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- आतंक का सिमटता दायरा
आदित्य नारायण चोपड़ा: अनुच्छेद 370 निरस्त होने के डेढ़ वर्ष के भीतर ही जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद अंतिम सांसें गिन रहा है। घाटी में सक्रिय आतंकियों की संख्या काफी कम हो गई है। जो बचे हैं उनमें भी ज्यादातर स्थानीय और नए आतंकवादी हैं। सुरक्षा एजेंसियां युवाओं के आईकॉन बने पुराने आतंकी सरगनाओं को मार गिराने में सफल रही हैं। स्थानीय और नए आतंकी सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में ज्यादा समय तक टिक नहीं पाते। सुरक्षाबलों की मुस्तैदी के कारण सीमा पार से आतंकियों की घुसपैठ मुश्किल हो गई है। पाकिस्तान ने सीमा के आर-पार सुरंगें खोदकर आतंकियों की घुसपैठ की चाल जरूर चली लेकिन यह बहुत दिनों तक सफल नहीं हुई। सुरक्षाबलों ने एक के बाद एक चार सुरंगों का पता लगाकर उन्हें बंद कर दिया। आतंकवादियों के गिरते मनोबल का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि 2019 में जहां कुल 555 आतंकी घटनाएं हुई थीं, वहीं पिछले वर्ष केवल 142 घटनाएं ही दर्ज की गईं।