है.अधिकांश आबादी को पहले ही दो डोज लग गई है और कुछ ने तो बूस्टर भी ले ली है. अगर हमें टीकाकरण पूरी तरह करना ही है तो इसी तरह आगे बढ़ना होगा . ऐसे मेंये एक अच्छा कदम रहा कि अन्य वैरिएंट के आने से पहले बूस्टर डोज वैक्सीन अभियान में हमने सभी उम्र के लोगों को शामिल कर लिया था.
(इसकी लेखिका नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी में वैज्ञानिक डॉ. विनीता बल हैं, उन्होंने शालिनी सक्सेना से बाचीत की है)
एहतियाती खुराक को इस तरह देना चाहिए ताकि प्राथमिकता वाले समूहों को पहले कवर किया जाए
जिन लोगों ने टीकाकरण (Vaccination) की अपनी प्राथमिक खुराक पूरी कर ली थी उनपर ओमिक्रॉन वैरिएंट (Omicron Variant) का प्रभाव उतना गंभीर नहीं था , खास तौर पर बुजुर्गों के लिए. तीसरी लहर के दौरान अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या भी तुलनात्मक रूप से कम थी. हमने कोरोना के विभिन्न लहरों के दौरान यही सीखा कि टीके से रोग के कोर्स को सही किया जा सकता है. संक्रमण से निपटा जा सकता है औऱ उसे कम भी किया जा सकता है. दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि टीका भले ही संक्रमण को पूरी तरह से रोकने में कामयाब नहीं हुआ हो लेकिन वो निश्चित रूप से बीमारी की गंभीरता को कम करने में सक्षम हैं . एहतियाती खुराक केवल उस सुरक्षा कवच को जोड़ेगी जो टीका प्रदान करते हैं.
वैक्सीन भले ही बहुतायत में हों,लेकिन एहतियाती खुराक को प्राथमिकता देना महत्वपूर्ण है
यह महत्वपूर्ण है कि हम अपनी एहतियाती खुराक (Booster dose) को प्राथमिकता दें. क्योंकि यदि कोरोना की एक और लहर (Corona New wave) आती है , तो 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के पास संक्रमण से लड़ने की क्षमता होगी. बुजुर्ग और ऐसे लोग जिन्हें अन्य बीमारियाँ भी है वे बीमारी इसका सामना करने में भी सक्षम होंगे. इसलिए, 60 वर्ष से ऊपर के लोग जिन्होंने अपना पूर्ण टीकाकरण पूरा कर लिया है और अपनी दूसरी डोज के बाद से नौ महीने गुजार चुके हैं , उन्हें एहतियाती खुराक लेनी चाहिए.
जो युवा (18+ में) वर्ग में हैं उन्हें एहतियाती खुराक के बारे में चिंतित होने की जरूरत नहीं है. क्योंकि हमारे पास प्रचुर मात्रा में टीका है. संवेदनशील समूहों तक पहुंचना ही हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए. जब सार्वजनिक कार्यक्रमों की बात आती है , तो आपको संवेदनशीलता और कार्यक्रम के कार्यान्वयन के बीच हमेशा संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता होती है. लोगों में दहशत फैलाने की जरूरत भी नहीं है. इसलिए, 18+ आयु वर्ग के प्रत्येक व्यक्ति को एहतियाती खुराक लेने की आवश्यकता नहीं है . यह आवश्यक है कि हम धीरे धीरे आगे बढ़ें और धीरे-धीरे दूसरों को इस अतिरिक्त बूस्टर डोज के दायरे में कवर करें . खुराक देते समय ये ध्यान रखना चाहिए कि प्राथमिकता समूहों को पहले कवर किया जाए.
( इसके लेखक इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के साइंटिस्ट डॉ. समीरन पांडा हैं, उन्होंने शालिनी सक्सेना से बातचीत की है)
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