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- खेलों का महाकुंभ
ऐसे वक्त में जब पूरी दुनिया सदी की सबसे बड़ी महामारी कोरोना की त्रासदी से जूझ रही है, ओलंपिक खेलों का आज होने वाला उद्घाटन समारोह दुनिया के खेल प्रेमियों को सुकून ही देगा। हालांकि, इन खेलों का आयोजन पहली बार एक साल के स्थगन के बाद जापान में हो रहा है, लेकिन खेलों के आयोजन को लेकर दिखायी गई प्रतिबद्धता मनुष्य की जिजीविषा का ही पर्याय है। जापान में इन खेलों का आयोजन ऐसे समय में हो रहा है जब यह देश कोरोना की चौथी लहर से जूझ रहा है। कोरोना संकट के चलते टोक्यो में आपातकाल लगा है जो खेलों के समापन तक जारी रहेगा। मेजबानी के लिये मशहूर जापान में दुनिया के खेल प्रेमी इस मेजबानी का लाभ कोरोना संकट के चलते नहीं उठा पायेंगे। केवल स्थानीय दर्शकों को स्टेडियमों में पूरे कोरोना प्रोटोकॉल के साथ जाने की अनुमति होगी। दुनिया के खेल प्रेमी टीवी पर ही इन खेलों का आनंद ले पायेंगे। हालांकि, जापान में इन खेलों के आयोजन के औचित्य पर सवाल खड़े किये जा रहे थे और विरोध भी जारी रहा, लेकिन जापान सरकार अपने फैसले पर अडिग रही। वैसे अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति भी खेलों को टालने के मूड में नहीं थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख ने भी खेलों के आयोजन को हरी झंडी दी और कहा कि एक साल से अधिक समय से अलगाव व तनाव में जी रही दुनिया को ये खेल नयी ऊर्जा देंगे। इस बार 23 जुलाई से आठ अगस्त तक होने वाले इन ओलंपिक खेलों में सख्त कोरोना प्रोटोकॉल के अलावा कई बातें विशिष्ट हैं। हालांकि, सॉफ्टबॉल की प्रतियोगिताएं उद्घाटन समारोह से दो दिन पहले ही शुरू हो चुकी हैं। कुल मिलाकर इस बार 33 खेलों में 339 मेडलों का फैसला होना है। इससे पहले तीन बार ओलंपिक खेलों का आयोजन कर चुके जापान के लिये अपने चौथे ओलंपिक का आयोजन खासा चुनौतीपूर्ण है। उसने इन खेलों के शुभांकर को मिराइतोवा व सोमाइटी नाम दिया है, जो जापान की सांस्कृतिक विरासत व आधुनिकता का पर्याय है। रोचक यह कि ओलंपिक के पदक पुराने इलेक्ट्रॉनिक सामान व फोनों से बनाये गये हैं।
क्रेडिट बाय दैनिक ट्रिब्यून