सम्पादकीय

शुगर, हाई ब्लड प्रेशर और हाइपर थायराइड के रोगियों को साल में दो बार नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच जरूर करानी चाहिए

Gulabi Jagat
8 April 2022 7:13 AM GMT
शुगर, हाई ब्लड प्रेशर और हाइपर थायराइड के रोगियों को साल में दो बार नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच जरूर करानी चाहिए
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एक पीढ़ी पहले लोग अपने डॉक्टर के पास तभी जाते थे जब वे बीमार होते थे
उन्नति गोसाईं |
एक पीढ़ी पहले लोग अपने डॉक्टर के पास तभी जाते थे जब वे बीमार होते थे. लेकिन आज ऐसा नहीं है क्योंकि लोग अब अपने खुद के स्वास्थ्य को लेकर जागरूक हो रहे हैं. अब लोग एक हेल्दी लाइफ स्टाइल (Healthy Lifestyle) जीने के तरीके के बारे में जानने के लिए मेडिकल एडवाइस (चिकित्सीय सलाह) ले रहे हैं. अब वे हेल्दी डाइट, वजन और फिजिकल एक्टिविटी (Physical Activity) के लेवल को मेंटेन करके बीमारियों के अपने रिस्क (जोखिम) को कम करना चाहते हैं. इस विश्व स्वास्थ्य दिवस (World Health Day) के मौके पर डॉक्टर रोगियों को अपना बेहतर स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए अपनी नियमित जांच कराने की सलाह दे रहे हैं.
डॉक्टरों का कहना है कि रोकथाम की अहमियत को समझकर मेडिकल ट्रीटमेंट और सर्जरी वाले रोगियों की संख्या को कम किया जा सकता है. नोएडा के फोर्टिस अस्पताल के प्रिवेंटिव हेल्थ चेकअप के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ विशाल गुप्ता ने इस बात पर सहमति जताई कि नियमित रूप से शरीर की स्वास्थ्य जांच बहुत जरूरी है क्योंकि बीमारी रोकथाम करना इलाज से बेहतर है.
बीमारी का जल्द पता लगने से कॉम्पलीकेशन कम होते हैं
नियमित जांच से संभावित स्वास्थ्य समस्याओं का पहले पता लगाने में मदद मिल सकती है जो आगे चलकर एक बड़ी समस्या में तब्दील हो सकती हैं. जब आप नियमित रूप से अपने डॉक्टर के पास चेकअप के लिए जाते हैं तो वे आपके स्वास्थ्य की स्थिति या बीमारियों का जल्दी पता लगाने में सक्षम होते हैं. बीमारी का जल्द पता लगने से कॉम्पलीकेशन कम होते हैं और ट्रीटमेंट को समय से शुरू किया जा सकता है. सही हेल्थ सर्विस, स्क्रीनिंग और ट्रीटमेंट लेने का मतलब है आप एक लंबा स्वस्थ जीवन जीने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं.
उन्होंने कहा, "नियमित रूप से शरीर की स्वास्थ्य जांच से हमें पता चलता है कि हमारे शरीर में क्या बदलाव हो रहे हैं. जैसे कि हाई शुगर लेवल, हाइपरटेंशन, थायरॉयड, प्रोस्टेट बढ़ना, पित्त पथरी जैसी समस्याओं का इसके जरिए पता लग जाता है. इसके जरिए कोरोनरी हार्ट डिजीज या हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल का भी पता लगा सकते हैं."
नियमित जांच कितने अंतराल पर करानी चाहिए?
डॉ गुप्ता का कहना है कि साल में कम से कम एक बार सभी को नियमित स्वास्थ्य जांच करानी चाहिए. नियमित जांच की अवधि आपकी उम्र, रिस्क फैक्टर और मौजूदा स्वास्थ्य की स्थिति पर आधारित होती हैं. उन्होंने कहा, "मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हाइपर थायराइड के रोगियों को साल में दो बार नियमित रूप से शरीर की जांच कराने की सलाह दी जाती है."
चेकअप में क्या शामिल करना चाहिए?
