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सम्पादकीय
हार्दिक पटेल ने छोड़ा कांग्रेस का साथ: युवा नेताओं को इस्तेमाल करने में नाकाम रही है कांग्रेस
Gulabi Jagat
18 May 2022 8:38 AM GMT
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गुजरात चुनाव से ठीक छह महीने पहले बुधवार को कांग्रेस गुजरात यूनिट के प्रमुख हार्दिक पटेल ने अपने इस्तीफे की घोषणा की
राकेश दीक्षित |
गुजरात चुनाव से ठीक छह महीने पहले बुधवार को कांग्रेस गुजरात यूनिट के प्रमुख हार्दिक पटेल (Hardik Patel) ने अपने इस्तीफे की घोषणा की. पटेल एक पाटीदार कार्यकर्ता हैं जो 2019 में कांग्रेस (Congress) पार्टी में शामिल हुए थे. उन्होंने हाल ही में पार्टी और उसके नेतृत्व को लेकर सार्वजनिक रूप से अपनी नाराजगी जाहिर की थी. उनकी शिकायत है कि उन्हें पार्टी में किनारे कर दिया गया था. पटेल ने गुजरात यूनिट में अंदरूनी कलह की भी शिकायत की. कांग्रेस प्रवक्ता मनहर पटेल ने पाटीदार नेता के आरोप को बेबुनियाद बताते हुए कहा है कि उन्हें अपने मुद्दों पर पार्टी नेतृत्व से चर्चा करनी चाहिए न कि मीडिया से.
हालांकि गुजरात कांग्रेस के नेताओं में सबसे युवा हार्दिक पटेल राज्य के सबसे लोकप्रिय युवा नेता रहे हैं. उन्होंने 2015 में पाटीदार समुदाय के आंदोलन का नेतृत्व किया था जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को इस्तीफा देना पड़ा था. हार्दिक तब सिर्फ 22 साल के थे. उनके नेतृत्व करने की क्षमता ने तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को बहुत प्रभावित किया था. राहुल गांधी ने इस युवा नेता को पार्टी में बड़ी धूमधाम से शामिल किया था.
1995 से सत्ता से बाहर चल रही कांग्रेस को पटेल के शामिल होने से 2017 के विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें जीतने में मदद मिली थी. 1995 के बाद से लगातार सभी चुनावों में कांग्रेस के वोट शेयर में गिरावट जारी रही खासकर 2001 में नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री बनने के बाद. लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में उसने 182 सदस्यीय सदन में 77 सीटें जीती थीं.
कांग्रेस की सीटें बढ़ने में हार्दिक पटेल के योगदान को स्वीकार करते हुए राहुल गांधी ने उन्हें 2020 में राज्य कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया. हालांकि एक कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में हार्दिक पटेल को उस तरह की शक्ति और आजादी नहीं मिली जिसकी उन्हें पार्टी से उम्मीद थी. वे पहले भी कई बार उन्हें साइड लाइन किए जाने पर अपना दुख और नाराजगी जता चुके थे. लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें मनाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया.
हार्दिक ने कहा, 'मुझे GPCC की किसी भी बैठक में आमंत्रित नहीं किया जाता था, वे कोई भी निर्णय लेने से पहले मुझसे सलाह नहीं लेते थे तो फिर इस पोस्ट का क्या मतलब?' हाल ही में GPCC ने कार्यकारी अध्यक्ष से परामर्श किए बिना 75 नए महासचिवों और 25 नए उपाध्यक्षों की घोषणा की थी. हार्दिक का कहना है कि पाटीदार आंदोलन की बदौलत कांग्रेस 2015 के स्थानीय निकाय और 2017 के विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन कर पाई थी. लेकिन उसके बाद क्या हुआ?
कांग्रेस में कई लोगों को लगता है कि पार्टी ने हार्दिक का सही इस्तेमाल नहीं किया. उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि पार्टी के कुछ लोगों को उनसे खतरा महसूस हो रहा है. 1995 से सत्ता से बाहर हुई गुजरात राज्य कांग्रेस के पास मजबूत नेताओं की भारी कमी है. 2017 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी समेत उसके लगभग सभी बड़े नेता हार गए थे.
जब हार्दिक पटेल को 2020 में कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नामित किया गया था तो यह कयास लगाए जा रहे थे कि कुछ समय बाद उन्हें अध्यक्ष पद पर पदोन्नत किया जाएगा. पार्टी ने इसके बजाय ओबीसी कैडर के एक विधायक अमित चावड़ा को GPCC के अध्यक्ष के रूप में चुना. बाद में उन्होंने भी इस्तीफा दे दिया और यह पद नौ महीने तक खाली रहा. पिछले साल दिसंबर में उत्तर गुजरात के मौजूदा अध्यक्ष और ओबीसी समुदाय के नेता जगदीश ठाकोर को नए राज्य अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया.
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