- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- चीन के तट से हजारों...
x
ड्रैगन का नया रहस्य
ज्योतिर्मय रॉय.
चीन मानवाधिकारों को लेकर विश्व में बदनाम है. कहा जाता है कि चीन में कोई भी, कभी भी गायब हो सकता है. चीन में गायब हो रहे विशिष्ट अभिनेताओं, व्यापारियों, खिलाड़ियों की तरह व्यापारी जहाज भी गायब हो रहे हैं. अब हजारों विदेशी व्यापारी जहाज चीनी समुद्री जलसीमा में प्रवेश करते ही 'उद्योग ट्रैकिंग सिस्टम' से रहस्यमय तरीके से गायब हो रहे हैं. लेकिन हैरानी की बात यह है कि ये जहाज चीनी समुद्री क्षेत्र से बाहर निकलते ही फिर से दिखाई देने लगती हैं. कुछ हफ्तों से जहाजों के चीनी समुद्री जलसीमा के पास पहुंचते ही जहाजों की ट्रैकिंग पिंग 90 प्रतिशत तक गिरती देखी गई है, जिसके कारण जहाजों की वास्तविक समय उपस्थिति को ट्रैक करना असंभव हो गया है. इसके लिए बीजिंग की खुद को बाकी दुनिया से अलग-थलग करने की बढ़ती इच्छा को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.
आशंका जताई जा रही है कि चीन को अपनी समुद्री सीमा में स्थित किसी भी जहाज के बारे में जानकारी साझा करने पर आपत्ति है. शिपिंग कंपनियों को अपने जहाजों की वर्तमान स्थिति के बारे में कोई जानकारी न होने के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को प्रभावित कर सकता है, इससे विश्व अर्थव्यवस्था के साथ-साथ सुरक्षा संबंधी जानकारियों को भी नुकसान पहुंचने की आशंका है.
1 नवंबर से चीनी समुद्री क्षेत्र में जहाज गायब होने शुरू हुए
नवंबर की शुरुआत से, चीन और उसके आसपास स्थित जहाजों के सिग्नल में गिरावट आई है. यह देखा गया है कि, नवंबर महीने की शुरू से ही, दुनिया भर के जहाजों, टैंकरों और मालवाहक जहाज चीनी बंदरगाहों के करीब दुनिया के कुछ सबसे व्यस्त शिपिंग लेन में प्रवेश करते ही वैश्विक ट्रैकिंग सिस्टम से गायब हो जा रहे हैं. गौरतलब है कि, चीन ने ऑनलाइन उपयोगकर्ता डेटा गोपनीयता की रक्षा के लिए एक नया कानून 1 नवंबर से लागू किया है, जिसे चीन अपनी राष्ट्रीय और आर्थिक सुरक्षा के साथ जोड़ता है. कुछ विशेषज्ञ, इस नए कानून को जहाजों के सिग्नल गायब होने के रहस्य के साथ जोड़ कर देख रहे हैं. उल्लेखनीय है, कुछ दिन पहले, चीन सरकार द्वारा नियंत्रित चाइना सेंट्रल टेलीविजन (CCTV) फोकस न्यूज की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि झानजियांग में एक सैन्य अड्डे और वाणिज्यिक बंदरगाह के पास एक हैम रेडियो के शौकीन व्यक्ति के घर से "संदिग्ध रेडियो उपकरण" पाया गया है, जिसने अपने घर में ऐसे उपकरण स्थापित किए थे जो आते जाते जहाजों को इंटरनेट के माध्यम से 'वास्तविक समय में' वैश्विक ट्रैकिंग करने में समर्थ है.
समुद्री जहाजों को ट्रैक करने का प्रमुख तरीका स्वचालित पहचान प्रणाली या एआईएस (AIS) है, जो समुद्र के लिए एक प्रकार का हवाई यातायात नियंत्रण प्रणाली है. यह जहाजों पर लगे ट्रांसीवर का उपयोग करके उनकी स्थिति को संचारित करने के लिए करता है. ट्रैकिंग के लिए यह डेटा अन्य जहाजों, उपग्रहों या भूमि पर लगे एआईएस बेस स्टेशनों द्वारा संकलित करते हैं. जिसके कारण एक व्यक्तिगत पोत की स्थिति, गति, नाम और गंतव्य को देखा जा सकता है और जहाजों को, विशेष रूप से व्यस्त समुद्री गलियों में यह जानने की अनुमति देता है कि टकराव से बचने के लिए अन्य जहाजों की स्थिति कहां है. आधुनिक शिपिंग में इसे महत्वपूर्ण और अनिवार्य नेविगेशन प्रणाली के रुप में माना जाता है. यह समुद्री में जहाजों की भीड़भाड़ का एक सिंहावलोकन भी देता है. किसी भी व्यक्ति के चाहने पर, यह वाणिज्यिक जहाजों पर नजर रखने की अनुमति देती है. अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन को एआईएस ट्रांसीवर रखने के लिए 300 या उस से अधिक सकल टन भार के जहाजों की आवश्यकता होती है.
