सम्पादकीय

क्या वाकई खतरे में है हरियाणा की बीजेपी-जेजेपी सरकार! भूपेंद्र सिंह हुड्डा के अविश्वास प्रस्ताव पर क्यों हो रहा संदेह

Gulabi
5 March 2021 2:39 PM GMT
क्या वाकई खतरे में है हरियाणा की बीजेपी-जेजेपी सरकार! भूपेंद्र सिंह हुड्डा के अविश्वास प्रस्ताव पर क्यों हो रहा संदेह
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हरियाणा (Haryana) में आज यानि शुक्रवार से विधानसभा सत्र शुरू होने वाला है

हरियाणा (Haryana) में आज यानि शुक्रवार से विधानसभा सत्र शुरू होने वाला है. विपक्ष ने हरियाणा की वर्तमान बीजेपी-जेजेपी (BJP-JJP) सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने की तैयारी में है. हालांकि इसकी बहुत कम उम्मीद है कि अविश्वास प्रस्ताव पेश हो सकेगा और अगर होता भी है तो सरकार गिरने की उम्मीद बहुत ही कम है. फिर भी गठबंधन सरकार का छीछालेदर होना तय है. हरियाणा किसान बाहुल्य स्टेट है. किसान आंदोलन के चलते किसानों में सरकार को लेकर नाराजगी है. इस नाराजगी को भुनाने के लिए विपक्ष और कांग्रेस एक दम से तैयार बैठे हैं.

कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupendra Singh Hooda) और कांग्रेस नेता कुमारी शैलजा बार-बार ये दावा करते रहे हैं कि हरियाणा सरकार गिरने वाली है और कई विधायक उनके संपर्क में हैं. इसके बावजूद उनके विरोधी ये कहने से नहीं चूक रहे हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा अविश्वास प्रस्ताव लेकर सीरियस नहीं हैं. हरियाणा विधानसभा में कुल 90 विधानसभा सीटे हैं पर इस समय कुल 88 ही विधायक हैं. इनेलो के अभय चौटाला किसान आंदोलन के समर्थन में इस्तीफा दे चुके हैं और एक विधायक प्रदीप चौधरी को सजा होने के चलते सदस्यता खत्म हो चुकी है.
हरियाणा विधानसभा में दलगत स्थिति
हरियाणा विधानसभा में बीजेपी के 40 विधायक हैं. जेजेपी के 10 विधायकों के समर्थन की बदौलत सरकार चल रही है. इसके अलावा 7 निर्दलीय विधायकों में करीब 5 विधायक भी सरकार को समर्थन दे रहे हैं. महम के विधायक बलराज कुंडू ने पहले ही सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. किसान आंदोलन के दौरान ही दादरी से विधायक सोमवीर सांगवान ने भी सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. कांग्रेस के पास इस समय 30 विधायक हैं. सरकार के गिराने के लिए काग्रेस को जितने विधायकों का समर्थन चाहिए उससे अभी कांग्रेस बहुत पीछे है. हरियाणा की राजनीति को करीब 2 दशकों से कवर कर रहे अजयदीप लाठर कहते हैं सरकार तो गिरने से रही है क्योंकि विपक्ष आधे-अधूरे मन से अविश्वास प्रस्ताव ला रहा है.
विपक्ष पर क्यों है संदेह
हरियाणा के वरिष्ठ पत्रकार अजय दीप लाठर कहते हैं कि कृषि कानूनों के विरोध में अविश्वास प्रस्ताव लाने के पहले ही हुड्डा को प्रतीकात्मक रूप में जिस तरह अभय सिंह चौटाला ने अपनी विधायकी का इस्तीफा दे दिया था, उसी तरह विपक्ष के नेता का पद भी छोड़ देना चाहिए था. इससे उनकी विधायकी तो बनी रहती पर सरकार और सरकार में शामिल जेजेपी और अन्य विधायकों पर प्रेशर बनता. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा खुद कैबिनेट मंत्री के दर्जे की सुविधाएं सरकार से विपक्ष के नेता के तौर पर ले रहे हैं. इस तरह कैसे सरकार पर वो दबाव बना सकेंगे. लाठर कहते हैं कि दरअसल एक बार अविश्वास प्रस्ताव गिर जाने पर छह महीने तक दोबारा अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता. इस तरह से प्रस्ताव लाकर हुड्डा एक तरह से सरकार को बचा ही रहे हैं, क्योंकि किसान आंदोलन का प्रेशर जिस तरह बढ़ रहा है उस तरह कभी भी जेजेपी के विधायक टूट सकते हैं. हालांकि इस अविश्वास प्रस्ताव के बाद खट्टर सरकार को छह महीने की मोहलत मिल जाएगी और तब तक गंगा से बहुत पानी बह चुका होगा.
जेजेपी भी किसान आंदोलन का तोड़ ढूंढ रही है
जननायक जनता पार्टी के कुल 10 विधायक हैं जिसमें से करीब 6 विधायक किसान आंदोलन के समर्थन में हैं. नारनौंद विधायक राम कुमार गौतम, बरवाला विधायक पार्टी के नेता जोगी राम सिहाग, शाहबाद से रामकरण काला, गुहला चीका से ईश्वर सिंह, जुलाना से अमरजीत ढांडा केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. पर इसमें कोई भी विधायक पार्टी के खिलाफ जाने वाला नहीं है. लेकिन निश्चित रूप से ये विधायक दुष्यंत चौटाला की मुश्किल बढ़ा रहे हैं. साथ ही किसानों का वोट पाकर सत्ता में आए इस नेता के लिए किसान विरोधी होने की छवि बनना निश्चित रूप से अपने दादा का वारिस बनने के सपने के टूटने की तरह भी है. इसलिए इस बीच लव जिहाद कानून के विरोध करने की बात कहकर दुष्यंत चौटाला कोई नई चाल चलने की राह में हैं या अपना एक अलग वोट बैंक तैयार करने के मूड में हैं ये अभी वो ही बता सकते हैं.


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