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- उमर अब्दुल्ला: बोलो...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमन्त्री और नेशनल कान्फ्रैंस के उपाध्यक्ष श्री उमर अब्दुल्ला का यह कथन महत्वपूर्ण है कि उनके राज्य की स्थिति के बारे में हुए संवैधानिक परिवर्तनों में से कुछ को बदलना शायद अब मुमकिन नहीं होगा मगर सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष इस राज्य का दर्जा बदलने का मामला लम्बित है। श्री अब्दुल्ला की राय में संवैधानिक पक्ष पर गौर करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में यह ताकत है कि वह वक्त की घड़ी को उल्टा घुमा सके किन्तु इस तरफ फिलहाल उसकी तवज्जों नहीं है।
विगत वर्ष 5 अगस्त को देश की संसद ने प्रस्ताव पारित करके जम्मू-कश्मीर से धारा 370 व 35 (ए) को हटा कर इस राज्य को दो केन्द्र शासित राज्यों में बदल दिया था जिसकी वजह से इस राज्य की सामाजिक से लेकर राजनीतिक व भौगोलिक स्थितियों में आमूलचूल परिवर्तन आ गया था। सरकार के इस कदम का विरोध राज्य की क्षेत्रीय पार्टियों पीडीपी व नेशनल कान्फ्रैंस आदि ने पुरजोर तरीके से किया मगर अब यह कहा जा सकता है कि राज्य की जनता ने इस बदलाव को स्वीकार करना शुरू कर दिया है क्योंकि दो महीने पहले इस राज्य में हुए जिला विकास परिषदों के चुनावों से यह सिद्ध हो गया है कि आम लोग परिवर्तन से मिले नागरिक अधिकारों का उपयोग खुशी-खुशी कर रहे हैं।