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Dr. Shankar Suwan Singh: दूध एक संपूर्ण आहार है जो स्वस्थ दुधारू पशुओं के लैक्टियल स्राव से प्राप्त होता है। दुधारू पशुओं के ब्याने से 15 दिन पहले और ब्याने के 5 दिन बाद ही दूध का उपयोग होता है। दूध को अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे दुग्ध, गोरस, क्षीर, दोहज, पय, पीयूष, स्तन्य आदि। पोषण आहार-तत्व सम्बन्धी विज्ञान है। इसके अंतर्गत आहार तत्वों द्वारा मनुष्य के शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन एवं विश्लेषण किया जाता है। दूसरे शब्दों में शरीर आहार सम्बन्धी सभी प्रक्रियाओं का नाम ही पोषण है। पोषण का सम्बन्ध भोजन व उस भोजन के सामाजिक, आर्थिक व मनोवैज्ञानिक प्रभावों से भी है। आहार और स्वास्थ्य का घनिष्ठ सम्बन्ध है। भोजन के वे सभी तत्व जो शरीर में आवश्यक कार्य करते हैं, उन्हें पोषण तत्व कहते हैं। यदि ये पोषण तत्व हमारे भोजन में उचित मात्रा में विद्यमान न हों, तो शरीर अस्वस्थ हो जाएगा। कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज-लवण व पानी प्रमुख पोषण तत्व हैं। हमारे भोजन में कुछ ऐसे तत्व भी होते हैं, जो पोषण तत्व नहीं होते जैसे रंग व खुशबू देने वाले रासायनिक पदार्थ। ये आवश्यक तत्व जब (सही अनुपात में) हमारे शरीर की आवश्यकता अनुसार उपस्थित होते हैं, तब उस अवस्था को सर्वोत्तम पोषण या समुचित पोषण की संज्ञा दी जाती है। यह सर्वोत्तम पोषण स्वस्थ शरीर के लिए नितान्त आवश्यक है।
कुपोषण उस स्थिति का नाम है जिसमें पोषक तत्व शरीर में सही अनुपात में विद्यमान नहीं होते हैं अथवा उनके बीच में असंतुलन होता है। अत: हम कह सकते हैं कि कुपोषण अधिक पोषण व कम पोषण दोनों को कहते हैं। कम पोषण का अर्थ है किसी एक या एक से अधिक पोषण तत्वों का आहार में कमी होना। उदाहरण- विटामिन ए की कमी या प्रोटीन की कमी आदि। अधिक पोषण से अर्थ है एक या अधिक पोषक तत्वों की भोजन में अधिकता होना। उदाहरण, जब व्यक्ति एक दिन में ऊर्जा खपत से अधिक ऊर्जा ग्रहण करता है, तो वह वसा के रूप में शरीर में एकत्रित हो जाती है और उससे व्यक्ति मोटापे का शिकार हो जाता है। दूध एक ऐसा आहार है जिसमे सभी पोषक तत्व संतुलित मात्रा में पाए जाते हैं। पोषण की दृष्टि से दूध हमारे लिए उपलब्ध सबसे बढ़िया भोजन है।
शरीर को अपने भोजन की आपूर्ति में तीस से अधिक अलग-अलग पदार्थों की आवश्यकता होती है। कोई भी एक खाद्य पदार्थ उन सभी की आपूर्ति नहीं करता है, लेकिन दूध लगभग सभी की आपूर्ति करता है। दूध ऊर्जा युक्त आहार है। दूध शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है। दूध में एमिनो एसिड एवं फैटी एसिड मौजूद होते हैं। दूध संपूर्ण आहार है। दूध के बिना जीवन अधूरा है। दूध एक अपारदर्शी सफेद द्रव है जो मादाओं के दुग्ध ग्रन्थियों द्वारा बनाया जाता है। नवजात शिशु तब तक दूध पर निर्भर रहता है जब तक वह अन्य पदार्थों का सेवन करने में अक्षम होता है। दूध में मौजूद संघटक हैं- पानी, ठोस पदार्थ, वसा, लैक्टोज, प्रोटीन, खनिज वसा विहिन ठोस। अगर हम दूध में मौजूद पानी की बात करें तो सबसे ज्यादा पानी गधी के दूध में 91.5% होता है, घोड़ी में 90.1%, मनुष्य में 87.4%, गाय में 87.2%, ऊंटनी में 86.5%, बकरी में 86.9% होता है। भैंस के दूध में पानी की मात्रा 82-83% होती है। भैंस के दूध में गाय के दूध की तुलना में ज़्यादा फैट और प्रोटीन होता है। दूध में कैल्शियम, मैग्नीशियम, ज़िंक, फास्फोरस, आयोडीन, आयरन, पोटैशियम, फोलेट्स, विटामिन- ए, विटामिन- डी, राइबोफ्लेविन, विटामिन बी-12, प्रोटीन आदि मौजूद होते हैं। गाय के दूध में प्रति ग्राम 3.14 मिली ग्राम कोलेस्ट्रॉल होता है। गाय का दूध पतला होता है। जो शरीर मे आसानी से पच जाता है। एक भी खाद्य पदार्थ सभी की आपूर्ति नहीं करता है, लेकिन दूध लगभग सभी की आपूर्ति करता है।
