सम्पादकीय

नशा मुक्त समाज के निर्माण की पहल, विश्व के सभी देशों को न्यूजीलैंड से लेनी चाहिए सीख

Gulabi
21 Dec 2021 6:33 AM GMT
नशा मुक्त समाज के निर्माण की पहल, विश्व के सभी देशों को न्यूजीलैंड से लेनी चाहिए सीख
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नशा मुक्त समाज के निर्माण की पहल
देवेंद्रराज सुथार। न्यूजीलैंड की सरकार ने तंबाकू-धूमपान पर प्रतिबंध लगाने को लेकर जिस योजना का एलान किया है वह पूरे विश्व के लिए नजीर है। 2022 में लागू होने वाली इस योजना के अनुसार न्यूजीलैंड में 14 साल या इससे कम उम्र के युवाओं को सिगरेट खरीदने की इजाजत नहीं होगी। इसके अलावा न्यूजीलैंड तंबाकू बेचने के लिए अधिकृत खुदरा विक्रेताओं की संख्या पर भी अंकुश लगाएगा और सभी उत्पादों में निकोटीन के स्तर में कटौती करेगा। वर्तमान में न्यूजीलैंड में 15 वर्ष के 11.6 प्रतिशत युवा धूमपान करते हैं। यह आंकड़ा इससे अधिक उम्र के युवाओं के बीच 29 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। इन पाबंदियों को चरणबद्ध रूप से शुरू किया जाएगा, जिसकी शुरुआत अधिकृत विक्रेताओं की संख्या में कमी के साथ की जाएगी। इसके बाद में निकोटीन की मात्र कम की जाएगी। इससे वहां 'धूमपान-मुक्त' पीढ़ी का निर्माण होगा।
तंबाकू और धूमपान का बढ़ता सेवन आज विश्व के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है। तंबाकू के इस्तेमाल से दुनिया को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है। यह नुकसान तंबाकू के कारण स्वास्थ्य पर किए जा रहे खर्च और उत्पादकता में आ रही गिरावट के कारण हो रहा है। तंबाकू उत्पाद हर साल औसतन 80 लाख लोगों की जान लेते हैं। दुनियाभर में तंबाकू का उपयोग करने वाले 130 करोड़ लोगों में से 80 फीसद से अधिक निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं। सर्वविदित है कि धूमपान सांस संबंधी अनेक बीमारियों के लिए मुख्य कारण होता है। धूमपान करने वाले लोगों को दिल की बीमारियां, कैंसर और मधुमेह होने का भी बहुत ज्यादा खतरा होता है। नशा हमारी युवा पीढ़ी को खोखला करता जा रहा है। नशे की इस गिरफ्त में केवल युवा ही नहीं, अपितु हर उम्र, लिंग, धर्म-जाति के लोग फंस चुके हैं। नशे जैसा मीठा जहर आज कहर बनकर हमारे देश को तबाही की ओर धकेल रहा है। नशे के कारण केवल व्यक्ति की मौत ही नहीं होती, उसका घर-परिवार ही बर्बाद नहीं होता, बल्कि देश की सभ्यता और संस्कृति भी नष्ट हो जाती है।
भारत में हर साल 10.5 लाख मौतें तंबाकू और धूमपान से होती हैं। यहां 90 प्रतिशत फेफड़े का कैंसर, 50 प्रतिशत ब्रोंकाइटिस एवं 25 प्रतिशत घातक हृदय रोगों का कारण धूमपान है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार देश में बड़े-छोटे अपराधों और दुष्कर्म आदि वारदातों में नशे के सेवन का मामला लगभग 73.5 प्रतिशत तक है। अपराध जगत की क्रियाकलापों पर गहन नजर रखने वाले मनोविज्ञानी बताते हैं कि अपराध करने के लिए जिस उत्तेजना, मानसिक उद्वेग और दिमागी तनाव की जरूरत होती है, उनकी पूर्ति यह नशा करता है। अत: न्यूजीलैंड की तरह विश्व को तंबाकू-धूमपान के खिलाफ मुहिम की शुरुआत करनी चाहिए।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)
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