सम्पादकीय

कर्नाटक और आंध्र ही नहीं हरियाणा, गुजरात और झारखंड भी हैं हनुमान जन्मभूमि के दावेदार

Gulabi
12 April 2021 8:24 AM GMT
कर्नाटक और आंध्र ही नहीं हरियाणा, गुजरात और झारखंड भी हैं हनुमान जन्मभूमि के दावेदार
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हिंदू धर्म में आस्था रखने वालों के लिए हनुमान जी हमेशा से विशेष रहे हैं

संयम श्रीवास्तव। कर्नाटक और आंध्र ही नहीं हरियाणा, गुजरात और झारखंड भी हैं हनुमान जन्मभूमि के दावेदार न सब के संकट हरने वाले हनुमान जी के जन्म स्थान पर नया संकट खड़ा हो गया है. दरअसल एक रिपोर्ट के मुताबिक शिवमोगा में रामचंद्रपुरा मठ के प्रमुख रामेश्वर भारती ने दावा किया है कि हनुमान जी का जन्म उत्तर कन्नड़ जिले के गोकर्ण में हुआ था.


आपको बता दें हनुमान जी के जन्म पर पिछले कई दशकों से विवाद चला आ रहा है. कई राज्य ऐसे हैं जो अपने यहां प्रभु श्री राम भक्त हनुमान के जन्म स्थान को बताते हैं. इसमें आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, झारखंड, हरियाणा और गुजरात जैसे राज्य शामिल हैं. कर्नाटक का दावा हनुमान जी के जन्म को लेकर हमेशा से रहा है. वहां के हनुमान भक्त कहते हैं कि उनका जन्म किष्किंधा के अंजनाद्रि पहाड़ी पर हुआ था. आंध्र प्रदेश हनुमान जी के जन्म पर अपना अलग दावा पेश करता है. उसका मानना है कि भगवान हनुमान का जन्म तिरुपति में स्थित सात पहाड़ों में से एक में हुआ था. दरअसल इन सात पहाड़ों को भी अंजनद्री कहां जाता है इसलिए कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में विवाद दशकों से चला रहा है.


गुजरात में हनुमान जी के जन्म का दावा
हनुमान जी के जन्म को लेकर गुजरात भी काफी समय से दावा करता रहा है. कुछ विद्वानों का मानना है कि गुजरात के नवसारी में डांग जिला है, जिसे पहले दंडकारण्य प्रदेश के रूप में जाना जाता था. जब भगवान राम को 14 वर्षों का वनवास मिला था तो उन्होंने 10 वर्ष इसी क्षेत्र में गुजारे थे. खास तौर से यहां के आदिवासियों का मानना है कि हनुमान जी का जन्म इसी जिले में पड़ने वाले अंजना पर्वत में स्थित अंजनी गुफा में हुआ था. लोगों की मान्यता है कि भगवान श्रीराम को माता शबरी ने इसी जिले में सुबीर के पास अपने जूठे बेर खिलाए थे, जिसे आज शबरी धाम के नाम से जाना जाता है. यहां ऋषि मातंग का आश्रम भी स्थित है.

महाराष्ट्र भी कहता, हनुमान जी नासिक में पैदा हुए
बहुत से लोगों की खास तौर से जो महाराष्ट्र क्षेत्र से आते हैं उनका मानना है कि हनुमान जी का जन्म महाराष्ट्र के नासिक जिले में पड़ने वाले अंजनेरी पर्वत पर हुआ था. यह पर्वत त्र्यंबकेश्वर से करीब 7 किलोमीटर दूर नासिक जिले में स्थित है. इस पर्वत पर हनुमान जी की मां, माता अंजनी का एक प्राचीन मंदिर भी है और उससे कुछ ऊंचाई पर हनुमान जी का भी मंदिर स्थापित है. यहां मौजूद साक्ष्यों की वजह से इस इलाके के लोग भगवान हनुमान की जन्मभूमि यहां होने का दावा करते हैं.