चीन को 'हिडन मिस्ट्री' के नापाक इस्तेमाल की आशंका
चीन लंबे समय से एआईएस बेस स्टेशनों पर काम कर रहा है. एआईएस बेस स्टेशन जितने अधिक होंगे, जहाज के स्थान की जानकारी उतनी ही सटीक होगी. झांजियांग कि घटनाओं के बाद चीनी अधिकारी कॉम्पैक्ट एआईएस बेस स्टेशनों को लेकर सतर्क हैं. CCTV रिपोर्ट के अनुसार इस प्रकार कोई भी वक्ती ऐसी जानकारी उठा सकता है जो एक "छिपा हुआ रहस्य" है, जिसका नापाक इस्तेमाल विदेशी सरकारों द्वारा किया जा सकता है, जो देश के हित में नहीं है.
सैकड़ों बेस स्टेशन चीन के समुद्र तट के आसपास और नौगम्य अंतर्देशीय जलमार्गों के पास स्थित हैं और बीजिंग को नहीं पता कि वे सभी कहां हैं या उनके लिए कौन भुगतान कौन कर रहा है. CCTV ने अपने रिपोर्ट में कहा है कि कुछ समुद्री डेटा फर्मों ने "लंबे समय से विदेशी जासूसी एजेंसियों की सेवा की है. विदेशी संस्थानों, उद्यमों और यहां तक कि जासूसी खुफिया एजेंसियों ने चीन से संबंधित क्षेत्रों कि महत्वपूर्ण डेटा संसाधनों को हथियाने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर नुकसान पहुंचाया है."
विवादास्पद नया कानून डेटा संग्रह को बाधित कर सकता है
इस नए कानूनों का मतलब है कि व्यक्तिगत या संवेदनशील जानकारी को देश से बहार भेजने से पहले डेटा फर्मों को बीजिंग की मंजूरी लेनी होगी, जो एक लम्बी प्रक्रिया है. अब नए कानूनों के कारण अवैध बेस स्टेशनों को हटाने में या नई संयोजन के लिए सरकार की मंजूरी की आवश्यकता पड़ेगी. सिग्नल के अचानक गिरने का क्या कारण हो सकता है? क्या नए कानून के चलते ज्यादातर बेस स्टेशन बंद कर दिए गए हैं? कुछ लोगो का मानना ही कि डेटा प्रदाताओं द्वरा विदेश में डेटा भेजते वक्त नए कानूनों को लेकर अति सतर्कता के कारण चीन की तटरेखा में स्थित एआईएस में अचानक कमी आई है. समुद्री डेटा फर्म 'VesselValue' की जानकारी के अनुसार, अक्टूबर के अंत में चीनी समुद्री जलसीमा में जहाजों पर AIS ट्रांससीवर्स से पिंग लगभग 15 मिलियन प्रति दिन था, जो अब घटकर केवल एक मिलियन से थोड़ा सा अधिक रह गया है.
चीन ने जोर देकर कहा है कि नए कानून का पालन करने वाले एआईएस बेस स्टेशन अभी भी चीन में काम कर रहे हैं. झानजियांग, हांककांग और शंघाई जैसे प्रमुख बंदरगाहों के आसपास के कुछ जहाजों से जानकारी अभी भी आ रही है जहां महत्वपूर्ण बेस स्टेशन स्थित हैं. हालांकि, इन प्रमुख बंदरगाहों के बीच सब कुछ अभी भी धूमिल है या कुछ प्रणालियों में उपलब्ध जानकारी सटीक नहीं है, जिस के कारण 'ट्रैकिंग सिस्टम' पर कई टैंकर, कंटेनर शिप और बल्क कैरियर 'डार्क' में चला गया है. इस के बावजूद अभी भी उन समुद्री मार्गों जहाज पर चल रहे हैं. मरीन डेटा फर्म 'मरीनट्रैफिक' ने सीएनएन को बताया कि उपग्रह को जहाजों की ट्रांसीवर से सिग्नल मिलते रहते हैं, लेकिन भीड़भाड़ वाले जलमार्ग के किनारे में स्थित बेस स्टेशन अधिक सटीक सिग्नल उत्पन्न करते हैं. जहाजों कि अधिक उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीर के लिए स्थलीय स्टेशनों की आवश्यकता होती है.
वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर बड़ा प्रभाव
'मरीनट्रैफिक' के जॉर्जियोस करमानोलिस ने कहा कि चीन से तत्काल और सटीक डेटा की कमी के कारण पहले से ही तनावपूर्ण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और अधिक प्रभावित होगी. इससे बंदरगाहों पर अतिरिक्त ट्रैफ़िक जाम के साथ-साथ बंदरगाह पर धीमी गति से डॉकिंग और अनलोडिंग हो सकती है, जिससे कंपनियों को और अधिक आर्थिक नुकसान हो सकता है. कोरोना महामारी के कारण विश्व में आर्थिक मंदी चल रही है. ऐसी स्थिति में साल के अंत में क्रिसमस के दौरान आपूर्ति श्रृंखलाओं में उत्पन्न रुकावट बाजार में कृत्रिम मूल्य वृद्धि का कारण बन सकता है. क्या चीन जानबूझकर यह खेल अपने फायदे के लिए खेल रहा है? विशेष रूप से, विश्व आर्थिक महाशक्ति बनने की चीन की आकांक्षा ने चीनी राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों को लॉस एंजिल्स, मियामी, ह्यूस्टन और सिएटल में सुविधाओं सहित 63 देशों में कम से कम 100 बंदरगाहों में पूर्ण या आंशिक हिस्सेदारी खरीदने के लिए प्रेरित किया है.
ऐसा लगता है कि केवल चीन को ही AIS डेटा संग्रह और प्रसार में समस्या है. अन्य देशों से उनके जलसीमा के अन्दर उपस्थित जहाजों की स्वतंत्र रूप से उपलब्ध डेटा या आवासीय बरामदों पर स्थित बेस स्टेशनों से उपलब्ध डेटा अपेक्षाकृत आसानी से उपलब्ध होता है. यदि जहाज विश्व स्तर पर अपनी स्थिति का विस्तार नहीं करना चाहते हैं तो सुरक्षा उपाय मौजूद हैं. सबसे सरल उपायों में से एक है बस अपने ट्रांसीवर को बंद करना, जो सैन्य जहाज अक्सर सक्रिय ड्यूटी पर और गुप्त मिशन पर करते रहते हैं.
ऐसा माना जाता है कि बीजिंग एआईएस सिस्टम द्वारा जुटाये जा रहे जानकारी के स्तर से असहज है. इससे यह प्रतीत होता है कि चीन अपने बंदरगाहों पर जहाजों की संख्या और माल वाहक जहाजों की मात्रा को छिपाना चाहता है, लेकिन क्यों? क्या चीन कोई नई प्रौद्योगिकी का परीक्षण कर रहा है, जिसकी सहायता से चीन किसी भी विशाल क्षेत्र को 'नो आइडेंटिफिकेशन जोन' में परिवर्तन करने की क्षमता रखता हो? क्या यह भविष्य के युद्ध की तैयारी का हिस्सा है? क्या चीन विश्व में एकमात्र सैन्य महाशक्ति और आर्थिक महाशक्ति बनना चाहता है? सुनने में यह कोई साइंस फिक्शन जैसा लगता है, लेकिन चीन की तकनीक के बारे में आकलन करना इतना आसान नहीं है. शायद एआईएस शिपिंग डेटा की अचानक कमी सिर्फ एक अस्थायी हो, लेकिन अभी, दुनिया के व्यस्त जलमार्ग में और साल के सबसे व्यस्त समय में, हजारों जहाजों के डिजिटल रूप से गायब होने के पीछे का रहस्य खुलने का इंतजार करना पड़ेगा.
TagsHow thousands of ships are disappearing off the coast of Chinawhat is the new mystery of the dragonड्रैगनThousands of ships off the coast of Chinathe new mystery of the dragonthe dragonविश्वचीनव्यापारियोंखिलाड़ियोंChina Human RightsWorldChinaelite actorstradersplayersmerchant shipsthousands of foreign merchantsships Chinese maritime watersindustry tracking systems
Gulabi
Next Story