आपके सालाना चेकअप के दौरान आपका डॉक्टर आपके पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं की समीक्षा करेगा, आपके वर्तमान स्वास्थ्य का मूल्यांकन करेगा और फिर उसके हिसाब से उपयुक्त स्क्रीनिंग टेस्ट शेड्यूल करेगा.
पुरुषों और महिलाओं की आमतौर पर जांच की जाती है:
उच्च रक्तचाप
मोटापा, आपके बॉडी मास इंडेक्स के आधार पर
तंबाकू का इस्तेमाल
शराब और नशीली दवाओं का इस्तेमाल
डिप्रेशन
15 से 65 साल की उम्र के वयस्कों और हाई रिस्क वाले किसी भी व्यक्ति के लिए HIV जांच
1945 और 1965 के बीच पैदा हुए किसी भी व्यक्ति के लिए हेपेटाइटिस C रिस्क फैक्टर
फैमिली हिस्ट्री वाले किसी भी व्यक्ति के लिए टाइप 2 डायबिटीज
50 साल की उम्र से शुरू होने वाला कोलोरेक्टल कैंसर
55 से 80 साल की उम्र के वयस्कों के लिए सालाना सीटी स्कैन के साथ फेफड़ों का कैंसर, जो वर्तमान में धूम्रपान कर रहे हैं या पिछले 15 सालों के अंदर धूम्रपान किया हैं
महिलाओं के लिए एडिशनल स्क्रीनिंग टेस्ट में शामिल हैं:
प्रसव उम्र की महिलाओं के लिए अंतरंग साथी द्वारा की जा सकने वाली हिंसा की जांच
50 से 74 साल की महिलाओं के स्तन कैंसर की जांच के लिए मैमोग्राम
सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए पैप स्मीयर, 21 से 65 साल की उम्र के बीच
45 साल की उम्र से हाई कोलेस्ट्रॉल की जांच
65 साल की उम्र से ऑस्टियोपोरोसिस स्क्रीनिंग
पुरुषों के लिए एडिशनल स्क्रीनिंग टेस्ट में शामिल हैं
धूम्रपान के इतिहास वालों के लिए 65 से 75 साल की उम्र में एब्डोमिनल एओर्टिक एन्यूरिज्म की जांच
एक प्रोस्टेट एग्जाम के लिए आमतौर पर नहीं कहा जाता है लेकिन आप और आपका डॉक्टर यह तय कर सकते हैं कि आपको इसे 50 साल की उम्र से शुरू करना चाहिए
35 साल की उम्र से हाई कोलेस्ट्रॉल की जांच
मानसिक स्वास्थ्य की जांच कितनी बार करानी चाहिए?
नियमित मानसिक स्वास्थ्य जांच ज्यादातर लोग नहीं कराते. शायद मानसिक बीमारी को लेकर समाज में फैली गलत भ्रांतियों की वजह से. लेकिन अपने भावनात्मक स्वास्थ्य को समय-समय पर चेक कराने से अवसाद (डिप्रेशन) या चिंता जैसी सामान्य बीमारियों के चेतावनी संकेतों की पहचान करने में मदद मिल सकती है. इस तरह की बीमारियों का इलाज संभव है, खासकर जब उनकी पहचान शुरुआत में हो जाए. ये बीमारियां गंभीर होने पर व्यक्तिगत और वित्तीय संकट पैदा कर सकती हैं.
"हम मानसिक स्वास्थ्य जांच के लिए एक तनाव प्रबंधन प्रश्नावली (stress management questionnaire) का इस्तेमाल करते हैं. इस प्रश्नावली में 'आपकी निराशा के कारण क्या हैं?', 'कहां और कब आप ज्यादा रिलैक्स महसूस करते हैं?', 'सबसे खराब तरह की फीलिंग आपके लिए क्या है' जैसे प्रश्न शामिल हैं. उन्होंने आगे कहा, "इन सवालों की मदद से हम यह पता लगाने की कोशिश करते हैं कि एक व्यक्ति किस दौर से गुजर रहा है और अगला कदम क्या होना चाहिए."
(लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं, आर्टिकल में व्यक्त विचार लेखिका के निजी हैं.)
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