हरियाणा के कैथल में हनुमान जी ने जन्म लिया
देश की राजधानी दिल्ली से सटे राज्य हरियाणा के कैथल में भी हनुमान जी के जन्म के स्थान का दावा किया जाता है. दरअसल कैथल का पहले नाम कपिस्थल था, कपिस्थल उस वक्त कुरु साम्राज्य का एक प्रमुख भाग था. दरअसल कपि का अर्थ होता है बंदर और भगवान हनुमान बंदर के स्वरूप में ही पृथ्वी पर विराजमान थे. इसीलिए हरियाणा के कैथल में होने वाले दावे को बल मिलता है. हरियाणा के कैथल में आपको हनुमान जी के ऐतिहासिक और पौराणिक कथाओं से जुड़े कई साक्ष्य देखने को मिलते हैं यहां हनुमान जी की मां, माता अंजनी का एक प्राचीन मंदिर भी है.

हनुमान जी झारखंड में पैदा हुए
हनुमान जी भक्तों में इतने प्रिय हैं कि उनकी उपस्थिति देश के कोने-कोने में देखी जा सकती है. इसीलिए हर जगह से उनके जन्म स्थान का दावा किया जाता है. इन्हीं में से एक दवा झारखंड भी करता है. कुछ लोगों का मानना है कि हनुमान जी का जन्म झारखंड राज्य के गुमला जिले के मुख्यालय से कुछ किलोमीटर दूर अंजनगांव की एक गुफा में हुआ था. वहां यह भी कहा जाता है कि इसी जिले के पालकोट प्रखंड में बालि और सुग्रीव का राज्य भी था. यहां के आदिवासी लोग आज भी अंजनगांव के उस गुफा में पूजा पाठ करते हैं और उसे हनुमान जी का जन्म स्थान बताते हैं.

शिवमोगा के दावे में कितना दम
कर्नाटक के शिवमोगा स्थित रामचंद्रपुर मठ के मठाधीश राग विश्वभारती ने जो दावा किया है कि हनुमान जी का जन्म यहां के गोकर्ण में हुआ है वह उसके पीछे रामायण का जिक्र करते हुए तर्क देते हैं. जिसमें हनुमान जी माता सीता से समुद्र के पार गोकर्ण में अपने जन्म स्थान होने की बात कहते हैं. मठाधीश रामेश्वर भारती कहते हैं कि रामायण के प्रमाण से हम यह दावा करते हैं की गोकर्ण ही हनुमान जी की असली जन्म भूमि है और किष्किंधा स्थित अंजनाद्रि उनकी कर्मभूमि है. हनुमान जी के जन्म पर कई अलग-अलग राज्यों में दावे हुए हैं, लेकिन अभी तक किसी को भी इसकी मान्यता नहीं मिली है. भगवान श्री राम की जन्मभूमि का मसला वर्षों बाद हल होने के बाद लगता है कि अब उनके परम भक्त हनुमान जी के जन्म भूमि का मुद्दा भी वर्षों तक उलझा रह जाएगा.

जन्मस्थान के साथ-साथ जयंती पर भी है विवाद
हनुमान जी के जन्मस्थान के साथ उनकी जयंती पर भी बड़ा विवाद है. जिस तरह से लोग उनके जन्मस्थान को अलग-अलग जगह होने का दावा करते हैं, वैसै ही लोग उनके जन्मतिथि को लेकर भी अलग-अलग मत रखते हैं. कुछ लोग उनके जन्म का समय चैत्र माह की पूर्णिमा को मानते हैं. इसके साथ कुछ लोगों का दावा है कि हनुमान जी का जन्म कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी की महानिशा को हुआ है. बहुत से लोग हनुमान जी की जयंती चैत्र माह की पूर्णिमा को ही मनाते हैं. इसके अलावा भी देश में कई जयंती मनाई जाती है.


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