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27 अक्टूबर 2021 को भारत ने उस वक्त रक्षा क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली
संयम श्रीवास्तव।
27 अक्टूबर 2021 को भारत ने उस वक्त रक्षा क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली जब ओडिशा के डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम आईलैंड पर परमाणु शक्ति संपन्न इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 (Agni 5 Missile) का सफल परीक्षण किया गया. इस मिसाइल की रेंज 5,000 किलोमीटर है. यानि इसके रडार पर पूरा एशिया महाद्वीप और यूरोप-अफ्रीका के कुछ हिस्से भी आते हैं. इस वक्त जब तमाम देश अपनी ताकत में इजाफा कर रहे हैं और भारत के पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान हिंदुस्तान के लिए नापाक मंसूबे तैयार कर रहे हैं, उस वक्त भारत को अग्नि-5 जैसे मिसाइल सिस्टम की जरूरत बेहद ज्यादा थी.
इसमें कोई शक नहीं कि चीन का डिफेंस सिस्टम बहुत मजबूत है. लेकिन जिस रफ्तार से भारतीय डिफेंस सिस्टम आगे बढ़ रहा है, वह दिन दूर नहीं जब हम चीन की बराबरी तो छोड़िए उससे आगे भी निकल जाएंगे. अग्नि-5 के सफल परीक्षण के साथ-साथ भारत रूस से एस-400 मिसाइलों की 5 रेजीमेंट भी खरीदने को तैयार है. कुल मिलाकर कहा जाए तो भारत अब अपने रक्षा क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है और पूरी दुनिया में अपनी ताकत से दबदबा बना रहा है.
चीन कर रहा है शिकायतें
खुद के पास दुनिया की सबसे बड़ी आर्मी है. हथियारों का इतना बड़ा जखीरा है कि पूछिए मत. लेकिन फिर भी जब भारत ने अग्नि 5 मिसाइल का परीक्षण किया तो चीन बौखला गया. चीन ने बयान दिया कि भारत ऐसा करके एशिया में शांति का माहौल खराब करना चाहता है. यहां तक कि चीन अपनी शिकायत लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद तक पहुंच गया. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा, 'भारत का यह परीक्षण जून 1998 में निरस्त्रीकरण पर जो प्रस्ताव पारित हुआ था, उसके उल्लंघन जैसा है. अगर भारत इसी तरह से अपनी अग्नि मिसाइल की रेंज लगातार बढ़ाता रहा और इस पर रोक नहीं लगाई गई तो पड़ोसी देशों के बीच हथियारों की होड़ तेज हो जाएगी और क्षेत्र में शांति बनाए रखना मुश्किल हो जाएगा.' चीन के इस बयान में उसका डर साफ-साफ देखा जा सकता है. दरअसल अग्नि-5 मिसाइल के रडार पर चीन के लगभग सभी शहर आते हैं. इसलिए चीन भारत की बढ़ती शक्ति से घबराया हुआ है.
हालांकि इन सबके बीच ध्यान देने वाली बात यह भी है कि जो चीन भारत के अग्नि-5 मिसाइल परीक्षण की शिकायतें कर रहा है. उसी चीन ने अगस्त महीने में एक 'लॉन्ग मार्च' नामक हाइपरसोनिक ग्लाइड मिसाइल का परीक्षण किया था. ब्रिटेन के अखबार फाइनेंशियल टाइम्स ने अपने एक लेख में बताया था कि चीन की यह मिसाइल परमाणु बम ले जाने में सक्षम है. चीन के इस नए परीक्षण से अमेरिका भी घबराया हुआ है, क्योंकि इस तरह के हथियार का प्रोटोटाइप अब तक दुनिया में किसी देश ने तैयार नहीं किया था.
