सम्पादकीय

मलबे के मालिक

Subhi
16 Jun 2022 5:16 AM GMT
मलबे के मालिक
x
योगी की बुलडोजर नीति संविधान से भी ऊपर हो गई है। हालत यह है कि देश के मात्र दो अखबारों ने इस बुलडोजर नीति के खिलाफ खबरें प्रकाशित की और संपादकीय भी लिखा है।

Written by जनसत्ता: योगी की बुलडोजर नीति संविधान से भी ऊपर हो गई है। हालत यह है कि देश के मात्र दो अखबारों ने इस बुलडोजर नीति के खिलाफ खबरें प्रकाशित की और संपादकीय भी लिखा है। पत्थरबाजी करने वालों, दंगा भड़काने वालों को कभी उचित नहीं ठहराया जा सकता, लेकिन इसके लिए न्यायालय है। देश में आतंकी हमले करने वाले को भी यहां फांसी हुई है, आरोपियों को भी सफाई देने का मौका मिलता है और यही कानून का तकाजा भी है। मगर, योगी का बुलडोजर पूरी रफ्तार से चल रहा है और न्यायालय का पहिया सुस्त है, जो चिंताजनक है। पत्रकारिता भी, कुछ को छोड़ कर, पंगु हो गई है। जिस देश के पत्रकार बिक जाएं, समर्पण कर जाएं, उस देश के दुर्दिन को कोई नहीं रोक सकता है।

बुलडोजर से घरों को गिराने के औचित्य पर सवाल उठाते हुए तमाम याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट से लेकर देश की तमाम अदालतों में लंबित हैं। यानी अंतिम फैसला आना बाकी है, इसके बावजूद बीजेपी शासित यूपी, एमपी, गुजरात में बुलडोजर पालिटिक्स जारी है। इसीलिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर को कहना पड़ा कि बुलडोजर से इस तरह घरों को गिराना अवैध है। इंडियन एक्सप्रेस ने रविवार को पूर्व चीफ जस्टिस से बात की, जिसे सोमवार के अखबार में प्रमुखता से छापा गया है। पूर्व मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणी इस मामले में खासी महत्त्वपूर्ण मानी जा रही है।

पूर्व मुख्य न्यायाधीश् माथुर ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि यह पूरी तरह से अवैध है। भले ही आप एक पल के लिए भी मान लें कि निर्माण अवैध था, वैसे ही करोड़ों भारतीय कैसे रहते हैं, यह अनुमति नहीं है कि आप एक घर को ध्वस्त कर दें, जब उस घर के सारे लोग हिरासत में हों। उन्होंने कहा कि यह तकनीकी मुद्दा नहीं, बल्कि कानून के शासन का सवाल है।

पूर्व मुख्य न्यायाधीश की ये टिप्पणियां महत्त्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये वही जज हैं, जिन्होंने 8 मार्च, 2020, रविवार को सीएए विरोधी प्रदर्शनों में आरोपियों के लखनऊ शहर में 'नाम और शर्म' के पोस्टर लगाने के लखनऊ प्रशासन के विवादास्पद निर्णय पर स्वत: संज्ञान लिया था। अदालत ने योगी सरकार के इस कदम को गैरकानूनी बताते हुए कहा था कि आरोपियों के निजता के अधिकार का उल्लंघन किया गया है।

प्रयागराज में रविवार को वेलफेयर पार्टी के राज्य महासचिव मोहम्मद जावेद की पत्नी परवीन फातिमा के घर को बुलडोजर से मलबे के ढेर में बदल दिया गया। इसकी खास वजह यह है कि जावेद को पिछले जुमे पर हुए प्रदर्शन का मुख्य आरोपी बताया गया। हालांकि प्रयागराज के एसएसपी का बयान है कि बाप-बेटी मिल कर प्रोपेगेंडा करते हैं। इसमें जिस बेटी का उन्होंने परोक्ष जिक्र किया, उसका नाम आफरीन फातिमा है। वह जेएनयू की पूर्व छात्र नेता है और इस समय एक्टिविस्ट है। दरअसल, सरकार के निशाने पर आफरीन फातिमा ही है। इसलिए घर को लक्षित किया गया।

संपादकीय 'कथनी और करनी' में वर्णित है कि इस समय भारत का पाकिस्तान से भी बड़ा दुश्मन देशचीन है, जो लंबे समय से भारत के खिलाफ पाकिस्तान को भी भड़काता रहा है और अब भी चालबाजी से बाज नहीं आ रहा है। चीन की नीयत और नीति में सदैव खोट रही है तथा भारत ही नहीं, बल्कि पूर्व विश्व के अधिकतम देशों के साथ चीन ने दगाबाजी की है।

विस्तारवादी भूख में चीन किसी भी हद तक भारत के खिलाफ जा सकता है, क्योंकि उसकी निगाहें सदैव भारत की सरहद पर टिकी रहती है। सरहद पर अतिक्रमण से सुरक्षा हेतु भारत सरकार चीन पर कतई भरोसा नहीं करें और फिलहाल चर्चा करना भी उचित न समझें, बल्कि वैश्विक दबाव से चीन को कमजोर करने का प्रयास करें ताकि वह भारत के खिलाफ आंखें उठाने की भी हिम्मत न कर सके।


Next Story