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- भारत-बांग्लादेश संबंध
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कुशियारा नदी समझौते के साथ भारत और बांग्लादेश संबंधों को नयी गति मिली है. इससे पहले 1996 में दोनों देशों के बीच गंगा नदी के पानी को लेकर समझौता हुआ था. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के भारत दौरे की यह भी उल्लेखनीय उपलब्धि है कि व्यापक व्यापार समझौते और आतंक व अतिवाद पर सहयोग को लेकर भी चर्चा शुरू हो गयी है. अतिथि प्रधानमंत्री ने कहा है कि उन्हें आशा है कि प्रधानमंत्री मोदी के रहने से दोनों देश विभिन्न मसलों का समाधान निकाल सकेंगे.
प्रधानमंत्री मोदी ने भी घोषणा की है कि जल्दी ही व्यापक आर्थिक सहयोग के लिए बातचीत शुरू होगी. उल्लेखनीय है कि 2021-22 में दक्षिण एशिया में बांग्लादेश भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना था. भारत से निर्यात का वह चौथा सबसे बड़ा गंतव्य भी है. भारत बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार सहयोगी है तथा एशिया में उसका सबसे बड़ा निर्यात बाजार भी है.
निश्चित रूप से हाल के समय में व्यापारिक सहयोग का बढ़ना उत्साहवर्द्धक है, लेकिन इसके विस्तार की अभी बहुत संभावनाएं हैं. दोनों देशों की अर्थव्यवस्था तेज गति से बढ़ रही है. ऐसे में व्यापक व्यापार व आर्थिक सहयोग के लिए ठोस समझौते की दरकार है. इस संबंध में अनौपचारिक रूप से वार्ता 2018 से ही चल रही है, पर कोरोना महामारी के कारण इसमें अवरोध आ गया था.
भले ही इन वर्षों में समझौते की ठोस रूप-रेखा तैयार नहीं हो सकी है, लेकिन हालिया वर्षों में व्यापारिक संबंधों के सशक्त होने के पीछे इन वार्ताओं का बड़ा योगदान है. उल्लेखनीय है कि जून, 2015 में प्रधानमंत्री मोदी के बांग्लादेश दौरे के समय एक पंचवर्षीय द्विपक्षीय व्यापार समझौता हुआ था, जिसकी अवधि स्वतः बढ़ती रहती है. दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार समझौते के तहत कई भारतीय उत्पादों पर बांग्लादेश में विशेष शुल्क दरें लागू होती हैं.
वर्ष 2011 में भारत ने भी बांग्लादेश के उत्पादों पर शुल्क हटा दिया था. बीते एक दशक में हुए अनेक संबंध यह इंगित करते हैं कि दोनों पड़ोसी देश एक-दूसरे के लिए बहुत महत्व रखते हैं तथा एक-दूसरे को मान भी देते हैं. बिमस्टेक समूह की पहलों के तहत भी दोनों देश अनेक बहुपक्षीय प्रयासों में भागीदार हैं.
भारतीय वाणिज्य व व्यापार को पूर्वी एशिया में विस्तार देने के प्रयासों में बांग्लादेश हमारा महत्वपूर्ण सहयोगी है. वर्ष 1971 में भारत के सहयोग से बांग्लादेश को स्वतंत्रता मिली थी. तब से अब तक दोनों देशों के बीच किसी तरह की तनातनी नहीं रही है. आशा है कि दोनों प्रधानमंत्रियों के नेतृत्व में परस्पर संबंध उत्तरोत्तर सशक्त होंगे.
प्रभात खबर के सौजन्य से सम्पादकीय
Gulabi Jagat
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