सम्पादकीय

खुद के प्रति क्रूर होने के बजाय अपनी शारीरिक-मानसिक सेहत बेहतर करने के लिए छोटे-छोटे कदम लेकर उन्हें जारी रखें

Gulabi
9 Jan 2022 7:46 AM GMT
खुद के प्रति क्रूर होने के बजाय अपनी शारीरिक-मानसिक सेहत बेहतर करने के लिए छोटे-छोटे कदम लेकर उन्हें जारी रखें
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इस वीकेंड ग्वालियर के रेडिसन होटल के कमरे की खिड़की से एक अत्याधुनिक कप में अपने हाथों से बनी चाय पीते हुए मैंने दो विपरीत दृश्य देखे
एन. रघुरामन का कॉलम:
इस वीकेंड ग्वालियर के रेडिसन होटल के कमरे की खिड़की से एक अत्याधुनिक कप में अपने हाथों से बनी चाय पीते हुए मैंने दो विपरीत दृश्य देखे। बाहर, आसमान धुंधला था, बारिश हो रही थी। सर्द हवाएं मुझे आरामदेह कमरे से बाहर न आने की चेतावनी दे रही थीं और बड़े उजले कमरे में मेरा फिर से गर्म कंबल में जाने का मन हुआ।
अनिश्चितता-नीरसता से भरे ऐसे वक्त में, खासतौर पर बारिश में, याद आया कि कैसे मैं अपनी मां के बनाए कुरकुरे, सुनहरे भूरे रंग के पराठे का रोल बनाता था और चाय से भरे बड़े स्टेनलेस स्टील के गिलास में खिड़की पर बैठकर डुबोकर खाता था। पराठे से पिघला घी जब चाय में आकार ले लेता था, तो लगता था जैसे विज्ञान में पढ़ाया गया अमीबा गिलास में दिख रहा हो।
जैसे ही मैं पराठे का कोना तोड़कर उस एक आकार को बिगाड़कर कई आकार बनाना शुरू कर देता, मां का प्यार और अधिकार भरा आदेश आ जाता 'खेलना बंद करो, पराठा गर्म है जल्दी खाओ, तुम्हें एक और खाना होगा।' आज 50 सालों बाद भी ये मेरी पसंदीदा 'कंफर्ट डिश' है, जो मेरा मूड बेहतर बनाती है, कम से कम सर्दियों में।
आज भी घर की बनी मल्टीग्रेन ब्रेड के साथ वही कोशिश करता हूं हालांकि घी नहीं डालता, पर उसकी बाहरी परत को कुरकुरा बनाने के लिए धीमी आंच पर चीज़ कीसकर डालता हूं। ये काम तेज व आसान है, पर मैं मां के प्यार की मेहनत की बराबरी नहीं कर सकता। पर बेटी के आदेशात्मक शब्द मुझे हमेशा डराते हैं कि 'आपका ये अच्छा भोजन वजन-कमर बढ़ा रहा है।'
पर मैंने महसूस किया है कि अपने लिए हेल्थ-फिटनेस के बड़े लक्ष्य तय करने के बाद जब उत्साह कम हो जाता है, तो कसरत भी अचानक रुक जाती है। पर बढ़ती कमर रोकना भी जरूरी है। स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का सकारात्मक हल तो यह है कि सेहत के लिए यथार्थवादी लक्ष्य चुनने चाहिए। इसलिए मैं नियमित व्यायाम के अलावा अपने डाइटिशियन मित्रों के कुछ सुझावों का सूचीबद्ध कर रहा हूं।
देर रात न खाएं: इसे आप समय से जुड़ी खाने की पाबंदी कह सकते हैं। देर रात या सोने से पहले खाने से ग्लूकोज सहनशीलता खराब हो जाती है, फैट बर्न भी कम होता है, जिससे वजन बढ़ने की आशंका होती है। देर रात भोजन से डायबिटीज का खतरा 6.4% बढ़ जाता है। देर रात खाने से मस्तिष्क में केंद्रीय जैविक घड़ी के बीच गलतफहमी हो जाती है, जो ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसलिए भोजन शाम 6 से शाम 7 बजे के बीच करें।
सब्जियों-फलों का सही संतुलन- महामारी के दौरान फलों-सब्जियों की खपत में तेजी के बावजूद कई शोध बताते हैं कि हममें से अधिकांश लोग ये पर्याप्त नहीं ले रहे। सब्जियों-फलों की मात्रा बढ़ाने से कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा कम होता है, जिसमें डिमेंशिया भी है। हार्वर्ड शोधकर्ताओं ने पाया कि फ्लेवोनॉयड से भरपूर फल-सब्जियां जैसे संतरे, मिर्च, अजवाइन, स्ट्रॉबेरी बढ़ती उम्र के साथ अक्सर होने वाली भूलने की बीमारी व मतिभ्रम रोकने में मदद कर सकते हैं।
रोज चम्मच भर बीज खाएं- हड्डियों की सेहत के लिए सूरजमुखी के बीज में फॉस्फोरस-मैग्नीशियम होता है, कद्दू के बीज जिंक-फाइटोकेमिकल्स के स्रोत हैं जिनसे प्रोस्टेट व यूरीनरी हेल्थ में सुधार दिखता है। तिल के बीज धमनियों को संकरा होने से रोकते हैं।
फंडा यह है कि कुछ बदलाव शुरू करने में कभी देर नहीं होती। खुद के प्रति क्रूर होने के बजाय और अपनी शारीरिक-मानसिक सेहत बेहतर करने के लिए छोटे-छोटे कदम लेकर उन्हें जारी रखें।
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