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सम्पादकीय
क्रिकेट की पिच से राजनीति का मैदान महाआर्यमन के लिए कितना दूर है
Gulabi Jagat
9 April 2022 8:28 AM GMT
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गैर राजनीतिक मंचों पर विकास का नजरिया बता रहे आर्यमन
दिनेश गुप्ता।
केन्द्रीय नागरिक विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के पुत्र महाआर्यमन सिंधिया (Mahanaryaman Scindia) के लिए राजनीति का मैदान अभी कितना दूर है? क्रिकेट (Cricket) की पिच पर उनकी एंट्री हो चुकी है. महाआर्यमन को ग्वालियर डिवीजन क्रिकेट एसोसिएशन में उपाध्यक्ष बनाने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अध्यक्ष का पद छोड़ दिया है. वैसे तो महाआर्यमन अपने पिता के निर्वाचन क्षेत्र की सभाओं के मंच पर नजर आते रहे हैं. लेकिन, पार्टी की राजनीति में उनकी सक्रियता अभी देखने को नहीं मिली है. लेकिन, वे अपने और अपने पिता के समर्थकों के साथ ग्वालियर में लगातार सक्रिय हैं. राजनीति के मैदान से उनकी दूरी किसी दायित्व के मिलने तक ही दिखाई देती है.
गैर राजनीतिक मंचों पर विकास का नजरिया बता रहे आर्यमन
महाआर्यमन सिंधिया ने येल यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री ली है. वर्ष 2019 में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वे विभिन्न मंचों पर लगातार सक्रिय दिखाई दिए हैं. अगस्त 2019 में जब ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में थे, उस वक्त महाआर्यमन ने एक पोस्ट के जरिए लोगों का ध्यान अपनी ओर खिंचा था. महाआर्यमन ने अपने फेसबुक पेज पर एक वीडियो पोस्ट किया. इसके साथ उन्होंने लिखा कि 'उसूलों पे जहां आंच आए टकराना जरूरी है, गर जिंदा हो फिर जिंदा नजर आना जरूरी है.'
यह उन दिनों की बात है जब सिंधिया का तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से टकराव चल रहा था. ज्योतिरादित्य सिंधिया मार्च 2020 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए. कमलनाथ सरकार गिर गई. बीजेपी ने सरकार ली. महाआर्यमन सिंधिया के राजनीति में सक्रिय होने की अक्सर अटकलें चलती रहती हैं. लेकिन,अब तक किसी राजनीतिक मंच पर वे नजर नहीं आए हैं. जिन सार्वजनिक कार्यक्रमों में महाआर्यमन सिंधिया ने हिस्सेदारी की वे गैर राजनीतिक स्वरूप के रहे हैं. ग्वालियर-चंबल अंचल के विकास को लेकर महाआर्यमन ने अपना नजरिया भी सार्वजनिक रूप से जाहिर किया है.
राजनीति में प्रवेश के लिए अनुकूल अवसर का इंतजार
महाआर्यमन सिंधिया की राजनीति में एंट्री को लेकर सबसे ज्यादा उत्सुकता युवा वर्ग में है. ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह ही महाआर्यमन का चेहरा भी काफी लोकप्रिय होता जा रहा है. राजनीति में प्रवेश को लेकर सिंधिया परिवार अतिरिक्त सतर्कता बरतता रहा है. माधवराव सिंधिया ने लोकसभा का पहला चुनाव 26 साल की उम्र में लड़ा था.
माधवराव सिंधिया ने अपनी राजनीतिक यात्रा भारतीय जनसंघ से शुरू की और बाद में कांग्रेस में शामिल हुए. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से राजनीति शुरू की और अभी बीजेपी में हैं. महाआर्यमन सिंधिया के राजनीतिक दल को लेकर कोई संदेह नहीं है. वे बीजेपी में ही अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू करेंगे. लेकिन, बीजेपी के कार्यक्रमों में उनकी उपस्थिति को लेकर संशय जरूर बना हुआ है.
ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने पुत्र को राजनीतिक मंचों पर सक्रिय करने के लिए किसी अनुकूल समय का इंतजार कर रहे हैं? भारतीय जनता पार्टी वंशवाद का हमेशा विरोध करती रही है. हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसदीय दल की बैठक में यह रहस्य उजागर किया कि पार्टी में नेता पुत्रों के टिकट उन्होंने काटे हैं. बीजेपी के स्थापना दिवस समारोह में भी प्रधानमंत्री मोदी ने वंशवाद को लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा बताया.
नेता पुत्रों को लेकर पार्टी अध्यक्ष का नजरिया अलग
संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कड़े शब्दों में कहा कि पार्टी में पारिवारिक राजनीति को इजाजत नहीं दी जाएगी. पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के नजरिए के विपरीत किसी भी नेता के लिए अपने पुत्र/पुत्री को लोकसभा अथवा विधानसभा का टिकट दिलाना आसान काम नहीं है. शीर्ष नेतृत्व के इसी नजरिए के कारण मध्यप्रदेश में भी पिछले विधानसभा चुनाव में कई कद्दावर नेता टिकट पाने से वंचित रह गए थे.
पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने अपने पुत्र आकाश विजयवर्गीय के टिकट के लिए खुद को चुनावी राजनीति से बाहर कर लिया था. गोपाल भार्गव और जयंत मलैया जैसे वरिष्ठ नेताओं के पुत्रों को भी पार्टी ने टिकट नहीं दी थी. दो दिन पहले पार्टी की नीति और नजरिए के विपरीत यह बयान देकर प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने सभी को चौंका दिया कि नेता पुत्रों को टिकट न देने का कोई नियम पार्टी में नहीं बना है. शर्मा ने यह भी जोड़ा कि जो योग्य होगा उसे टिकट दिया जाएगा. मध्यप्रदेश में जो नेता पुत्र टिकट के लिए पार्टी के दरवाजे पर खड़े हैं, उनमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पुत्र कार्तिकेय चौहान भी हैं.
क्रिकेट की पिच पर राजनीति की नेट प्रैक्टिस से निकलेगा रास्ता
महाआर्यमन सिंधिया टिकट के बिना सक्रिय राजनीति में दिखाई देंगे? यह एक ऐसा सवाल है इसका जवाब भविष्य के गर्त में ही छुपा हुआ है. लेकिन, पिछले दिनों ज्योतिरादित्य सिंधिया की सोशल मीडिया की एक पोस्ट ने सभी को चौंका दिया. सिंधिया ने अपने परिवार के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की फोटो पोस्ट की थी. पुत्र महाआर्यमन और पत्नी प्रियदर्शनी राजे सिंधिया के अलावा मां माधवी राजे सिंधिया ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी. इस मुलाकात का कोई घोषित प्रयोजन अब तक सामने नहीं आया है. लेकिन, माना यह जा रहा है कि यह मुलाकात सामान्य नहीं थी.
सामान्यत: सिंधिया परिवार किसी अन्य प्रधानमंत्री के साथ इस तरह मुलाकात करता नजर नहीं आया. माना यह जा रहा है कि मुलाकात के पीछे महाआर्यमन ही रहे होंगे. इस मुलाकात के बाद महाआर्यमन ग्वालियर डिवीजन क्रिकेट एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट बना दिए गए. इस एसोसिएशन के प्रेसिडेंट खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया सालों से हैं.
लेकिन, बेटे की एंट्री हुई तो ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रेसिडेंट की जवाबदारी छोड़कर विरोधियों के मुंह बंद कर दिए. महाआर्यमन ने इस जिम्मेदारी पर कहा कि खेल खेलने से व्यक्ति के दो गुणों में जरूर वृद्धि होती है, पहला अंत तक हार ना मानना. दूसरा खुद को बेहतर बनाने के लिए निरंतर अभ्यास करना. जाहिर है कि महाआर्यमन क्रिकेट की पिच पर राजनीति की नेट प्रैक्टिस कर रहे हैं. मध्यप्रदेश में क्रिकेट एसोसिएशन में सिंधिया परिवार का दबदबा है. और समर्थकों की फौज भी क्रिकेट से जुड़ी है.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, आर्टिकल में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं.)
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