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- राज्यों को चिट्ठी:...
अपने देश में कुछ मामलों में चीजें कितनी धीमी गति से आगे बढ़ती हैं, इसका एक और उदाहरण है कानून मंत्रालय की ओर से राज्यों को लिखी गई इस आशय की चिट्ठी कि वे बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं से जुड़े विवादों को हल करने के लिए विशेष अदालतें गठित करें और उन्हें सप्ताह में कुछ दिन इन्हीं विवादों के निपटारे के लिए समर्पित करें। कायदे से यह काम तभी शुरू हो जाना चाहिए था जब दो वर्ष पहले संबंधित कानून में इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए आवश्यक संशोधन कर दिया गया था। कोई नहीं जानता कि इस ओर अपेक्षित ध्यान क्यों नहीं दिया गया? जो भी हो, कानून मंत्रालय की ओर से राज्यों को भेजी गई चिट्ठी से यह इंगित होता है कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और कर्नाटक के उच्च न्यायालयों ने अपेक्षा के अनुरूप काम शुरू कर दिया है। समझना कठिन है कि यह काम अन्य राज्यों में क्यों नहीं शुरू हो सका? कम से कम अब तो यह सुनिश्चित किया ही जाए कि बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं से जुड़े विवादों का निपटारा प्राथमिकता के आधार पर हो। इन विवादों के निपटारे में तत्परता का परिचय केवल इसलिए नहीं दिया जाना चाहिए कि इससे कारोबारी माहौल को और सुगम बनाने में मदद मिलेगी, बल्कि इसलिए भी किया जाना चाहिए ताकि विकास योजनाओं को गति मिल सके और विभिन्न परियोजनाओं के अटकने-लटकने के कारण उनकी लागत में होने वाली अनावश्यक वृद्धि से बचा जा सके।