1500 किलोग्राम के परमाणु हथियार को ले जा सकती है अग्नि-5
भारत ने जिस नए अग्नि-5 इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है, इसका वजन 50,000 किलोग्राम है और इसकी लंबाई 17.5 मीटर है. यह इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल अपने साथ पंद्रह सौ किलोग्राम का परमाणु हथियार ले जा सकती है. इस मिसाइल के अंदर तीन स्टेज के रॉकेट बूस्टर लगे हैं, जो सॉलि़ड फ्यूल से उड़ते हैं. इसकी रफ्तार ध्वनि की गति से 24 गुना तेज है. 1 सेकेंड में यह मिसाइल 8.16 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है. यानि 29,401 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से यह दुश्मनों पर हमला कर सकती है. इस मिसाइल को बेहद हाईटेक तरीके से बनाया गया है और इसमें कई तरह के गैजेट्स लगाए गए हैं. इसमें रिंग लेजर गाइरोस्कोप इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम लगाया गया है, जीपीएस और NavlC सेटेलाइट गाइडेंस सिस्टम भी इसमें लगाया गया है.
चीन के मुकाबले भारत भी सुपर पावर की रेस में खड़ा हो रहा है
दुनिया में भारत अपना कद तेजी से बढ़ा रहा है और एशिया में चीन का मुकाबला करने की क्षमता केवल भारत में है. चीन भारत के अग्नि-5 मिसाइल के परीक्षण से दो वजहों से घबराया हुआ है. पहला कि इस मिसाइल की रेंज में चीन का हर एक शहर आ जाता है और दूसरा कि इस मिसाइल के चलते भारत भी अब सुपर पावर की रेस में मजबूत दावेदार हो जाएगा. चीन का कहना है कि भारत अग्नि-5 मिसाइल की रेंज छुपा रहा है. उसका कहना है कि इस मिसाइल की रेंज 5 हजार किलोमीटर नहीं बल्कि लगभग 8000 किलोमीटर है.
चीन के इन आरोपों की एक बड़ी वजह यह भी है कि भारत को जल्द ही सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता भी मिल सकती है, जिसके लिए अंदर खाने में काम तेजी से चल रहा है. लेकिन चीन ऐसा कभी नहीं चाहेगा. इसीलिए चीन भारत के इस मिसाइल का यूजर टेस्ट रुकवाने के लिए हर कोशिश कर रहा है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत को घेरने की तमाम नाकाम कोशिशें कर रहा है.
यूजर टेस्ट अभी बाकी है
अग्नि 5 मिसाइल का पहला टेस्ट साल 2012 अप्रैल में हुआ था. सितंबर 2013 में इसका दूसरा टेस्ट हुआ और जनवरी 2015 में तीसरा और दिसंबर 2016 में इसका चौथा टेस्ट किया गया. दिसंबर 2018 आते-आते इसके 7 टेस्ट हो चुके थे. इन परीक्षणों के दौरान अग्नि-5 मिसाइल को हर तरह के लॉन्चिंग पैड से दाग गया. सबसे बड़ी बात यह रही कि अग्नि 5 मिसाइल हर टेस्ट में खरी उतरी. लेकिन यहां समझने वाली बात यह है कि यह सारे टेस्ट एक्सपेरिमेंटल टेस्ट थे. मिसाइल का यूजर टेस्ट अभी भी बाकी है.
यूजर टेस्ट यानि जिसे यह मिसाइल इस्तेमाल करनी है, अभी उसने टेस्ट नहीं किया है. भारतीय सेना जब तक यह मिसाइल चलाकर नहीं देखती तब तक इसका यूजर टेस्ट नहीं माना जाएगा और इसके लिए अग्नि 5 मिसाइल को डीआरडीओ के बताए गए मानदंडों पर खरा उतरना होगा. अगर यह मिसाइल टेस्ट में पास हो जाती है तो यह भारतीय सेना के आयुध भंडार का हिस्सा बन जाएगी. इसके साथ ही खबर है कि डीआरडीओ इस मिसाइल को और भी खतरनाक बनाना चाहती है और इसकी रेंज भी लगभग 10000 किलोमीटर तक करना चाहती है. इसके साथ ही डीआरडीओ इस मिसाइल को इस तरह से मॉडिफाई करना चाहती है कि इसे केवल जमीन से ही नहीं बल्कि सबमरीन से भी चलाया जा सके.
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