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शासक को सही समय पर सही निर्णय लेना चाहिए नहीं तो
ज्योतिर्मय रॉय.
शासक को सही समय पर सही निर्णय लेना चाहिए नहीं तो सत्ता में अस्थिरता और शत्रु में वृद्धि सुनिश्चित है. सही निर्णय के लिए जरूरत है सतर्कता और संयम की. अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी को लेकर जितनी हड़बड़ाहट देखने को मिली इससे यह प्रतीत होता है कि अफगानिस्तान को लेकर अमेरिकी नेतृत्व में सतर्कता और संयम की कमी है. शायद सतर्कता और संयम कि कमी के कारण अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की लोकप्रियता देश में धीरे-धीरे घटती जा रही है और इसका सिधा प्रभाव विश्व में अमेरिकी की सुपर पावर छवि पर पड़ रहा है.
सीएनएन और एसएसआरएस अनुसंधान कंपनियों द्वारा किए गए एक सर्वेक्षणों के अनुसार, 73 फीसदी अमेरिकी कांग्रेस के प्रदर्शन से असंतुष्ट हैं, और 49 फीसदी लोग राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रदर्शन से असहमत हैं. अन्य सर्वेक्षणों में पाया गया कि बाइडेन की संतुष्टि 43 फीसदी से भी कम है. विशेषज्ञों ने 7 मिलियन अवैध अप्रवासियों के लिए उनको पैरोल जारी किया, बुनियादी ढांचा परियोजना सुधारने हेतु 1.2 ट्रिलियन डॉलर के लिये कांग्रेस से आग्रह भी किया और प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए अमेरिकी बजट के 2.5 ट्रिलियन डॉलर सुधार को पारित करने का भी आग्रह किया, लेकिन जो बाइडेन को विश्व में अमेरिका की सफलता से ज्यादा देश के अंदर अपनी सफलता की तलाश है. अपने ही देश में सफलता तलाशते जो बाइडेन को विश्व में अमेरिका की सुपरपावर छवि की कोई परवाह नहीं है.
बाइडेन की कमजोर छवि उनकी पार्टी के लिए चिंता का विषय
देश में अपनी छवि सुधारने के चक्कर में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सामने एक शिखर सम्मेलन रखने का प्रस्ताव दिया था. बाइडेन को विश्वास है की इस शिखर सम्मेलन के माध्यम से कई समस्याओं का समाधान किया जा सकता है. लेकिन दोनों देशों की तीन राजनयिक वार्ता के बाद, यह तय किया गया कि इस वर्ष के अंत तक एक वीडियो सम्मेलन के माध्यम से दोनों देशों के राष्ट्रपतियों का एक बैठक आयोजित किया जाएगा.
बाइडेन के नेतृत्व में संयुक्त राज्य अमेरिका चीन के साथ "शांति की तलाश" करने के लिए उत्सुक हैं. क्योंकि अगले साल मध्यावर्ती चुनावों में, सीनेट और प्रतिनिधि सभा पर डेमोक्रेटिक पार्टी अपना नियंत्रण बनाए रखना चाहती है. जो बाइडेन के पदभार ग्रहण करने के एक साल से भी कम समय में लोकप्रियता घटी है. यह बाइडेन और उनके पार्टी के लिए चिंता का विषय है.
80 फीसदी से अधिक अमेरिकियों का मानना है कि चीन एक प्रतिद्वंद्वी या दुश्मन राष्ट्र है
आंतरिक मामलों के विभाग में असफलताओं ने जो बाइडेन को चीन के साथ संबंधों में नई सफलता तलाशने के लिए उत्प्रेरित किया है. लेकिन 80 फीसदी से अधिक अमेरिकियों का मानना है कि चीन एक प्रतियोगी या दुश्मन राष्ट्र है. लोगों का मानना है कि अमेरिका-चीन शिखर सम्मेलन के लिए जो बाइडेन द्वारा शी जिनपिंग को अनुरोध का मतलब है अमेरिका द्वारा चीन को अनिवार्य रूप से और अधिक रियायतें देना पड़ेगा. अपने ही देश में, अपनी छवि सुधारने के लिए जो बाइडेन ने चीन से सहायता मांगी है, इसके लिये बीजिंग अवश्य ही सही कीमत की प्रतीक्षा कर रहा है.
दरअसल, अफगानिस्तान से अमेरिका प्रशासन की वापसी में हुए एक विस्फोट में 13 अमेरिकी सैनिकों का मारा जाना, जो 11 सितंबर 2001 को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर किए गए हमलों के बीस साल बाद फिर से अमेरिका पर किया गया हमला है. ऊपर से करोना महामारी का फिर से लौटना, अनिवार्य टीकाकरण और स्कूल खोलना या खुफिया एजेंटों को मजबूत करने की दिशा में बाइडेन सरकार की बार-बार विवादास्पद नीतियों के चलते अमेरिका के लोग जो बाइडेन से नाराज हैं. उन लोगों का मानना है की, जो बाइडेन के नीति के चलते विश्व में अमेरिका का छवि प्रभावित हुई है, यही कारण है कि ट्रम्प और रिपब्लिकन पार्टी ने असंतोष व्यक्त किया है और ट्रम्प को 2024 में राष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार घोषणा करने के लिये प्रेरित किया है.
