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- धान का मान
लगातार धैर्य खोते और हरियाणा-पंजाब में मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रियों-विधायकों के घरों का घेराव कर रहे किसानों को आखिर हरियाणा सरकार ने मना ही लिया। दरअसल, किसान धान की फसल की खरीद की मांग कर रहे थे। वहीं खरीद एजेंसियों का तर्क था कि देर तक चले मानसून की वजह से धान की उपज में नमी अधिक है, इसलिये जब नमी कम हो जायेगी तो खरीद शुरू कर देंगे। दरअसल, केंद्र के कृषि सुधारों के खिलाफ पिछले एक साल से आंदोलनरत किसान आजकल आंदोलन मिजाज में हैं और राज्य सरकारों पर दबाव बनाने का कोई मौका नहीं चूकते। उल्लेखनीय है कि धान खरीद एजेंसियों ने पहले 25 सितंबर, फिर एक अक्तूबर और अंत में ग्यारह अक्तूबर से धान की खरीद करने की घोषणा की थी, जिसके चलते आक्रोशित किसान आंदोलन की मुद्रा में आ गये। किसानों की दलील थी कि फसलें पहले पक चुकी हैं, ऊपर से बारिश हो रही है, कुछ किसान मंडियों में धान लेकर पहले ही पहुंच चुके हैं। बारिश के कारण धान खेत और मंडियों में खराब हो रहा है। इसलिये तुरंत धान की खरीद शुरू की जाये। इस मुद्दे पर आंदोलन को देखते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और हरियाणा भाजपा अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने त्वरित सक्रियता दिखाते हुए केंद्र सरकार से संपर्क साधा। खट्टर केंद्रीय खाद्य व उपभोक्ता मामलों के मंत्री अश्वनी कुमार चौबे से दिल्ली जा कर अपने कृषि मंत्री जे.पी. दलाल व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के साथ मिले और उन्हें किसानों की समस्या बतायी। केंद्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री के आग्रह के बाद हरियाणा में रविवार से धान की खरीद को हरी झंडी दिखा दी।