सम्पादकीय

उपन्यास: Part 42- जिलाधीश महोदय

Gulabi Jagat
20 Oct 2024 2:28 PM GMT
उपन्यास: Part 42- जिलाधीश महोदय
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Novel: मिनी की शादी तय होने से पहले सासूमाँ की तबियत इतनी अधिक खराब हुई थी कि उनका बचना मुश्किल हो गया था। शादी के बाद सासूमाँ इतनी अच्छी हो गयी थी कि मिनी के स्नान के लिये पानी खुद रखवाती थी। मिनी कहती कि मां ये काम आप क्यों करती है, मुझे अच्छा नही लगता तो सासूमाँ कहती -"बेटा! अगर आज मैं नही होती तो तुम्हे लगता न कि मेरी सासूमां होती तो मुझे भी प्यार करती।" सासूमाँ की बाते सुनकर मिनी खामोश हो जाती। सासूमाँ कभी-कभी कहा करती थी कि मैंने छोटे बेटे की शादी देख ली, पोता भी देख लिया ईश्वर ने मुझे इतनी मोहलत दे दी , मेरी सारी इच्छा पूरी कर दी अब मैं चैन से
भगवान
के घर जा सकती हूं। परंतु सासूमाँ की बातों के पीछे इतना गुढ़ अर्थ छिपा है ये पता नही था।
सासूमाँ को गए 10 दिन भी पूरे नही हुए थे मिनी को इंटरव्यू के लिए कॉल लेटर आ गया। मिनी की और सर की दोनो की नौकरी स्थाई नही थी। स्थाई नियुक्ति के लिए दोनो को फिर से इंटरव्यू के दौर से गुजरना था। बड़े जेठ ने सर के दोस्त जिनको सासूमाँ अपना बेटा ही मानती रही, उनके साथ मिनी को इंटरव्यू दिलाने के लिए जाने की व्यवस्था की।
पूरा घर मेहमानों से भरा था। मिनी ऐसी परिस्थिति में 2 महीने के बच्चे को लेकर इंटरव्यू दिलाने गयी। सुबह घर से निकले थे। 11 बजे ऑफिस में उपस्थित होना था। अपनी बारी का इंतजार करते करते दोपहर के 3 बज रहे थे। मिनी की हालत खराब हो रही थी। इतनी भीड़ देखकर लग रहा था कि उसकी बारी शाम रात तक आएगी। मिनी बेचैन होकर एक हाथ मे बच्चे को और दूसरे हाथ मे दूध का बॉटल पकड़े हुए इंटरव्यू वाले रूम के बाहर टहल रही थी। सौभाग्य से उसी समय जिलाधीश महोदय मोबाईल में बाते करते हुए रूम से बाहर निकले। उन्होंने मिनी को देखा । फिर अंदर चले गए। थोड़ी देर बाद एक व्यक्ति ने कहा- "आपको सर अंदर बुला रहे है।" मिनी ने पूछा - "क्यों?" उसने कहा- "इंटरव्यू के लिए।"
मिनी खुश हो गयी। वो अंदर गयी। उसने देखा जिलाधीश महोदय इंटरव्यू ले रहे थे। टीम में और भी सदस्य थे। मिनी से बहुत सारे प्रश्न किये गए। मिनी ने जवाब दिए । मिनी को पता था यहाँ तब तक प्रश्न पूछे जाएंगे जब तक किसी प्रश्न पर गाड़ी अटक न जाये। लगभग 10 प्रश्नों के जवाब देने के बाद 11 वे प्रश्न में मिनी रुक गई उसने कुछ नही कहा सिर झुकाकर मुस्कुरा दिए। सर ने कहा - "ठीक है ,जाइये।"
मिनी जिलाधीश महोदय को तहे दिल से दुआएँ दे रही थी इसलिए कि उन्होंने मिनी की हालत को देखते हुए दूसरे सब्जेक्ट के इंटरव्यू के बीच मे ही मिनी को बुलाकर इंटरव्यू ले लिए। मिनी को बड़ी राहत महसूस हुई और वो देर रात तक घर वापस भी पहुच गई। घर मे सभी ने पूछा- "इंटरव्यू कैसा रहा ?" मिनी ने कहा -"ईश्वर की कृपा से ठीक ही रहा।" पर मिनी मन ही मन सोच रही थी कि जिलाधीश महोदय की ये सज्जनता मिनी कभी भूल नही पाएगी.......क्रमशः
रश्मि रामेश्वर गुप्ता
बिलासपुर छत्तीसगढ़
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