बाइडेन की नीतियां अमेरिका के सुपर पॉवर छवि को कमज़ोर बना रही हैं
फॉक्स न्यूज ने बताया कि एफबीआई ने 2010 में जो बाइडेन के बेटे हंटर के कर मुद्दों की जांच की और पाया कि बाइडेन और उनके बेटे ने अपने खाते साझा किए थे, और दोनों ने एक-दूसरे के बिलों का भुगतान किया था. यह उनका निजी मामला है, लेकिन क्या राष्ट्रपति बाइडेन इसमें शामिल थे? एफबीआई द्वारा इस मामले पर रिपब्लिकन पार्टी की नजर है, जो आने वाले चुनाव में बड़ा मुद्दा हो सकता है. अमेरिका के लोगों का मानना है की जो बाइडेन अमेरिकी सुपर पावर छवि को कमजोर और चीन की छवि को मजबूत बना रहे हैं. करोना महामारी के बाद चीन दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण सामानों का आपूर्तिकर्ता बन गया है और संयुक्त राज्य अमेरिका भी चीनी सामानों पर अधिक निर्भर होता जा गया है. अगस्त में यूएस-चीन व्यापार घाटा बढ़कर 31.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया यह है, जो सितंबर 2019 के बाद से एक रिकॉर्ड उच्चतम स्तर पर है.
चीनी उद्योग और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री जिओ याकिंग ने 18 अक्टूबर को कहा कि वह चीन में निवेश का विस्तार करने और पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग को गहरा करने के लिए अमेरिकी कंपनियों का स्वागत करते हैं. उन्हें उम्मीद है कि अमेरिकी कंपनियां नई ऊर्जा वाहनों, बायोमेडिसिन और नई पीढ़ी के सूचना संचार के क्षेत्र में चीनी उद्योगों के साथ सहयोग को मजबूत करना जारी रखेंगे. दरअसल, इस साल की तीसरी तिमाही में चीन के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में साल-दर-साल 4.9 फीसदी की वृद्धि हुई, जो रॉयटर्स सर्वेक्षण द्वारा अनुमानित 5.2 फीसदी औसत से कम है. यह पिछले साल की तीसरी तिमाही के बाद से सबसे कम तिमाही जीडीपी विकास दर है, जब की यह भी 4.9 फीसदी थी, तिमाही आधार पर जीडीपी में तीसरी तिमाही में 0.2 फीसदी की वृद्धि हुई, जो उम्मीद से भी कम है.
चीन अमेरिका के प्रति कोई नरमी नहीं दिखा रहा है
हांगकांग इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो ने कहा कि तीसरी तिमाही के बाद, चीन के घरेलू और विदेशी जोखिम और चुनौतियां बढ़ गई हैं, वैश्विक महामारी फैल गई है, विश्व अर्थव्यवस्था की वसूली धीमी हो गई है, अंतर्राष्ट्रीय कमोडिटी की कीमतें बढ़ी हुई हैं, और चीन की घरेलू अर्थव्यवस्था के कुछ हिस्से महामारी से प्रभावित हुए हैं. समायोजन और परिवर्तन का दबाव पर लक्षित हुआ है. इस स्थिति में, चीनी के उप प्रधान मंत्री लियू हे और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि दाई क्यूई ने इस महीने की शुरुआत में एक वीडियो संवाद किया था. चीन ने अमेरिका से टैरिफ और प्रतिबंधों को रद्द करने पर बातचीत की, और चीन के आर्थिक विकास मॉडल और औद्योगिक नीतियों पर अपनी स्थिति स्पष्ट की.
भले ही चीनी अर्थव्यवस्था में कई समस्याएं उभर के आई हैं, लेकिन बीजिंग अपने कार्य करने की तरीके और विचार पर दृढ़ है और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ संपर्क को लेकर नरमी के कोई संकेत नहीं दिखा रहा है. अमेरिका के लोगों का मानना है की, चीन के प्रति जो बाइडेन का नरम रुख, जहां विश्व में अमेरिकी सुपर पावर छवि को कमजोर कर रहा है वहीं चीन कि सुपर पावर छवि को ज्यादा मजबूती मिल रही है.
चीन की विस्तारवाद नीति अमेरिका के उद्योग जगत को धीरे-धीरे निगल जाएगी
चीन की व्यापार नीति किसी भी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को धीरे-धीरे अजगर की तरह निगल जाती है. यही चीन की विस्तारवाद नीति है. चीन के साथ अमेरिका के व्यापार संबंध अमेरिका को ही कमजोर करेगा. समय के साथ-साथ, अमेरिका के उद्योग जगत को चीन धीरे-धीरे निगल जाएगा और एक दिन ऐसा आएगा कि जब चीन के समक्ष अमेरिका का कोई अस्तित्व नहीं रहेगा. विशेषज्ञों का मानना है कि, चीन के प्रति अमेरिका के बदलते दृष्टिकोण से विश्व के विभिन्न राष्ट्रों में अमेरिका के प्रति विश्वसनीयता को प्रभावित करेगा.
अमेरिका को चाहिए की अपने उद्योग जगत पर चीन की छाया बढ़ने ना दे. अमेरिका का अपने उद्योग जगत को मजबूत करने के लिए चीन पर निर्भरता आत्मघाती साबित हो सकता है. अमेरिकी राष्ट्रपति को याद रखना चाहिए कि इतिहास सदैव दूरदर्शी नेता को ही याद रखता है, क्षणिक सूख और क्षणिक समृद्धि के लिए किए गए कार्य सदैव क्षण स्थायी होता हैं.
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