आयुर्वेद के अनुसार गाय के ताजा दूध को ही उत्तम माना जाता है। पुराणों में दूध की तुलना अमृत से की गई हैं, जो शरीर को स्वस्थ मजबूत बनाने के साथ-साथ कई सारी बीमारियों से बचाता है। गाय का दूध आंतरिक पित्त-संबंधी समस्याओं जैसे की सीने में जलन, अल्सर और त्वचा पर चकत्ते को कम करने में मदद करता है। भैंस के दूध के बजाय गाय के दूध का सेवन करने को ज्यादातर कहा जाता है क्योंकि आयुर्वेद में भैंस के दूध को गर्म तासीर का माना गया है। आयुर्वेद के अनुसार , वयस्कों को रात को सोने से पहले दूध पीना सबसे अच्छा बताया गया है। जबकि बच्चों को सुबह ही दूध पी लेना चाहिए। रात को सोने से पहले दूध पीने वाले व्यक्ति का ओजस बढ़ता है। पूर्ण या उचित पाचन की अवस्था ओजस कहलाती है। भैंस के दूध में गाय के दूध की तुलना में ज्यादा वसा (फैट) पाया जाता है।
इसके अलावा, भैंस का दूध कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम और पोटेशियम जैसे पोषक तत्वों का भी एक अच्छा स्रोत है। वहीं, गाय का दूध विटामिन का एकअच्छा स्रोत है। गाय का दूध मेलाटोनिन का समृद्ध स्रोत है। मस्तिष्क में स्थित पीनियल ग्रंथि एक छोटी अंतःस्रावी ग्रंथि है जो मेलाटोनिन हार्मोन को स्रावित करती है। यही मेलाटोनिन हार्मोन नीद को बढ़ावा देने में सहायक होता है। वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर सर्दियों के दौरान, कुल दैनिक दूध में मेलाटोनिन की सांद्रता, औसतन, गर्मियों की तुलना में 74.7% अधिक होती है। अतएव सर्दियों में दूध का पीना और ज्यादा फायदेमंद है। दूध में ट्रिप्टोफैन नामक एमिनो एसिड पाया जाता है। सेरोटोनिन और मेलाटोनिन के उत्पादन में ट्रिप्टोफैन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सेरोटोनिन एक न्यूरोट्रांसमीटर है जो मनोदशा (मूड), संज्ञानात्मक तर्क और स्मृति को प्रभावित करता है। खाद्य पदार्थों में पाए जाने वाला ट्रिप्टोफैन बुजुर्गों में नींद और मनोदशा को बेहतर बनाने में सहायक सिद्ध हुआ है। दिन में दुही गई गायों की अपेक्षा रात्रि में दुही गई गायों से एकत्रित किया गया दूध ट्रिप्टोफैन के अलावा इसमें मेलाटोनिन की भी भरपूर मात्रा होती है। वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर गाय के रात के दूध में मेलाटोनिन की औसत सांद्रता 14.87 पिकोग्राम/मिलीलीटर होती है, जबकि कुल दैनिक दूध में यह 6.98 पिकोग्राम/मिलीलीटर मापी गई। दूध पीने से अवसाद और तनाव दूर रहता है। अतएव हम कह सकते हैं कि मेलाटोनिन, दूध की पोषकता का पर्याय है।
लेखक
डॉ. शंकर सुवन सिंह
असिस्टेंट प्रोफेसर
(सेलेक्शन ग्रेड)
(फ़ूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी/डेरी टेक्नोलॉजी विभाग)
सैम हिग्गिनबॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चर, टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज
नैनी, प्रयागराज (यू.पी)
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Gulabi Jagat
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