सम्पादकीय

Pakistan Political Crisis: पाकिस्तान में सत्ता में कोई रहे, उसे अपनी सेना के हिसाब से ही चलना होगा

Gulabi Jagat
31 March 2022 1:32 PM GMT
Pakistan Political Crisis: पाकिस्तान में सत्ता में कोई रहे, उसे अपनी सेना के हिसाब से ही चलना होगा
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पाकिस्तान में तेजी से बदलतीं राजनीतिक परिस्थितियां यही संकेत कर रही हैं
पाकिस्तान में तेजी से बदलतीं राजनीतिक परिस्थितियां यही संकेत कर रही हैं कि प्रधानमंत्री इमरान खान को किसी भी समय सत्ता से बाहर होना पड़ सकता है। इसका कारण केवल यह नहीं कि उनके सहयोगी एक-एक कर उनका साथ छोड़ते जा रहे हैं, बल्कि यह भी है कि उस सेना ने उनकी मदद करने से इन्कार कर दिया, जो उन्हें छल-बल से सत्ता में लाई थी। इमरान खान सत्ता में बने रहें या फिर उससे हाथ धो बैठें, पाकिस्तान जिन कठिन हालात से दो-चार है, उनमें सुधार आने के आसार कम ही हैं।
इसलिए कम हैं, क्योंकि पाकिस्तान ने एक ओर जहां खुद को चीन के उपनिवेश में तब्दील कर लिया है, वहीं अपनी समस्त समस्याओं के लिए पश्चिम को दोष देने में लगा हुआ है। इसी कारण पश्चिमी देश और यहां तक कि अरब जगत भी उससे दूरी बनाए हुए है। आर्थिक बदहाली से बुरी तरह ग्रस्त होने के बाद भी पाकिस्तान न तो तालिबान की पैरवी करने से बाज आ रहा है और न ही किस्म-किस्म के आतंकी संगठनों को पालने-पोसने से। पाकिस्तान में सत्ता में कोई रहे, उसे अपनी सेना के हिसाब से ही चलना होगा। जो ऐसा नहीं करेगा, उसका वही हश्र होगा, जो आसिफ जरदारी और नवाज शरीफ का हुआ या फिर इमरान खान का होने जा रहा है।
भले ही पाकिस्तानी सेना का इमरान खान से मोहभंग हो गया हो, लेकिन हम इसकी अनदेखी नहीं कर सकते कि वह भारत के खिलाफ न केवल आग उगलते रहे, बल्कि कश्मीर मसले को तूल भी देते रहे। यह मानने के पर्याप्त कारण हैं कि यह सब पाकिस्तानी सेना और उसकी खुफिया एजेंसी के सहयोग-समर्थन से ही किया जा रहा था। वास्तव में इसी कारण भारत को सतर्क रहना होगा। इसकी आशंका है कि पाकिस्तान नए सिरे से कश्मीर को अशांत करने की कोशिश कर सकता है।
यह ठीक है कि एक अर्से से सीमा पर संघर्षविराम कायम है, लेकिन पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन न केवल कश्मीर के माहौल को बिगाड़ने की फिराक में हैं, बल्कि अपने हथियारबंद दस्तों की घुसपैठ कराने की भी कोशिश करते रहते हैं। एक ऐसे समय जब कश्मीर के हालात तेजी से सुधर रहे हैं और वहां के लोग पाकिस्तान के शैतानी इरादों को समझने लगे हैं, तब भारत को कहीं अधिक सावधान रहना होगा। इसी के साथ यह भी सुनिश्चित करना होगा कि पाकिस्तान प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कश्मीर में हस्तक्षेप न करने पाए।
दैनिक जागरण के सौजन्य से सम्पादकीय
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